"चैतन्य भागवत": अवतरणों में अंतर
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'''चैतन्य भागवत''' [[चैतन्य महाप्रभु]] के उपदेशों पर [[वृन्दावनदास ठाकुर]] द्वारा लिखा गया [[बांग्ला भाषा]] का एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है। चैतन्य भागवत में यह वर्णन है कि ईश्वरपुरी के निकट [[दीक्षा]] ग्रहण करने के पश्चात श्री चैतन्य महाप्रभु [[गया]] से [[नवद्वीप]] धाम जाते समय यहां प्रथम बार भगवान [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] का दर्शन किये तथा उससे आलिंगनबद्ध हुए। इस कारण से इस स्थान का नाम कालांतर में कन्हैयास्थान पड़ा। उक्त कन्हाई नाटयशाला में [[राधा]]-[[कृष्ण]] एवं चैतन्य महाप्रभु के पदचिह्न आज भी मौजूद है। बांग्ला भाषा में रचित 'चैतन्य भागवत' का [[हिन्दी]] [[अनुवाद]] एवं संपादन ब्रजविभूति श्रीश्यामदास ने किया है। | '''चैतन्य भागवत''' [[चैतन्य महाप्रभु]] के उपदेशों पर [[वृन्दावनदास ठाकुर]] द्वारा लिखा गया [[बांग्ला भाषा]] का एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है। चैतन्य भागवत में यह वर्णन है कि ईश्वरपुरी के निकट [[दीक्षा]] ग्रहण करने के पश्चात श्री चैतन्य महाप्रभु [[गया]] से [[नवद्वीप]] धाम जाते समय यहां प्रथम बार भगवान [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] का दर्शन किये तथा उससे आलिंगनबद्ध हुए। इस कारण से इस स्थान का नाम कालांतर में कन्हैयास्थान पड़ा। उक्त कन्हाई नाटयशाला में [[राधा]]-[[कृष्ण]] एवं चैतन्य महाप्रभु के पदचिह्न आज भी मौजूद है। बांग्ला भाषा में रचित 'चैतन्य भागवत' का [[हिन्दी]] [[अनुवाद]] एवं संपादन ब्रजविभूति श्रीश्यामदास ने किया है। | ||
12:27, 21 मई 2015 का अवतरण
चैतन्य भागवत
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लेखक | वृन्दावनदास ठाकुर |
मूल शीर्षक | चैतन्य भागवत |
मुख्य पात्र | चैतन्य महाप्रभु |
अनुवादक | ब्रजविभूति श्रीश्यामदास |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
विधा | काव्य ग्रन्थ |
मुखपृष्ठ रचना | सजिल्द |
विशेष | बांग्ला भाषा में रचित 'चैतन्य भागवत' का हिन्दी अनुवाद एवं संपादन ब्रजविभूति श्रीश्यामदास ने किया है। |
चैतन्य भागवत चैतन्य महाप्रभु के उपदेशों पर वृन्दावनदास ठाकुर द्वारा लिखा गया बांग्ला भाषा का एक प्रसिद्ध ग्रन्थ है। चैतन्य भागवत में यह वर्णन है कि ईश्वरपुरी के निकट दीक्षा ग्रहण करने के पश्चात श्री चैतन्य महाप्रभु गया से नवद्वीप धाम जाते समय यहां प्रथम बार भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन किये तथा उससे आलिंगनबद्ध हुए। इस कारण से इस स्थान का नाम कालांतर में कन्हैयास्थान पड़ा। उक्त कन्हाई नाटयशाला में राधा-कृष्ण एवं चैतन्य महाप्रभु के पदचिह्न आज भी मौजूद है। बांग्ला भाषा में रचित 'चैतन्य भागवत' का हिन्दी अनुवाद एवं संपादन ब्रजविभूति श्रीश्यामदास ने किया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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