"छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-24": अवतरणों में अंतर

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*इस प्रकार यजमान स्वर्ग, अन्तरिक्ष, अन्तरिक्ष की विभूतियां तथा पुण्यलोक की प्राप्ति की कामना करता है। यही यजमानलोक है। स्वर्गलोक की प्राप्ति हेतु सभी सीमाओं को प्राप्त करने की प्रार्थना यजमान करता है और 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के अनुरूप ज्ञान और प्रेरणा का संचार करता है।
*इस प्रकार यजमान स्वर्ग, अन्तरिक्ष, अन्तरिक्ष की विभूतियां तथा पुण्यलोक की प्राप्ति की कामना करता है। यही यजमानलोक है। स्वर्गलोक की प्राप्ति हेतु सभी सीमाओं को प्राप्त करने की प्रार्थना यजमान करता है और 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के अनुरूप ज्ञान और प्रेरणा का संचार करता है।


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छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-24
छान्दोग्य उपनिषद का आवरण पृष्ठ
छान्दोग्य उपनिषद का आवरण पृष्ठ
विवरण 'छान्दोग्य उपनिषद' प्राचीनतम दस उपनिषदों में नवम एवं सबसे बृहदाकार है। नाम के अनुसार इस उपनिषद का आधार छन्द है।
अध्याय द्वितीय
कुल खण्ड 24 (चौबीस)
सम्बंधित वेद सामवेद
संबंधित लेख उपनिषद, वेद, वेदांग, वैदिक काल, संस्कृत साहित्य
अन्य जानकारी सामवेद की तलवकार शाखा में छान्दोग्य उपनिषद को मान्यता प्राप्त है। इसमें दस अध्याय हैं। इसके अन्तिम आठ अध्याय ही छान्दोग्य उपनिषद में लिये गये हैं।

छान्दोग्य उपनिषद के अध्याय दूसरे का यह चौबीसवाँ खण्ड है।

यज्ञ के तीन काल
  • इस खण्ड में यज्ञ के तीन- प्रात:, मध्याह्न और सांय- सवनों के माध्यम से जीवन के तीन कालों में किये गये साधनात्मक पुरुषार्थ का उल्लेख है।
  • ब्रह्मवादी कहते हैं कि प्रात:काल का सवन वसुगणों का है, मध्याह्न का रुद्रगणों का और सन्ध्या का आदित्यगणों का तथा विश्वदेवों का है। प्रात:काल यजमान गार्हयत्याग्नि के पीछे उत्तराभिमुख बैठकर वसुदेवों के साम का गान करता है- 'हे अग्निदेव!आप हमें लौकिक सम्पदा प्रदान करें, आप हमें यह लोक प्राप्त करायें। आप हमें मृत्यु के पश्चात पुण्यलोक को प्राप्त करायें।'
  • इस प्रकार यजमान स्वर्ग, अन्तरिक्ष, अन्तरिक्ष की विभूतियां तथा पुण्यलोक की प्राप्ति की कामना करता है। यही यजमानलोक है। स्वर्गलोक की प्राप्ति हेतु सभी सीमाओं को प्राप्त करने की प्रार्थना यजमान करता है और 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के अनुरूप ज्ञान और प्रेरणा का संचार करता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-1

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छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2

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छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-3

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छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-4

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छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-5

खण्ड-1 | खण्ड-2 | खण्ड-3 से 10 | खण्ड-11 से 24

छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-6

खण्ड-1 से 2 | खण्ड-3 से 4 | खण्ड-5 से 6 | खण्ड-7 | खण्ड-8 | खण्ड-9 से 13 | खण्ड-14 से 16

छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-7

खण्ड-1 से 15 | खण्ड-16 से 26

छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-8

खण्ड-1 से 6 | खण्ड-7 से 15