"एन्नौर बंदरगाह": अवतरणों में अंतर
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'''एन्नोर बंदरगाह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ennore Port'') [[तमिलनाडु]] में है, जो [[चेन्नई]] | '''एन्नोर बंदरगाह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ennore Port'') [[तमिलनाडु]] में है, जो [[चेन्नई बंदरगाह]] से 24 कि.मी. उत्तर की ओर [[कोरोमण्डल मैदान|कोरोमण्डल तट]] पर अवस्थित है। इस [[बंदरगाह]] का विकास चेन्नई बंदरगाह से लगभग 20 कि.मी. उत्तर की तरफ़ [[भारत]] के पूर्वी तट पर किया गया है। एन्नोर बंदरगाह [[जून]], [[2001]] में प्रारम्भ किया गया था। यह अस्थायी सुविधाओं के तहत अल्प मात्रा में [[लौह अयस्क]] तथा पीओएल का निस्तार भी करता है। | ||
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एन्नोर बंदरगाह का उद्घाटन [[भारत के प्रधानमंत्री]] द्वारा किया गया था। इसका व्यावसायिक परिचालन [[22 जून]], [[2001]] को हेंडीमेक्स गियर्ड वेसेल से थर्मल [[कोयला|कोयले]] की अनलोडिंग से शुरू हो गया। एन्नोर बंदरगाह का विकास चिन्नई बंदरगाह से लगभग 20 किलोमीटर उत्तर की ओर [[भारत]] के पूर्वी तट पर हरी भरी परिस्थिति में किया गया है। इसे [[मार्च]], [[1999]] में 'भारतीय बंदरगाह अधिनियम', [[1908]] के अंतर्गत एक प्रमुख पोर्ट घोषित किया गया था और [[अक्टूबर]], [[1999]] में इसे कंपनी अधिनियम, [[1956]] के तहत एक कंपनी (एन्नोर पोर्ट लिमिटेड) के रूप में निगमित किया गया था। इसका शुभारम्भ [[जून]], 2001 में दो समर्पित [[कोयला]] बर्थ्स, 15 मीटर समीपस्थ गहराई के साथ हुआ। तब से यह 'तमिलनाडु विद्युत परिषद' के विद्युत गृहों के लिए तापीय कोयले का निस्तार करता आ रहा है। | |||
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एन्नोर [[भारत]] का 12वाँ सबसे बड़ा तथा पहला कारपोरेटीकृत बंदरगाह है। इसकी प्राथमिक अवधारणा इसे चेन्नई बंदरगाह के उपग्रहीय बंदरगाह के रूप में विकसित करने की थी, जिसका प्राथमिक कार्य 'तमिलनाडु बिजली बोर्ड' के ताप विद्युत संयंत्रों को [[कोयला|कोयले]] की सप्लाई करना होता। बाद में हुए कई घटनाक्रमों को देखते हुए इसके कार्यक्षेत्र में वृद्धि कर दी गई। चेन्नई हार्बर तथा निकटवर्ती क्षेत्रों में [[लौह अयस्क]] तथा कोयले की ढुलाई के कारण पैदा [[प्रदूषण]] तथा पर्यावरणीय खतरे को देखते हुए इन वस्तुओं को चेन्नई बंदरगाह से अन्यत्र स्थानांतरित करना आवश्यक हो गया था। कोयला बर्थ<ref>टीएनईबी के अलावा अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए</ref>, लौह अयस्क, एलएनजी, पीओएल, रसायन तथा अन्य [[द्रव]] तथा प्रस्तावित पेट्रोकेम पार्क की स्थापना के बाद खुलने की संभावना वाले उद्योगों के काम आने वाले कच्चे तेल के बर्थ की योजना के पीछे यही तर्क था। इन कारकों ने एन्नोर बंदरगाह को नई सहस्राब्दी के एक बहुमुखी ऊर्जा बंदरगाह के रूप में विकसित करने में योगदान दिया। | एन्नोर [[भारत]] का 12वाँ सबसे बड़ा तथा पहला कारपोरेटीकृत बंदरगाह है। इसकी प्राथमिक अवधारणा इसे चेन्नई बंदरगाह के उपग्रहीय बंदरगाह के रूप में विकसित करने की थी, जिसका प्राथमिक कार्य 'तमिलनाडु बिजली बोर्ड' के ताप विद्युत संयंत्रों को [[कोयला|कोयले]] की सप्लाई करना होता। बाद में हुए कई घटनाक्रमों को देखते हुए इसके कार्यक्षेत्र में वृद्धि कर दी गई। चेन्नई हार्बर तथा निकटवर्ती क्षेत्रों में [[लौह अयस्क]] तथा कोयले की ढुलाई के कारण पैदा [[प्रदूषण]] तथा पर्यावरणीय खतरे को देखते हुए इन वस्तुओं को चेन्नई