"पर्यावरण प्रदूषण पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन": अवतरणों में अंतर

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'''पर्यावरण प्रदूषण''' के सम्बन्ध में अंतर्राष्ट्रीय चिन्ता 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में बढ़ गयी। [[30 जुलाई]], [[1968]] को मानव पर्यावरण की समस्या पर अंतराष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की आर्थिक तथा सामाजिक परिषद ने प्रस्ताव संख्या [[1946]] के तहत एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया कि आधुनिक वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास के परिप्रेक्ष्य में मानव तथा उसके [[पर्यावरण]] के मध्य सम्बन्धों में महती परिवर्तन हुआ है। सामान्य सभा ने इस बात पर संज्ञानता प्रकट की कि वैज्ञानिक तथा तकनीकी विकास ने मानव को अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप पर्यावरण को आकार देने के उद्देश्य से अप्रत्याशित अवसरों को जन्म दिया है। यदि इन अवसरों को नियंत्रण ढंग से उपयोग नहीं किया गया तो अनेक गम्भीर समस्याएँ उत्पन्न होंगी। सामान्य सभा ने [[जल प्रदूषण]], क्षरण तथा भूमि के विनिष्टीकरण के अन्य प्रारूप, [[ध्वनि]], कूड़ा-करकट तथा कीटनाशको के गौण प्रभावों पर भी विचार किया।  
'''पर्यावरण प्रदूषण''' के सम्बन्ध में अंतर्राष्ट्रीय चिन्ता 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में बढ़ गयी। [[30 जुलाई]], [[1968]] को मानव पर्यावरण की समस्या पर अंतराष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की आर्थिक तथा सामाजिक परिषद ने प्रस्ताव संख्या [[1946]] के तहत एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया कि आधुनिक वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास के परिप्रेक्ष्य में मानव तथा उसके [[पर्यावरण]] के मध्य सम्बन्धों में महती परिवर्तन हुआ है। सामान्य सभा ने इस बात पर संज्ञानता प्रकट की कि वैज्ञानिक तथा तकनीकी विकास ने मानव को अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप पर्यावरण को आकार देने के उद्देश्य से अप्रत्याशित अवसरों को जन्म दिया है। यदि इन अवसरों को नियंत्रण ढंग से उपयोग नहीं किया गया तो अनेक गम्भीर समस्याएँ उत्पन्न होंगी। सामान्य सभा ने [[जल प्रदूषण]], क्षरण तथा भूमि के विनिष्टीकरण के अन्य प्रारूप, [[ध्वनि]], कूड़ा-करकट तथा कीटनाशको के गौण प्रभावों पर भी विचार किया।  
मानव पर्यावरण की कुछ समस्याओं पर संयुक्त राष्ट्र संघ तथा उसकी अन्य एजेन्सियाँ यथा - अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, खाद्य एवं कृषि संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, अंतराष्ट्रीय परमाणु अभिकरण आदि कार्य कर रहे हैं।
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08:35, 14 जून 2016 का अवतरण

पर्यावरण प्रदूषण के सम्बन्ध में अंतर्राष्ट्रीय चिन्ता 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में बढ़ गयी। 30 जुलाई, 1968 को मानव पर्यावरण की समस्या पर अंतराष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की आर्थिक तथा सामाजिक परिषद ने प्रस्ताव संख्या 1946 के तहत एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कहा गया कि आधुनिक वैज्ञानिक एवं तकनीकी विकास के परिप्रेक्ष्य में मानव तथा उसके पर्यावरण के मध्य सम्बन्धों में महती परिवर्तन हुआ है। सामान्य सभा ने इस बात पर संज्ञानता प्रकट की कि वैज्ञानिक तथा तकनीकी विकास ने मानव को अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप पर्यावरण को आकार देने के उद्देश्य से अप्रत्याशित अवसरों को जन्म दिया है। यदि इन अवसरों को नियंत्रण ढंग से उपयोग नहीं किया गया तो अनेक गम्भीर समस्याएँ उत्पन्न होंगी। सामान्य सभा ने जल प्रदूषण, क्षरण तथा भूमि के विनिष्टीकरण के अन्य प्रारूप, ध्वनि, कूड़ा-करकट तथा कीटनाशको के गौण प्रभावों पर भी विचार किया। मानव पर्यावरण की कुछ समस्याओं पर संयुक्त राष्ट्र संघ तथा उसकी अन्य एजेन्सियाँ यथा - अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, खाद्य एवं कृषि संगठन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, अंतराष्ट्रीय परमाणु अभिकरण आदि कार्य कर रहे हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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