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राखी का जन्म 15 अगस्त, 1947 को एक बंगाली परिवार में [[पश्चिम बंगाल]] के [[नदिया|नदिया ज़िले]] में राणाघाट स्थान पर हुआ था। उनके बचपन का नाम राखी मजूमदार था, जिसको उन्होंने शादी के बाद बदलकर राखी गुलज़ार कर लिया था। राखी के जन्म के कुछ देर पहले ही [[भारत]] में आजादी की घोषणा हुई थी। उनके [[पिता]] का [[बांग्लादेश]] में जूतों का व्यापार हुआ करता था, किन्तु आजादी के बाद उन्होंने अपने व्यापार को पश्चिम बंगाल में शुरू किया। राखी ने अपनी प्रारम्भिक स्कूली शिक्षा राणाघाट के गर्ल्स स्कूल से की प्राप्त की थी। उनके एक बड़े भाई शिबरंजन मजूमदार भी हैं, जो [[बंगाली भाषा|बंगाली]] फ़िल्मों के निर्माता हैं।
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;विवाह
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कम उम्र में ही राखी ने [[1963]] में फ़िल्म निर्देशक अजय बिश्वास से [[विवाह]] किया। विवाह से पहले अजय बिश्वास एक जाने माने पत्रकार हुआ करते थे। राखी की यह शादी ज्यादा समय तक नहीं चली और उनका तलाक दो साल बाद [[1965]] में हो गया। तत्पश्चात उन्होंने [[15 मई]], [[1973]] में मशहूर गीतकार [[गुलज़ार]] से विवाह कर लिया। उनसे उन्हें एक बेटी मेघना गुलज़ार हुई। मेघना गुलज़ार [[माता]]-[[पिता]] के अलग होने के बाद अपने पिता गुलज़ार के साथ ही रहती हैं। मेघना इन दिनों बॉलीवुड की लोकप्रिय फ़िल्म निर्देशकों में गिनी जाती हैं।
कम उम्र में ही राखी ने [[1963]] में फ़िल्म निर्देशक अजय बिश्वास से [[विवाह]] किया। विवाह से पहले अजय बिश्वास एक जाने माने पत्रकार हुआ करते थे। राखी की यह शादी ज्यादा समय तक नहीं चली और उनका तलाक दो साल बाद [[1965]] में हो गया। तत्पश्चात् उन्होंने [[15 मई]], [[1973]] में मशहूर गीतकार [[गुलज़ार]] से विवाह कर लिया। उनसे उन्हें एक बेटी मेघना गुलज़ार हुई। मेघना गुलज़ार [[माता]]-[[पिता]] के अलग होने के बाद अपने पिता गुलज़ार के साथ ही रहती हैं। मेघना इन दिनों बॉलीवुड की लोकप्रिय फ़िल्म निर्देशकों में गिनी जाती हैं।
;गुलज़ार से दूरी
;गुलज़ार से दूरी
यह कहा जाता है कि राखी ने विवाह के कुछ समय बाद पति गुलज़ार को छोड़ दिया था, जिसकी वजह राखी का गुलज़ार को बिना बताए फ़िल्म ‘कभी-कभी’ ([[1976]]) में काम करना था और गुलज़ार नहीं चाहते थे कि राखी विवाह के बाद फ़िल्मों में काम करें। इस बात से नाराज़ होकर राखी ने गुलज़ार का घर हमेशा के लिये छोड़ दिया। हालांकि दोनों ने अब तक एक-दूसरे से तलाक तो नहीं लिया, लेकिन अलग जरूर रहते हैं, उस समय उनकी बेटी मेघना की उम्र महज एक [[वर्ष]] थी।
यह कहा जाता है कि राखी ने विवाह के कुछ समय बाद पति गुलज़ार को छोड़ दिया था, जिसकी वजह राखी का गुलज़ार को बिना बताए फ़िल्म ‘कभी-कभी’ ([[1976]]) में काम करना था और गुलज़ार नहीं चाहते थे कि राखी विवाह के बाद फ़िल्मों में काम करें। इस बात से नाराज़ होकर राखी ने गुलज़ार का घर हमेशा के लिये छोड़ दिया। हालांकि दोनों ने अब तक एक-दूसरे से तलाक तो नहीं लिया, लेकिन अलग जरूर रहते हैं, उस समय उनकी बेटी मेघना की उम्र महज एक [[वर्ष]] थी।

