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==सलीम के विद्रोह==
==सलीम के विद्रोह==
अकबर ने 50 वर्ष तक शासन किया था। उस दीर्घ काल में [[मानसिंह]] और [[रहीम]] के अतिरिक्त उसके सभी विश्वसनीय सरदार−सामंतों का देहांत हो गया था। [[अबुल फ़ज़ल]], [[बीरबल]], [[टोडरमल]], पृथ्वीराज जैसे प्रिय दरबारी परलोक जा चुके थे। उसके दोनों छोटे पुत्र [[मुराद बख़्श|मुराद]] और [[शहज़ादा दानियाल]] का देहांत हो चुका था। पुत्र सलीम (बाद में मुग़ल बादशाह [[जहाँगीर]]) शेष था; किंतु वह अपने [[पिता]] के विरुद्ध सदैव षड्यंत्र और विद्रोह करता रहा था। जब तक अकबर जीवित रहा, तब तक सलीम अपने दुष्कृत्यों से उसे दु:खी करता रहा; किंतु अकबर सदैव सलीम के अपराधों को क्षमा करता रहा और उसे अधिक कुछ नहीं कहा।
अकबर ने 50 वर्ष तक शासन किया था। उस दीर्घ काल में [[मानसिंह]] और [[रहीम]] के अतिरिक्त उसके सभी विश्वसनीय सरदार−सामंतों का देहांत हो गया था। [[अबुल फ़ज़ल]], [[बीरबल]], [[टोडरमल]], पृथ्वीराज जैसे प्रिय दरबारी परलोक जा चुके थे। उसके दोनों छोटे पुत्र [[मुराद बख़्श|मुराद]] और [[शहज़ादा दानियाल]] का देहांत हो चुका था। पुत्र सलीम (बाद में मुग़ल बादशाह [[जहाँगीर]]) शेष था; किंतु वह अपने [[पिता]] के विरुद्ध सदैव षड्यंत्र और विद्रोह करता रहा था। जब तक अकबर जीवित रहा, तब तक सलीम अपने दुष्कृत्यों से उसे दु:खी करता रहा; किंतु अकबर सदैव सलीम के अपराधों को क्षमा करता रहा और उसे अधिक कुछ नहीं कहा।

14:13, 30 जून 2017 का अवतरण

अकबर विषय सूची
अकबर की मृत्यु
अकबर
अकबर
पूरा नाम जलालउद्दीन मुहम्मद अकबर
जन्म 15 अक्टूबर सन 1542 (लगभग)
जन्म भूमि अमरकोट, सिन्ध (पाकिस्तान)
मृत्यु तिथि 27 अक्टूबर, सन 1605 (उम्र 63 वर्ष)
मृत्यु स्थान फ़तेहपुर सीकरी, आगरा
पिता/माता हुमायूँ, मरियम मक़ानी
पति/पत्नी मरीयम-उज़्-ज़मानी (हरका बाई)
संतान जहाँगीर के अलावा 5 पुत्र 7 बेटियाँ
शासन काल 27 जनवरी, 1556 - 27 अक्टूबर, 1605 ई.
राज्याभिषेक 14 फ़रवरी, 1556 कलानपुर के पास गुरदासपुर
युद्ध पानीपत, हल्दीघाटी
राजधानी फ़तेहपुर सीकरी आगरा, दिल्ली
पूर्वाधिकारी हुमायूँ
उत्तराधिकारी जहाँगीर
राजघराना मुग़ल
मक़बरा सिकन्दरा, आगरा
संबंधित लेख मुग़ल काल

मुग़ल बादशाह अकबर अपनी योग्यता, वीरता, बुद्धिमत्ता और शासन−कुशलता के कारण ही एक बड़े साम्राज्य का निर्माण कर सका था। उसका यश, वैभव और प्रताप अनुपम था। इसलिए उसकी गणना भारतवर्ष के महान् सम्राटों में की जाती है। उसका अंतिम काल बड़े क्लेश और दु:ख में बीता था।

सलीम के विद्रोह

अकबर ने 50 वर्ष तक शासन किया था। उस दीर्घ काल में मानसिंह और रहीम के अतिरिक्त उसके सभी विश्वसनीय सरदार−सामंतों का देहांत हो गया था। अबुल फ़ज़ल, बीरबल, टोडरमल, पृथ्वीराज जैसे प्रिय दरबारी परलोक जा चुके थे। उसके दोनों छोटे पुत्र मुराद और शहज़ादा दानियाल का देहांत हो चुका था। पुत्र सलीम (बाद में मुग़ल बादशाह जहाँगीर) शेष था; किंतु वह अपने पिता के विरुद्ध सदैव षड्यंत्र और विद्रोह करता रहा था। जब तक अकबर जीवित रहा, तब तक सलीम अपने दुष्कृत्यों से उसे दु:खी करता रहा; किंतु अकबर सदैव सलीम के अपराधों को क्षमा करता रहा और उसे अधिक कुछ नहीं कहा।

उत्तराधिकारी

जब अकबर सलीम के बार-बार किये जाने वाले विद्रोहों से तंग आ गया, तब अपने उत्तर काल में उसने उसके बड़े बेटे शाहज़ादा ख़ुसरो को अपना उत्तराधिकारी बनाने का विचार किया था। किंतु अकबर ने ख़ुसरो को अपना उत्तराधिकारी नहीं बनाया, लेकिन उस महत्त्वाकांक्षी युवक के मन में राज्य की जो लालसा जागी, वह उसकी अकाल मृत्यु का कारण बनी। जब अकबर अपनी मृत्यु−शैया पर था, उस समय उसने सलीम के सभी अपराधों को क्षमा कर दिया और अपना ताज एवं खंजर देकर उसे ही अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। उस समय अकबर की आयु 63 वर्ष और सलीम की 38 वर्ष थी।

मृत्यु

अकबर का देहावसान अक्टूबर, सन 1605 ई. में हुआ। उसे आगरा के पास सिकंदरा में दफ़नाया गया, जहाँ उसका कलापूर्ण मक़बरा बना हुआ है। अकबर के बाद सलीम जहाँगीर के नाम से मुग़ल साम्राज्य का अगला बादशाह नियुक्त हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख