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{'Seed Plot Technique' अपनाई जाती | {'Seed Plot Technique' किस फ़सल के लिए अपनाई जाती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-69,प्रश्न-111 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-गेहूँ | -[[गेहूँ]] | ||
-धान | -[[धान]] | ||
+आलू | +[[आलू]] | ||
-बाजरा | -[[बाजरा]] | ||
{'प्रसार' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग हुआ था | {'प्रसार' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग कहाँ हुआ था? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-26 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-यू.के. | -[[यू. के.]] | ||
+यू.एस.ए. | +[[संयुक्त राज्य अमेरिका|यू. एस. ए.]] | ||
-भारत | -[[भारत]] | ||
- | -[[फ़ाँस]] | ||
{किन्नों संकर प्रजाति है | {किन्नों संकर प्रजाति निम्न में से किसकी है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-106 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-नींबू | -[[नींबू]] | ||
-नारंगी | -नारंगी | ||
+मैन्ड्रिन | +मैन्ड्रिन | ||
- | -इनमें से कोई नहीं | ||
{सुखड़ी (हड्डी | {सुखड़ी (हड्डी कमज़ोर) रोग किसकी कमी से होता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-82,प्रश्न-36 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-विटामिन C | -[[विटामिन सी|विटामिन C]] | ||
-विटामिन A | -[[विटामिन ए|विटामिन A]] | ||
+विटामिन D | +[[विटामिन डी|विटामिन D]] | ||
-विटामिन E | -विटामिन E | ||
|| | ||[[विटामिन सी|विटामिन C]]- स्कर्वी रोग, [[विटामिन ए|विटामिन A]]- रतौंधी रोग, [[विटामिन डी|विटामिन D]]- रिकेट्स रोग, विटामिन E- बांध्यारोग | ||
{ | {निम्न में से जलप्रिया प्रजाति किसकी है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-66 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-मक्का की | -[[मक्का]] की | ||
-ज्वार की | -[[ज्वार]] की | ||
+धान की | +[[धान]] की | ||
-जौ की | -[[जौ]] की | ||
||मक्का-प्रोटीन शक्ति, ज्वार-C&U 1,2,4,6, धान-जलप्रिया | ||मक्का-प्रोटीन शक्ति, ज्वार-C&U 1,2,4,6, धान-जलप्रिया | ||
{टी.पी.एस. | {टी. पी. एस. तकनीक किससे सम्बंधित है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-47 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-टमाटर | -[[टमाटर]] | ||
+आलू | +[[आलू]] | ||
-गन्ना | -[[गन्ना]] | ||
- | -उपरोक्त सभी में | ||
||टी.पी.एस. का प्रयोग आलू में किया जाता है। इस विधि में 100-150 ग्राम बीज प्रति हैक्टेयर काफी होता है। और इसका प्रयोग करने से उत्पादन भी ज्यादा होता है। | ||टी. पी. एस. का प्रयोग [[आलू]] में किया जाता है। इस विधि में 100-150 ग्राम बीज प्रति हैक्टेयर काफी होता है। और इसका प्रयोग करने से उत्पादन भी ज्यादा होता है। | ||
{मक्का-आलू-तम्बाकू की सस्य | {[[मक्का]]-[[आलू]]-[[तम्बाकू]] की सस्य सघनता कितनी होती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-87,प्रश्न-106 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-200% | -200% | ||
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+300% | +300% | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
||[[मक्का]]-[[आलू]]-[[तम्बाकू]] की सस्य सघनता 300% होती है। | |||
{गन्ने में चीनी | {[[गन्ना|गन्ने]] में चीनी की कितनी प्रतिशत मात्रा पायी जाती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-33,प्रश्न-42 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-7-8% | -7-8% | ||
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-11-12% | -11-12% | ||
{भारत में इन्सेक्टीसाइड अधिनियम किस वर्ष पास हुआ था? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-41,प्रश्न-37 | {[[भारत]] में इन्सेक्टीसाइड अधिनियम किस वर्ष पास हुआ था? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-41,प्रश्न-37 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-1970 | -[[1970]] | ||
-1971 | -[[1971]] | ||
+1968 | +[[1968]] | ||
-1962 | -[[1962]] | ||
||भारत में कीटनाशी अधिनियम (इन्सेक्टीसाइड ऐक्ट) वर्ष 1968 में पास हुआ था तथा इसे वर्ष 1972 में लागू किया गया। | ||[[भारत]] में कीटनाशी अधिनियम (इन्सेक्टीसाइड ऐक्ट) वर्ष [[1968]] में पास हुआ था तथा इसे वर्ष [[1972]] में लागू किया गया। | ||
{धान के बंका कीट की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टेयर दस प्रतिशत बी.एच.सी. चूर्ण के कितने किलोग्राम कीटनाशी की आवश्यकता होती | {[[धान]] के बंका कीट की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टेयर दस प्रतिशत बी.एच.सी. चूर्ण के कितने किलोग्राम कीटनाशी की आवश्यकता होती है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-49,प्रश्न-42 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+25 | +25 कि.ग्रा. | ||
-10 | -10 कि.ग्रा. | ||
-20 | -20 कि.ग्रा. | ||
-15 | -15 कि.ग्रा. | ||