07:35, 7 नवम्बर 2017 का अवतरण

राखी गुलज़ार
राखी गुलज़ार
राखी गुलज़ार
पूरा नाम राखी गुलज़ार
जन्म 15 अगस्त, 1947
जन्म भूमि राणाघाट, नदिया ज़िला, पश्चिम बंगाल
पति/पत्नी अजय विस्वास (विवाह-1963, तलाक-1965); गुलज़ार (विवाह-1973)
संतान मेघना गुलज़ार
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र हिन्दी सिनेमा
मुख्य फ़िल्में 'शर्मिली', 'कभी-कभी', 'बंधन कच्चे धागों का', 'हीरा पन्ना', 'बनारसी बाबू', 'राम लखन', 'बाजीगर', 'करण अर्जुन', 'खलनायक' आदि।
पुरस्कार-उपाधि 'पद्मश्री' (2003), 'फ़िल्मफेयर अवॉर्ड' (तीन बार), 'राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार' (दो बार) आदि।
प्रसिद्धि अभिनेत्री
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख गुलज़ार, शशि कपूर, भारतीय सिनेमा
अन्य जानकारी 1970-1974 तक राखी बॉलीवुड में आशा पारेख के बाद दूसरी सबसे अधिक फ़ीस लेने वाली अभिनेत्री बनीं। फ़िल्म इंडस्ट्री में अपना यही स्थान उन्होंने 1975-1982 के दौर में लोकप्रिय अभिनेत्री परवीन बॉबी और रीना रॉय के समय में भी बनाए रखा।

राखी गुलज़ार (अंग्रेज़ी: Rakhee Gulzar, जन्म- 15 अगस्त, 1947, राणाघाट, पश्चिम बंगाल) भारतीय हिन्दी फ़िल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं। उन्होंने ने सत्तर और अस्सी के दशक में अपने अभिनय से सिने प्रेमियों को दीवाना बनाया। इनके बचपन का नाम 'राखी मजूमदार' था जो विवाह के बाद बदल कर 'राखी गुलज़ार' हो गया। 1971 में फ़िल्म 'शर्मीली' में राखी को पहली बार बॉलीवुड में डबल रोल करने का मिला था। इस फ़िल्म में उन्होंने शशि कपूर और धर्मेन्द्र के साथ अभिनय किया था। 1971 में ही उनकी दो फ़िल्में 'लाल पत्थर' और 'पारस' आई, जिसमें राखी ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इन दोनों फ़िल्मों को खूब सफलता मिली और इन फ़िल्मों के बाद से ही राखी बॉलीवुड की हसीन अदाकारों में शुमार हो गयीं। उन्हें फ़िल्मों में बेहतरीन योगदान देने की वजह से 2003 में 'पद्मश्री' और तीन बार फ़िल्मफेयर तथा दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

परिचय

राखी का जन्म 15 अगस्त, 1947 को एक बंगाली परिवार में पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले में राणाघाट स्थान पर हुआ था। उनके बचपन का नाम राखी मजूमदार था, जिसको उन्होंने शादी के बाद बदलकर राखी गुलज़ार कर लिया था। राखी के जन्म के कुछ देर पहले ही भारत में आजादी की घोषणा हुई थी। उनके पिता का बांग्लादेश में जूतों का व्यापार हुआ करता था, किन्तु आजादी के बाद उन्होंने अपने व्यापार को पश्चिम बंगाल में शुरू किया। राखी ने अपनी प्रारम्भिक स्कूली शिक्षा राणाघाट के गर्ल्स स्कूल से की प्राप्त की थी। उनके एक बड़े भाई शिबरंजन मजूमदार भी हैं, जो बंगाली फ़िल्मों के निर्माता हैं।

