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'''कुन्नूर''' [[तमिलनाडु]] राज्य के [[नीलगिरि ज़िला|नीलगिरि ज़िले]] में स्थित एक प्रसिद्ध एवं ख़ूबसूरत पर्वतीय पर्यटन स्थल है। यहाँ की हरियाली और मनमोहक दृश्य पर्यटकों को बरबस ही खींच लाते हैं। समुद्र तल से 1800 मीटर की ऊँचाई पर स्थित कुन्नूर एक अन्य प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल [[ऊटी]] से 19 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।
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'''कुन्नूर''' [[तमिलनाडु]] राज्य के [[नीलगिरि ज़िला|नीलगिरि ज़िले]] में स्थित एक प्रसिद्ध एवं ख़ूबसूरत पर्वतीय पर्यटन स्थल है। यहाँ की हरियाली और मनमोहक दृश्य पर्यटकों को बरबस ही खींच लाते हैं। समुद्र तल से 1850 मीटर की ऊँचाई पर स्थित कुन्नूर एक अन्य प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल [[ऊटी]] से 19 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।
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==प्राकृतिक सौन्दर्य==
==प्राकृतिक सौन्दर्य==
यह स्थान मनमोहक हरियाली, जंगली फूलों और पक्षियों की विविधताओं के लिए जाना जाता है। यहाँ ट्रैकिंग और पैदल सैर करने का अलग ही आनन्द है। [[चाय]] के बागानों की सैर पर्यटकों को खूब भाती है। गर्मियों के दिनों में यह स्थान पर्यटकों से भर जाता है। यह स्थान देश-विदेश के फ़िल्म निर्माताओं के लिए भी आकर्षण का केन्द्र है। ई. एम. फ़ोस्टर के उपन्यास पर आधरित डेविड लीन की फ़िल्म 'ए पेसेज टू इंडिया' यहीं फ़िल्माई गई थी।
यह स्थान मनमोहक हरियाली, जंगली फूलों और पक्षियों की विविधताओं के लिए जाना जाता है। यहाँ ट्रैकिंग और पैदल सैर करने का अलग ही आनन्द है। [[चाय]] के बागानों की सैर पर्यटकों को खूब भाती है। गर्मियों के दिनों में यह स्थान पर्यटकों से भर जाता है। यह स्थान देश-विदेश के फ़िल्म निर्माताओं के लिए भी आकर्षण का केन्द्र है। ई. एम. फ़ोस्टर के उपन्यास पर आधरित डेविड लीन की फ़िल्म 'ए पेसेज टू इंडिया' यहीं फ़िल्माई गई थी।
====नीलगिरि माउंटेन रेलवे====
==चाय और चॉकलेट==
कुन्नूर की अर्थव्यवस्था यहाँ के फलते-फूलते चाय उद्योग पर निर्भर करती है। ज्यादातर स्थानीय लोग चाय के उत्पादन, प्रसंस्करण और बिक्री पर निर्भर रहते हैं। घर की बनी चॉकलेट नीलगिरि की विशेषता है और कुन्नूर इससे अनग नहीं है। आप को घर में बनी चॉकलेट हर दूसरी गली में मिल जायेगी और इसे जरूर आजमाना चाहिये। कुन्नूर बागवानी और फूल उद्योग के लिये भी प्रसिद्ध है। ऑर्किड और फूल वाले पौधों की कई दुर्लभ प्रजातियाँ यहाँ पर उगाई और बेची जाती हैं। विश्व में कहीं न पाई जाने वाली प्रजातियाँ भी आपको यहाँ सन्तुष्ट करती हैं।
==नीलगिरि माउंटेन रेलवे==
अनुकूल जलवायु और [[तापमान]] होने के कारण [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने कुन्नूर को अपने निवास स्‍थल के रूप में प्रयोग किया। साथ ही अंग्रेज़ों ने चाय के बागान तथा रेल निर्माण के विकास में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे पहले [[चैन्नई]] का रेलमार्ग मेट्टुपलयम में आकर समाप्त हो जाता था। तब यहाँ आने के लिए टट्टुओं और बैलगाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता था। तत्‍कालीन चैन्नई सरकार ने [[1891]] में नीलगिरी रेलवे की नींव डाली। [[1897]] में रेल लाइन कुन्नूर तक पहुँच गई। रेल लाइन का विस्तार [[1908]] में ऊटी तक कर दिया गया। वर्तमान में यहाँ का रेलमार्ग पर्यटकों के आकर्षक का मुख्य केन्द्र रहता है। 'नीलगिरि माउंटेन रेलवे' को [[जुलाई]], [[2005]] में [[यूनेस्को]] द्वारा [[विश्व विरासत स्थल]] घोषित कर दिया गया।
अनुकूल जलवायु और [[तापमान]] होने के कारण [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] ने कुन्नूर को अपने निवास स्‍थल के रूप में प्रयोग किया। साथ ही अंग्रेज़ों ने चाय के बागान तथा रेल निर्माण के विकास में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे पहले [[चैन्नई]] का रेलमार्ग मेट्टुपलयम में आकर समाप्त हो जाता था। तब यहाँ आने के लिए टट्टुओं और बैलगाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता था। तत्‍कालीन चैन्नई सरकार ने [[1891]] में नीलगिरी रेलवे की नींव डाली। [[1897]] में रेल लाइन कुन्नूर तक पहुँच गई। रेल लाइन का विस्तार [[1908]] में ऊटी तक कर दिया गया। वर्तमान में यहाँ का रेलमार्ग पर्यटकों के आकर्षक का मुख्य केन्द्र रहता है। 'नीलगिरि माउंटेन रेलवे' को [[जुलाई]], [[2005]] में [[यूनेस्को]] द्वारा [[विश्व विरासत स्थल]] घोषित कर दिया गया।
====कब जाएँ====
हिल स्टेशन होने के कारण कुन्नूर अपने मौसम के लिये जाना जाता है। तापमान के लिहाज से सर्दियाँ बहुत ठण्डी हो जाती हैं जबकि गर्मियाँ सुहावनी होती हैं। एक पर्यटक के रूप में कुन्नूर आने की सोच रहे यात्री कभी भी मॉनसून के आसापास नहीं आना चाहते। सर्दी के साथ-साथ बारी बारिश कभी भी मजेदार नहीं होती इसलिये मॉनसून से बचना चाहिये।
====कैसे जाएँ====
कुन्नूर पहुँचना बहुत आसान है। कोयम्बटूर के गाँधीपुरम् बस स्टैण्ड से बस पकड़ कर मेट्टूपलयम पहुँचें और वहाँ से नीलगिरि पहाड़ी रेल सेवा द्वारा कुन्नूर पहुँच सकते हैं। आपके पास गाँधीपुरम् से ऊटी के लिये सीधी बस द्वारा कुन्नूर उतरने का भी विकल्प रहता है। कोयम्बटूर से कुन्नूर की यात्रा में साढ़े तीन घण्टे का समय लगता है। शानदार दृश्यों, घूमने फिरने के पर्याप्त विकल्पों, चॉकलेट, बागानों और सुहवाने मौसम के साथ कुन्नूर छुट्टी बिताने वालों के साथ-साथ हनीमून पर आने वाले नवविवाहित जोड़ों का पसन्दीदा स्थान है।


