"नजमा हेपतुल्ला": अवतरणों में अंतर
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[[2004]] के [[लोकसभा चुनाव]] में उन्होंने भाजपा का दामन पकड़ लिया। वे जुलाई 2004 में दोबारा राज्यसभा के लिए भाजपा की टिकट पर चुनी गईं। वे भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी बनाई गईं। | |||
राजनीतिक गलियारों में यह कहा जाता रहा है कि अगर डॉ. हेपतुल्ला कांग्रेस में होती तो वे अपनी योग्यता के आधार पर उपराष्ट्रपति पद के लिए स्वाभाविक उम्मीदवार होती। भाजपा में शामिल होने के बाद यह भी माना जाने लगा था कि उपराष्ट्रपति पद के लिए वही पार्टी की स्वाभाविक प्रत्याशी होंगी। | राजनीतिक गलियारों में यह कहा जाता रहा है कि अगर डॉ. हेपतुल्ला कांग्रेस में होती तो वे अपनी योग्यता के आधार पर उपराष्ट्रपति पद के लिए स्वाभाविक उम्मीदवार होती। भाजपा में शामिल होने के बाद यह भी माना जाने लगा था कि उपराष्ट्रपति पद के लिए वही पार्टी की स्वाभाविक प्रत्याशी होंगी। |
07:15, 8 मार्च 2016 का अवतरण
नजमा हेपतुल्ला
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पूरा नाम | नजमा हेपतुल्ला |
जन्म | 13 अप्रैल, 1940 |
जन्म भूमि | भोपाल, मध्य प्रदेश |
पति/पत्नी | अकबर अली ए. हेपतुल्ला |
संतान | तीन बेटियाँ |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ और लेखिका |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और 'भारतीय जनता पार्टी'(वर्तमान) |
पद | कैबिनेट मंत्री (अल्पसंख्यक मंत्रालय) |
शिक्षा | एमएससी, हृदय रोग विज्ञान में पीएचडी |
भाषा | हिंदी |
डॉ. नजमा हेपतुल्ला (अंग्रेज़ी: Najma Heptulla, जन्म- 13 अप्रैल, 1940, भोपाल, मध्य प्रदेश) सौम्य, मृदुल एवं प्रभावशाली व्यक्तित्व वाली प्रसिद्ध महिला राजनीतिज्ञ हैं। वे भारतीय राजनीति में उन चंद महिला राजनीतिज्ञों में से एक हैं, जिन्होंने अपनी योग्यता के बल पर अपना एक मुकाम बनाया है। 74 वर्षीय नजमा हेपतुल्ला, प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रिमंडल में सबसे अधिक उम्र की और एकमात्र मुस्लिम महिला सदस्या हैं। उन्हें अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री बनाया गया है।
जन्म तथा शिक्षा
डॉ. हेपतुल्ला का जन्म 13 अप्रैल 1940 को मध्यप्रदेश के भोपाल में हुआ था। डॉ. हेपतुल्ला को राजनीति बिरासत में मिली है। रिश्ते में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की नातिन हेपतुल्ला ने एमएससी करने के बाद हृदय रोग विज्ञान में पीएचडी प्राप्त की, पर राजनीति में दिलचस्पी के कारण वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ी रहीं और जमीनी स्तर पर काम करती रहीं।
राजनैतिक जीवन
मुंबई प्रदेश कांग्रेस कमेटी की महासचिव और उपाध्यक्ष रहीं हेपतुल्ला 1980 से राज्यसभा की सदस्य हैं। वह 1985 से 1986 तथा 1988 से जुलाई 2007 तक राज्यसभा की उपसभापति रहीं इस दौरान उन्होंने सदन की कार्यवाही का कुशल संचालन किया और वह सत्तापक्ष तथा विपक्ष में भी लोकप्रिय बनी रहीं। लेकिन श्रीमती सोनिया गाँधी से उनके रिश्तों में आई खटास के बाद वह भाजपा में शामिल हो गई। इस समय वह राज्यसभा में भाजपा की सांसद हैं।
डॉ. हेपतुल्ला भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की अध्यक्ष भी रहीं। 2002 में उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस का उम्मीदवार बनाए जाने की भी चर्चा चली, पर वह उम्मीदवार नहीं बनाई गईं। उसके बाद वह कांग्रेस के भीतर असंतुष्ट रहने लगी और धीरे-धीरे राजग के निकट आने लगीं। 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा का दामन पकड़ लिया। वे जुलाई 2004 में दोबारा राज्यसभा के लिए भाजपा की टिकट पर चुनी गईं। वे भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी बनाई गईं।
राजनीतिक गलियारों में यह कहा जाता रहा है कि अगर डॉ. हेपतुल्ला कांग्रेस में होती तो वे अपनी योग्यता के आधार पर उपराष्ट्रपति पद के लिए स्वाभाविक उम्मीदवार होती। भाजपा में शामिल होने के बाद यह भी माना जाने लगा था कि उपराष्ट्रपति पद के लिए वही पार्टी की स्वाभाविक प्रत्याशी होंगी।
लेखन कार्य
राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ वे लेखिका भी हैं। उन्होंने 'एड्स: ऐप्रोचेज टु प्रिवैंशन' नाम की किताब भी लिखी है। इसके अलावा भी वे कई तरह के विषयों पर लिखती रही हैं।
- नजमा के पति अकबर अली ए. हेपतुल्ला का निधन हो चुका है, उनकी 3 बेटियां हैं, जो अमेरिका में हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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