विवाह

कम उम्र में ही राखी ने 1963 में फ़िल्म निर्देशक अजय बिश्वास से विवाह किया। विवाह से पहले अजय बिश्वास एक जाने माने पत्रकार हुआ करते थे। राखी की यह शादी ज्यादा समय तक नहीं चली और उनका तलाक दो साल बाद 1965 में हो गया। तत्पश्चात् उन्होंने 15 मई, 1973 में मशहूर गीतकार गुलज़ार से विवाह कर लिया। उनसे उन्हें एक बेटी मेघना गुलज़ार हुई। मेघना गुलज़ार माता-पिता के अलग होने के बाद अपने पिता गुलज़ार के साथ ही रहती हैं। मेघना इन दिनों बॉलीवुड की लोकप्रिय फ़िल्म निर्देशकों में गिनी जाती हैं।

गुलज़ार से दूरी

यह कहा जाता है कि राखी ने विवाह के कुछ समय बाद पति गुलज़ार को छोड़ दिया था, जिसकी वजह राखी का गुलज़ार को बिना बताए फ़िल्म ‘कभी-कभी’ (1976) में काम करना था और गुलज़ार नहीं चाहते थे कि राखी विवाह के बाद फ़िल्मों में काम करें। इस बात से नाराज़ होकर राखी ने गुलज़ार का घर हमेशा के लिये छोड़ दिया। हालांकि दोनों ने अब तक एक-दूसरे से तलाक तो नहीं लिया, लेकिन अलग जरूर रहते हैं, उस समय उनकी बेटी मेघना की उम्र महज एक वर्ष थी।

फ़िल्मी शुरुआत

राखी गुलजार ने 1967 में 20 साल की उम्र से अपने करियर की शुरुआत बंगाली फ़िल्म ‘वधु वरण’ से की, उन्होंने अपने कॅरियर में बंगाली और हिंदी फ़िल्मों में काम किया। फ़िल्म 'वधु वरण' के दौरान राखी की अदाकारी से पहली बार सुनील दत्त प्रभावित हुए और वह उन्हें फ़िल्म ‘रेशमा और शेरा’ में मुख्य किरदार के तौर पर लेना चाहते थे, लेकिन इससे पहले ही राखी ने फ़िल्म ‘जीवन मृत्यु’ (1970) को साइन किया और फ़िल्म में उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई। यह फ़िल्म राखी की बॉलीवुड डेब्यू फ़िल्म थी, जिसको 'राजश्री प्रोडक्शन हाउस' की ओर से तैयार किया गया था।

सफलता

1970-1974 तक राखी बॉलीवुड में आशा पारेख के बाद दूसरी सबसे ज्यादा फीस लेने वाली अभिनेत्री बनीं। फ़िल्म इंडस्ट्री में अपना यही स्थान उन्होंने 1975-1982 के दौर में लोकप्रिय अभिनेत्री परवीन बॉबी और रीना रॉय के समय में भी बनाए रखा। 1971 में फ़िल्म ‘शर्मिली’ में राखी गुलज़ार को पहली बार बॉलीवुड फ़िल्मों में डबल रोल करने का मौका मिला। इसमें उन्होंने शशि कपूर और धर्मेन्द्र के साथ अभिनय किया। इसी साल उन्होंने फ़िल्म ‘लाल पत्थर’ और ‘पारस’ में भी मुख्य भूमिका निभाई। यह तीनों ही फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट हुई। इसी के साथ राखी बॉलीवुड की बेहतरीन अदाकाराओं में शामिल हो गईं।