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07:22, 26 अगस्त 2016 का अवतरण

कुन्नूर
कुन्नूर का एक दृश्य
कुन्नूर का एक दृश्य
विवरण कुन्नूर तमिलनाडु राज्य के नीलगिरि ज़िले में स्थित एक प्रसिद्ध एवं ख़ूबसूरत पर्वतीय पर्यटन स्थल है।
राज्य तमिलनाडु
ज़िला नीलगिरि ज़िले
स्थापना 1834
भौगोलिक स्थिति समुद्र तल से लगभग 1850 मीटर की ऊँचाई पर स्थित
कब जाएँ गर्मियों में
कैसे पहुँचें रेल, बस आदि
रेलवे स्टेशन नीलगिरि पहाड़ी रेल सेवा
गूगल मानचित्र
अन्य जानकारी कुन्नूर बागवानी और फूल उद्योग के लिये भी प्रसिद्ध है। ऑर्किड और फूल वाले पौधों की कई दुर्लभ प्रजातियाँ यहाँ पर उगाई और बेची जाती हैं। विश्व में कहीं न पाई जाने वाली प्रजातियाँ भी आपको यहाँ सन्तुष्ट करती हैं।

कुन्नूर तमिलनाडु राज्य के नीलगिरि ज़िले में स्थित एक प्रसिद्ध एवं ख़ूबसूरत पर्वतीय पर्यटन स्थल है। यहाँ की हरियाली और मनमोहक दृश्य पर्यटकों को बरबस ही खींच लाते हैं। समुद्र तल से 1850 मीटर की ऊँचाई पर स्थित कुन्नूर एक अन्य प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल ऊटी से 19 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।

