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'''सूना''' [[उत्तर भारत]] में प्रचलित 'प्राचीन भारतीय कृषिजन्य व्यवस्था एवं राजस्व संबंधी पारिभाषिक शब्दावली' में एक [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] है। सूना का अर्थ है- | '''सूना''' [[उत्तर भारत]] में प्रचलित 'प्राचीन भारतीय कृषिजन्य व्यवस्था एवं राजस्व संबंधी पारिभाषिक शब्दावली' में एक [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] है। सूना का अर्थ है- क़साईखानों या पशुबधग्रहों के अधीक्षक द्वारा वसूल किए जाने वाले शाही करों के लिए प्रयुक्त शब्द। | ||
{{seealso|सल्तनत काल की शब्दावली|भूगोल शब्दावली}} | {{seealso|सल्तनत काल की शब्दावली|भूगोल शब्दावली}} | ||
{{शब्द संदर्भ नया | |||
|अर्थ=# क़साईखाना। | |||
# वध। | |||
# गृहस्थ के घर में चूल्हा, चक्की, ओखली, घड़ा और झाड़ू में से प्रत्येक वस्तु जिससे जीव-हिंसा हो सकती हैं। | |||
|व्याकरण=[[स्त्रीलिंग]] | |||
|उदाहरण= | |||
|विशेष=सूना के कारण होने वाली जीव-हिंसा को 'सूना-दोष' कहा जाता है या 'पंच-सूना'। | |||
|विलोम= | |||
|पर्यायवाची= | |||
|संस्कृत=[सून + टाप्] | |||
|अन्य ग्रंथ= | |||
|संबंधित शब्द= | |||
|संबंधित लेख= | |||
|सभी लेख= | |||
}} | |||
{{शब्द संदर्भ नया | |||
|अर्थ=# ऐसा [[स्थान]] जहाँ लोगों का आना-जाना या किसी प्रकार की गतिविधि या चहल-पहल न हो, निर्जन। जैसे- सूना मकान। | |||
# रिक्त, खाली। जैसे- सूना पात्र। | |||
# जो किसी प्रिय व्यक्ति या सुंदर वस्तु के अभाव के कारण अप्रिय लगे या अभावग्रस्त लगे। जैसे- कोई माँ कहे कि मुझे अपने पुत्र के बिना संसार सूना लगता है। | |||
|व्याकरण=[[विशेषण]] | |||
|उदाहरण= | |||
|विशेष= | |||
|विलोम= | |||
|पर्यायवाची= | |||
|संस्कृत=[शून्य] | |||
|अन्य ग्रंथ= | |||
|संबंधित शब्द= | |||
|संबंधित लेख= | |||
|सभी लेख= | |||
}} | |||
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13:02, 16 मार्च 2015 का अवतरण
सूना उत्तर भारत में प्रचलित 'प्राचीन भारतीय कृषिजन्य व्यवस्था एवं राजस्व संबंधी पारिभाषिक शब्दावली' में एक शब्द है। सूना का अर्थ है- क़साईखानों या पशुबधग्रहों के अधीक्षक द्वारा वसूल किए जाने वाले शाही करों के लिए प्रयुक्त शब्द। इन्हें भी देखें: सल्तनत काल की शब्दावली एवं भूगोल शब्दावली
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