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'''अर्थ'''- मानसिक चक्षुओं को दिखाई पड़ना।
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'''प्रयोग'''- बिजली के पंखे से लैस, सरदार जगदीश सिंह के मकान का वह स्वच्छ [[हवा महल जयपुर|हवादार]] कमरा अपने सरदई रोगने वाले दरवाजों के साथ बार-बार उसकी [[आँख|आँखों]] मं आता था। [[अश्क कैसे बहाऊँ? -वंदना गुप्ता|अश्क]]
'''प्रयोग'''- बिजली के पंखे से लैस, सरदार जगदीश सिंह के मकान का वह स्वच्छ [[हवा महल जयपुर|हवादार]] कमरा अपने सरदई रोगने वाले दरवाजों के साथ बार-बार उसकी [[आँख|आँखों]] मं आता था। - ([[अश्क कैसे बहाऊँ? -वंदना गुप्ता|अश्क]])





07:06, 19 अक्टूबर 2015 का अवतरण

आँखों में आना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- मानसिक चक्षुओं को दिखाई पड़ना।

प्रयोग- बिजली के पंखे से लैस, सरदार जगदीश सिंह के मकान का वह स्वच्छ हवादार कमरा अपने सरदई रोगने वाले दरवाजों के साथ बार-बार उसकी आँखों मं आता था। - (अश्क)


टीका टिप्पणी और संदर्भ

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