प्राकृतिक सौन्दर्य

यह स्थान मनमोहक हरियाली, जंगली फूलों और पक्षियों की विविधताओं के लिए जाना जाता है। यहाँ ट्रैकिंग और पैदल सैर करने का अलग ही आनन्द है। चाय के बागानों की सैर पर्यटकों को खूब भाती है। गर्मियों के दिनों में यह स्थान पर्यटकों से भर जाता है। यह स्थान देश-विदेश के फ़िल्म निर्माताओं के लिए भी आकर्षण का केन्द्र है। ई. एम. फ़ोस्टर के उपन्यास पर आधरित डेविड लीन की फ़िल्म 'ए पेसेज टू इंडिया' यहीं फ़िल्माई गई थी।

चाय और चॉकलेट

कुन्नूर की अर्थव्यवस्था यहाँ के फलते-फूलते चाय उद्योग पर निर्भर करती है। ज्यादातर स्थानीय लोग चाय के उत्पादन, प्रसंस्करण और बिक्री पर निर्भर रहते हैं। घर की बनी चॉकलेट नीलगिरि की विशेषता है और कुन्नूर इससे अनग नहीं है। आप को घर में बनी चॉकलेट हर दूसरी गली में मिल जायेगी और इसे जरूर आजमाना चाहिये। कुन्नूर बागवानी और फूल उद्योग के लिये भी प्रसिद्ध है। ऑर्किड और फूल वाले पौधों की कई दुर्लभ प्रजातियाँ यहाँ पर उगाई और बेची जाती हैं। विश्व में कहीं न पाई जाने वाली प्रजातियाँ भी आपको यहाँ सन्तुष्ट करती हैं।

नीलगिरि माउंटेन रेलवे

अनुकूल जलवायु और तापमान होने के कारण अंग्रेज़ों ने कुन्नूर को अपने निवास स्‍थल के रूप में प्रयोग किया। साथ ही अंग्रेज़ों ने चाय के बागान तथा रेल निर्माण के विकास में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे पहले चैन्नई का रेलमार्ग मेट्टुपलयम में आकर समाप्त हो जाता था। तब यहाँ आने के लिए टट्टुओं और बैलगाड़ियों का इस्तेमाल किया जाता था। तत्‍कालीन चैन्नई सरकार ने 1891 में नीलगिरी रेलवे की नींव डाली। 1897 में रेल लाइन कुन्नूर तक पहुँच गई। रेल लाइन का विस्तार 1908 में ऊटी तक कर दिया गया। वर्तमान में यहाँ का रेलमार्ग पर्यटकों के आकर्षक का मुख्य केन्द्र रहता है। 'नीलगिरि माउंटेन रेलवे' को जुलाई, 2005 में यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल घोषित कर दिया गया।

कब जाएँ

हिल स्टेशन होने के कारण कुन्नूर अपने मौसम के लिये जाना जाता है। तापमान के लिहाज से सर्दियाँ बहुत ठण्डी हो जाती हैं जबकि गर्मियाँ सुहावनी होती हैं। एक पर्यटक के रूप में कुन्नूर आने की सोच रहे यात्री कभी भी मॉनसून के आसापास नहीं आना चाहते। सर्दी के साथ-साथ बारी बारिश कभी भी मजेदार नहीं होती इसलिये मॉनसून से बचना चाहिये।

कैसे जाएँ

कुन्नूर पहुँचना बहुत आसान है। कोयम्बटूर के गाँधीपुरम् बस स्टैण्ड से बस पकड़ कर मेट्टूपलयम पहुँचें और वहाँ से नीलगिरि पहाड़ी रेल सेवा द्वारा कुन्नूर पहुँच सकते हैं। आपके पास गाँधीपुरम् से ऊटी के लिये सीधी बस द्वारा कुन्नूर उतरने का भी विकल्प रहता है। कोयम्बटूर से कुन्नूर की यात्रा में साढ़े तीन घण्टे का समय लगता है। शानदार दृश्यों, घूमने फिरने के पर्याप्त विकल्पों, चॉकलेट, बागानों और सुहवाने मौसम के साथ कुन्नूर छुट्टी बिताने वालों के साथ-साथ हनीमून पर आने वाले नवविवाहित जोड़ों का पसन्दीदा स्थान है।


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