||धान का बंका या पत्ती लपेटने वाले कीट की रोकथाम के लिए बी.एच.सी. 10% धूलि का 25 से 30 | ||[[धान]] का बंका या पत्ती लपेटने वाले कीट की रोकथाम के लिए बी.एच.सी. 10% धूलि का 25 से 30 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर बुरकना चाहिए। | ||
{मैदानी क्षेत्रों में चुकंदर की खेती की जाती है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-70,प्रश्न-112 | {मैदानी क्षेत्रों में [[चुकंदर]] की खेती की जाती है- (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-70,प्रश्न-112 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[ख़रीफ़ की फ़सल|ख़रीफ़]] में | ||
+रबी में | +[[रबी की फ़सल|रबी]] में | ||
- | -[[ज़ायद की फ़सल|ज़ायद]] में | ||
-इनमें से कोई नहीं | -इनमें से कोई नहीं | ||
{भारत में प्रथम कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना हुई थी | {[[भारत]] में प्रथम कृषि विज्ञान केन्द्र की स्थापना कहाँ हुई थी? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-73,प्रश्न-27 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-मुम्बई | -[[मुम्बई]] | ||
-पोर्ट ब्लेयर | -[[पोर्ट ब्लेयर]] | ||
+पुदुचेरी | +[[पुदुचेरी]] | ||
- | -[[फ़्राँस]] | ||
||भारत में लगभग 500 से अधिक कृषि विज्ञान केन्द्र बन चुके है। सर्वप्रथम कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना पुदुचेरी में की गयी थी। | ||[[भारत]] में लगभग 500 से अधिक कृषि विज्ञान केन्द्र बन चुके है। सर्वप्रथम कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना [[पुदुचेरी]] में की गयी थी। | ||
{फल एवं सब्जियों का संरक्षण करने हेतु स्थायी संरक्षक मिलाया जाता है | {[[फल]] एवं [[सब्जियाँ|सब्जियों]] का संरक्षण करने हेतु निम्न में से कौन-सा स्थायी संरक्षक मिलाया जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-78,प्रश्न-107 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सोडियम क्लोराइड | -सोडियम क्लोराइड | ||
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-पोटैशियम सल्फेट | -पोटैशियम सल्फेट | ||
-शर्करा | -शर्करा | ||
||फल एवं सब्जियों के संरक्षण के लिए पोटैशियम मेटाबाइसल्फेट का प्रयोग किया जाता है तथा कभी-कभी शर्करा का प्रयोग भी किया जाता है। | ||[[फल]] एवं [[सब्जियाँ|सब्जियों]] के संरक्षण के लिए पोटैशियम मेटाबाइसल्फेट का प्रयोग किया जाता है तथा कभी-कभी [[शर्करा]] का प्रयोग भी किया जाता है। | ||
{निम्न में ग्लिसराइड कौन है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-82,प्रश्न-37 | {निम्न में ग्लिसराइड कौन है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-82,प्रश्न-37 | ||
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-केटेचोल | -केटेचोल | ||
{गन्ना+आलू की | {[[गन्ना]]+[[आलू]] की सहफ़सल प्रणाली किस ऋतु की है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-76,प्रश्न-67 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+शरदकालीन | +[[शरद ऋतु|शरदकालीन]] | ||
-जायद | -[[ज़ायद की फसल|जायद]] | ||
-वसंतकालीन | -[[वसंत ऋतु|वसंतकालीन]] | ||
-वर्षाकालीन | -[[वर्षा ऋतु|वर्षाकालीन]] | ||
||आलू+ गन्ना की सहफ़सली पद्धति को सिनरजेनिक पद्धति कहते हैं। इसमें गन्ना और आलू का उत्पादन शुद्ध फ़सल की तुलना में अधिक होता है। इसे सर्दी के मौसम में उगाया जाता है। | ||[[आलू]]+ [[गन्ना]] की सहफ़सली पद्धति को सिनरजेनिक पद्धति कहते हैं। इसमें गन्ना और आलू का उत्पादन शुद्ध फ़सल की तुलना में अधिक होता है। इसे [[सर्दी]] के [[मौसम]] में उगाया जाता है। | ||
{भारत में गेहूँ का जीन बैंक कहाँ स्थित है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-48 | {[[भारत]] में [[गेहूँ]] का जीन बैंक कहाँ स्थित है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-83,प्रश्न-48 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-आई.ए.आर.आई, नई | -आई. ए. आर. आई, [[नई दिल्ली]] | ||
+करनाल | +[[करनाल]] | ||
-लुधियाना | -[[लुधियाना]] | ||
-कानपुर | -[[कानपुर]] | ||
||नई दिल्ली-मक्का का जीन, करनाल-गेहूँ, लुधियाना-मक्का कीट-पतंगों के नियन्त्रण के लिए, कानपुर-भारतीय दलहन अनुसंधान केन्द्र | ||[[नई दिल्ली]] -[[मक्का]] का जीन, [[करनाल]] -[[गेहूँ]], [[लुधियाना]] -[[मक्का]] कीट-पतंगों के नियन्त्रण के लिए, [[कानपुर]] -भारतीय दलहन अनुसंधान केन्द्र | ||
{गुलाबी कीट शत्रु है | {गुलाबी कीट निम्न में से किसका शत्रु है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-87,प्रश्न-107 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सरसों | -सरसों | ||
+कपास | +[[कपास]] | ||
-भिण्डी | -[[भिण्डी]] | ||
-चना | -[[चना]] | ||
||गुलाबी कीट-कपास, आरा मक्खी-सरसों, फल मक्खी-भिण्डी, घाड बोरर-चना | ||गुलाबी कीट- [[कपास]], आरा मक्खी- सरसों, फल मक्खी- [[भिण्डी]], घाड बोरर- [[चना]] | ||
{धान के पुआल में नाइट्रोजन कितना पाया जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-33,प्रश्न-43 | {धान के पुआल में नाइट्रोजन कितना पाया जाता है? (कृषि सामान्य ज्ञान,पृ.सं-33,प्रश्न-43 |
13:04, 2 अप्रैल 2017 का अवतरण
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