बंदरगाह से अन्यत्र स्थानांतरित करना आवश्यक हो गया था। कोयला बर्थ<ref>टीएनईबी के अलावा अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए</ref>, लौह अयस्क, एलएनजी, पीओएल, रसायन तथा अन्य [[द्रव]] तथा प्रस्तावित पेट्रोकेम पार्क की स्थापना के बाद खुलने की संभावना वाले उद्योगों के काम आने वाले कच्चे तेल के बर्थ की योजना के पीछे यही तर्क था। इन कारकों ने एन्नोर बंदरगाह को नई सहस्राब्दी के एक बहुमुखी ऊर्जा बंदरगाह के रूप में विकसित करने में योगदान दिया। |
10:14, 22 नवम्बर 2016 का अवतरण
एन्नोर बंदरगाह (अंग्रेज़ी: Ennore Port) तमिलनाडु में है, जो चेन्नई बंदरगाह से 24 कि.मी. उत्तर की ओर कोरोमण्डल तट पर अवस्थित है। इस बंदरगाह का विकास चेन्नई बंदरगाह से लगभग 20 कि.मी. उत्तर की तरफ़ भारत के पूर्वी तट पर किया गया है। एन्नोर बंदरगाह जून, 2001 में प्रारम्भ किया गया था। यह अस्थायी सुविधाओं के तहत अल्प मात्रा में लौह अयस्क तथा पीओएल का निस्तार भी करता है।
उद्घाटन तथा परिचालन
एन्नोर बंदरगाह का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री द्वारा किया गया था। इसका व्यावसायिक परिचालन 22 जून, 2001 को हेंडीमेक्स गियर्ड वेसेल से थर्मल कोयले की अनलोडिंग से शुरू हो गया। एन्नोर बंदरगाह का विकास चिन्नई बंदरगाह से लगभग 20 किलोमीटर उत्तर की ओर भारत के पूर्वी तट पर हरी भरी परिस्थिति में किया गया है। इसे मार्च, 1999 में 'भारतीय बंदरगाह अधिनियम', 1908 के अंतर्गत एक प्रमुख पोर्ट घोषित किया गया था और अक्टूबर, 1999 में इसे कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत एक कंपनी (एन्नोर पोर्ट लिमिटेड) के रूप में निगमित किया गया था। इसका शुभारम्भ जून, 2001 में दो समर्पित कोयला बर्थ्स, 15 मीटर समीपस्थ गहराई के साथ हुआ। तब से यह 'तमिलनाडु विद्युत परिषद' के विद्युत गृहों के लिए तापीय कोयले का निस्तार करता आ रहा है।
कार्यक्षेत्र
एन्नोर भारत का 12वाँ सबसे बड़ा तथा पहला कारपोरेटीकृत बंदरगाह है। इसकी प्राथमिक अवधारणा इसे चेन्नई बंदरगाह के उपग्रहीय बंदरगाह के रूप में विकसित करने की थी, जिसका प्राथमिक कार्य 'तमिलनाडु बिजली बोर्ड' के ताप विद्युत संयंत्रों को कोयले की सप्लाई करना होता। बाद में हुए कई घटनाक्रमों को देखते हुए इसके कार्यक्षेत्र में वृद्धि कर दी गई। चेन्नई हार्बर तथा निकटवर्ती क्षेत्रों में लौह अयस्क तथा कोयले की ढुलाई के कारण पैदा प्रदूषण तथा पर्यावरणीय खतरे को देखते हुए इन वस्तुओं को चेन्नई बंदरगाह से अन्यत्र स्थानांतरित करना आवश्यक हो गया था। कोयला बर्थ[1], लौह अयस्क, एलएनजी, पीओएल, रसायन तथा अन्य द्रव तथा प्रस्तावित पेट्रोकेम पार्क की स्थापना के बाद खुलने की संभावना वाले उद्योगों के काम आने वाले कच्चे तेल के बर्थ की योजना के पीछे यही तर्क था। इन कारकों ने एन्नोर बंदरगाह को नई सहस्राब्दी के एक बहुमुखी ऊर्जा बंदरगाह के रूप में विकसित करने में योगदान दिया।
अस्थायी सुविधाएँ
यह बंदरगाह अस्थायी सुविधाओं के तहत अल्प मात्रा में लौह अयस्क तथा पीओएल का निस्तार भी करता है। बंदरगाह ने निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी के माध्यम से तरल, कोयला, लौह अयस्क, कंटेनर और अन्य आम नौभार निस्तारार्थ टर्मिनलों के विस्तार की कार्रवाई भी प्रारम्भ की है। यह बंदरगाह प्रबन्धन आवश्यक कोर स्टाफ सहित एक भूस्वामी पोर्ट के रूप में कार्य कर रहा है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ टीएनईबी के अलावा अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए