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'''अनुह्लाद''' कयाधु और [[हिरण्यकशिपु]] के पुत्र का नाम था। उसका [[विवाह]] सूर्म्या से हुआ था। अनुह्लाद का राज्य तीसरे [[पाताल]] (वितल) में था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणाप्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=22|url=}}</ref> | '''अनुह्लाद''' [[कयाधु]] और [[हिरण्यकशिपु]] के पुत्र का नाम था। उसका [[विवाह]] सूर्म्या से हुआ था। अनुह्लाद का राज्य तीसरे [[पाताल]] (वितल) में था।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पौराणिक कोश|लेखक=राणाप्रसाद शर्मा|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=22|url=}}</ref> | ||
*हिरण्यकशिपु पाँच पुत्रों का [[पिता]] था। उसके चार अन्य पुत्रों के नाम थे- [[प्रह्लाद]], संह्लाद, शिवि और वाष्कल। | *हिरण्यकशिपु पाँच पुत्रों का [[पिता]] था। उसके चार अन्य पुत्रों के नाम थे- [[प्रह्लाद]], संह्लाद, शिवि और वाष्कल। |
07:46, 3 मार्च 2015 के समय का अवतरण
अनुह्लाद कयाधु और हिरण्यकशिपु के पुत्र का नाम था। उसका विवाह सूर्म्या से हुआ था। अनुह्लाद का राज्य तीसरे पाताल (वितल) में था।[1]
- हिरण्यकशिपु पाँच पुत्रों का पिता था। उसके चार अन्य पुत्रों के नाम थे- प्रह्लाद, संह्लाद, शिवि और वाष्कल।
- अनुह्लाद दो पुत्रों- 'वाष्कल' और 'महिष' का पिता बना था।[2]
- 'सिनीवाली' भी अनुह्लाद के पुत्र कहे गये हैं, जिनसे 'हालाहलगण' उत्पन्न हुए थे।[3]
- इसकी पुत्री भद्रा मणिवरा रजतनाभ नामक यक्ष को ब्याही गई थी।[4]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पौराणिक कोश |लेखक: राणाप्रसाद शर्मा |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, आज भवन, संत कबीर मार्ग, वाराणसी |पृष्ठ संख्या: 22 |
- ↑ भागवतपुराण 6.18.13,16; ब्रह्मांडपुराण 3.5.33
- ↑ मत्स्यपुराण 6.9; वायुपुराण 67.70.75; विष्णुपुराण 1.15.142
- ↑ ब्रह्मांडपुराण, 2.20.26; 3.7.119; वायुपुराण 50.25