प्रसिद्ध अभिनेताओं के साथ कार्य

राखी ने अपने फ़िल्मी कॅरियर में 95 से ज्यादा फ़िल्में कीं, जिसमें शशि कपूर के साथ सर्वाधिक 10 फ़िल्मों में काम किया, ये फ़िल्में थीं- शर्मिली’ (1971), ‘जानवर और इंसान’ (1972), ‘कभी-कभी’ (1976), ‘त्रिष्णा’ (1978), ‘बसेरा’ (1981), ‘पिघलता आसमान’ (1985), ‘बंधन कच्चे धागों का’ (1983), ‘बंध हौठ’ (1984), ‘जमीन आसमान’ (1984), ‘दूसरा आदमी’ (1977) और ‘एक दो तीन चार’। इसमें से 4 फ़िल्में उनकी बॉक्स ऑफिस पर असफल रहीं, 6 फ़िल्में सुपरहिट हुईं और एक फ़िल्म ‘एक दो तीन चार’ रिलीज ही नहीं हो सकी। यहां तक कि मुख्य अभिनेत्री के तौर पर उन्होंने अपनी आखिरी फ़िल्म ‘पिघलता आसमान’ भी 1985 में शशि कपूर के साथ की। राखी को पहली बार फ़िल्म ‘हीरा पन्ना’ (1973) से बॉलीवुड सुपरस्टार देव आनंद के साथ काम करने का मौका मिला। इसके अलावा उन्होंने फ़िल्म ‘बनारसी बाबू’, ‘जोशीला’ और ‘लूटमार’ में भी देव आनंद के साथ अभिनय किया। राखी ने फ़िल्म इंडस्ट्री को उस समय सबसे बड़ा झटका दिया, जब उन्होंने फ़िल्म ‘आंचल’ (1980) में राजेश खन्ना की भाभी के किरदार को निभाने के लिए कहा। यह फ़िल्म भाभी और देवर के रिश्ते पर आधारित थी। हालांकि बाद में बॉक्स ऑफिस पर यह फ़िल्म सुपर हिट साबित हुई।

विधवा माँ की भूमिका

1980 से 1990 के दौर में राखी ने फ़िल्मों में एक विधवा माँ के किरदार निभाने शुरू किए, जिसकी शुरुआत उन्होंने 1989 में बनी फ़िल्म ‘राम लखन’ से की। इस फ़िल्म में राखी के किरदार के साथ फ़िल्म में उनके संवाद को भी दर्शकों ने बेहद पसंद किया। इसके बाद उन्होंने फ़िल्म ‘अनाड़ी’ (1993), ‘बाजीगर’ (1993), ‘खलनायक’ (1993), ‘करण अर्जुन’ (1995), ‘बॉर्डर’ (1998) और ‘एक रिश्ता : द बॉन्ड ऑफ़ लव’ (2001) में भी दमदार माँ की भूमिका निभाई।

अंतिम फ़िल्म

राखी ने अपनी अंतिम फ़िल्म ‘शुभ मुहूर्त’ की, जो 2003 में बनी थी। इस फ़िल्म से उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस में दूसरा नेशनल अवॉर्ड भी मिला था। इन दिनों राखी फ़िल्मों में सक्रिय नहीं हैं। उनको हमेशा इस बात का अफसोस रहता है कि उन्होंने फ़िल्मों के दौरान बेहतरीन नृत्य नहीं सीखा। उनका कहना था कि यदि वह ऐसा कर पातीं तो वे अपने फ़िल्मी कॅरियर में कुछ और बेहतरीन फ़िल्मों को शामिल कर सकती थीं।

पुरस्कार व सम्मान

  1. राखी गुलज़ार को तीन बार 'फ़िल्मफेयर अवॉर्ड' मिल चुका है।
  2. 1973 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार फ़िल्म ‘दाग : अ पोयम ऑफ़ लव’ के लिए मिला था।
  3. 1976 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार फ़िल्म ‘तपस्या’ के लिए मिला।
  4. 1989 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार फ़िल्म ‘राम लखन’ के लिए मिला था।
  5. राखी गुलज़ार दो बार 'राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार' से भी सम्मानित हो चुकी हैं।
  6. वर्ष 2003 राखी को 'पद्मश्री पुरस्कार' से नवाजा गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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