"राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा": अवतरणों में अंतर

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* हिन्दीतर प्रदेशों में राष्ट्रभाषा शिक्षण केंद्र, राष्ट्रभाषा विद्यालय एवं राष्ट्रभाषा महाविद्यालय चल रहे हैं।  
* हिन्दीतर प्रदेशों में राष्ट्रभाषा शिक्षण केंद्र, राष्ट्रभाषा विद्यालय एवं राष्ट्रभाषा महाविद्यालय चल रहे हैं।  
* समिति से संबद्ध 674 शिक्षण केंद्र, 3 महाविद्यालय, प्रादेशिक कार्यालयों के अंतर्गत चलते हैं।  
* समिति से संबद्ध 674 शिक्षण केंद्र, 3 महाविद्यालय, प्रादेशिक कार्यालयों के अंतर्गत चलते हैं।  
* राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा द्वारा आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन [[जनवरी]] [[1975]] में [[नागपुर]] में संपन्न हुआ। सम्मलेन में विभिन्न देशों के विद्वान सम्मिलित हुए थे। इस सम्मेलन की अध्यक्षता मॉरीशस के प्रधानमंत्री  शिवसागर रामगुलाम जी ने की थी तथा इसका उद्घाटन भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती [[इन्दिरा गांधी]] ने किया था। कमलापति त्रिपाठी जी की अध्यक्षता में माननीय [[जगजीवन राम|जगजीवन राम जी]] के हाथों से विश्व हिन्दी विद्यापीठ का शिलान्यास संपन्न हुआ।  
* राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा द्वारा आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन [[जनवरी]] [[1975]] में [[नागपुर]] में संपन्न हुआ। सम्मलेन में विभिन्न देशों के विद्वान् सम्मिलित हुए थे। इस सम्मेलन की अध्यक्षता मॉरीशस के प्रधानमंत्री  शिवसागर रामगुलाम जी ने की थी तथा इसका उद्घाटन भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती [[इन्दिरा गांधी]] ने किया था। कमलापति त्रिपाठी जी की अध्यक्षता में माननीय [[जगजीवन राम|जगजीवन राम जी]] के हाथों से विश्व हिन्दी विद्यापीठ का शिलान्यास संपन्न हुआ।  
* इसी समिति के तत्वावधान में तृतीय विश्व हिन्दी सम्मेलन का [[1983]] में आयोजन किया गया। <ref>{{cite web |url=http://www.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80_%E0%A4%95%E0%A5%80_%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A5%88%E0%A4%9A%E0%A5%8D%E0%A4%9B%E0%A4%BF%E0%A4%95_%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%81_-%E0%A4%B6%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B5_%E0%A4%B2%E0%A5%8B%E0%A4%82%E0%A4%A2%E0%A5%87 |title=हिन्दी की स्वैच्छिक संस्थाएँ |accessmonthday=29 मार्च |accessyear=2014 |last=लोंढे  |first=शंकरराव |authorlink= |format= |publisher=भारतकोश |language= हिंदी}}</ref>
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राष्ट्रभाषा प्रचार समिति महाराष्ट्र के वर्धा में स्थित एक हिंदी सेवी संस्था है।

स्थापना

सन् 1936 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और राजर्षि टंडन जी की प्रेरणा से राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की स्थापना हुई थी। देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में जिस समिति का गठन हुआ उसमें महात्मा गांधी, पं. जवाहरलाल नेहरू, राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन, आचार्य नरेंद्र देव, काका कालेलकर, पं. माखन लाल चतुर्वेदी, सेठ जमनालाल बजाज आदि प्रमुख देश के गण्यमान्य नेता थे।

उद्देश्य

हिन्दी प्रचार की यह संस्था राष्ट्रीय भावनाओं की उद्बुद्ध करने एवं समग्र भारतीयों के हृदय में एकात्मकता को उभारने का उद्देश्य लेकर स्थापित हुई। इसी उद्देश्य को दृष्टि में रखकर ‘एक हृदय हो भारत जननी’ को उसने अपना उद्घोष वाक्य बनाया।

विशेषताएँ

  • भारत के विभिन्न प्रदेशों में हिन्दी का प्रचार करने के लिए 17 प्रादेशिक समितियों का गठन किया गया। ये समितियाँ वर्धा समिति से प्रत्यक्ष संपर्क रखकर हिन्दी प्रचार का कार्य कर रही है। इसके अतिरिक्त भारत से बाहर अन्य देशों में भी हिन्दी प्रचार कार्य आगे बढ़ा है जिनमें दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, बर्मा, मॉरिशस, अरब, चेकोस्लोवाकिया, सूरिनाम आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
  • समिति द्वारा संचालित राष्ट्रभाषा परिचय, राष्ट्रभाषा कोविद तथा राष्ट्रभाषा रत्न परीक्षाओं को भारत सरकार से क्रमश: एस. एस. सी. इंटर तथा बी. ए. के समकक्ष स्थायी मान्यता प्राप्त है।
  • आज तक समिति की परीक्षाओं में लगभग 63 लाख परीक्षार्थी सम्मिलित हुए हैं।
  • हिन्दीतर प्रदेशों में राष्ट्रभाषा शिक्षण केंद्र, राष्ट्रभाषा विद्यालय एवं राष्ट्रभाषा महाविद्यालय चल रहे हैं।
  • समिति से संबद्ध 674 शिक्षण केंद्र, 3 महाविद्यालय, प्रादेशिक कार्यालयों के अंतर्गत चलते हैं।
  • राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा द्वारा आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन जनवरी 1975 में नागपुर में संपन्न हुआ। सम्मलेन में विभिन्न देशों के विद्वान् सम्मिलित हुए थे। इस सम्मेलन की अध्यक्षता मॉरीशस के प्रधानमंत्री शिवसागर रामगुलाम जी ने की थी तथा इसका उद्घाटन भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने किया था। कमलापति त्रिपाठी जी की अध्यक्षता में माननीय जगजीवन राम जी के हाथों से विश्व हिन्दी विद्यापीठ का शिलान्यास संपन्न हुआ।
  • इसी समिति के तत्वावधान में तृतीय विश्व हिन्दी सम्मेलन का 1983 में आयोजन किया गया। [1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. लोंढे, शंकरराव। हिन्दी की स्वैच्छिक संस्थाएँ (हिंदी) भारतकोश। अभिगमन तिथि: 29 मार्च, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

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