"तद्भव": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
छो (Text replace - "उज्जवल" to "उज्ज्वल")
छो (Text replacement - "अर्थात " to "अर्थात् ")
 
पंक्ति 28: पंक्ति 28:
|}
|}


*'तद्भव' (तत् + भव) [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] का अर्थ है- 'उससे होना' अर्थात संस्कृत शब्दों से विकृत होकर (परिवर्तित होकर) बने शब्द।
*'तद्भव' (तत् + भव) [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] का अर्थ है- 'उससे होना' अर्थात् संस्कृत शब्दों से विकृत होकर (परिवर्तित होकर) बने शब्द।
*[[हिन्दी]] में अनेक शब्द ऐसे हैं, जो निकले तो [[संस्कृत]] से ही हैं, किंतु [[प्राकृत भाषा|प्राकृत]], [[अपभ्रंश भाषा|अपभ्रंश]], पुरानी हिन्दी से गुजरने के कारण बहुत बदल गए हैं।
*[[हिन्दी]] में अनेक शब्द ऐसे हैं, जो निकले तो [[संस्कृत]] से ही हैं, किंतु [[प्राकृत भाषा|प्राकृत]], [[अपभ्रंश भाषा|अपभ्रंश]], पुरानी हिन्दी से गुजरने के कारण बहुत बदल गए हैं।



07:44, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

संस्कृत के जो शब्द प्राकृत, अपभ्रंश, पुरानी हिन्दी आदि से गुजरने के कारण आज परिवर्तित रूप में मिलते हैं, वे तद्भव शब्द कहलाते हैं। जैसे-

क्रम संख्या संस्कृत प्राकृत हिन्दी
1. उज्ज्वल उज्ज्वल उजला
2. कर्पूर कप्पूर कपूर
3. संध्या संझा साँझ
4. हस्त हत्थ हाथ
  • 'तद्भव' (तत् + भव) शब्द का अर्थ है- 'उससे होना' अर्थात् संस्कृत शब्दों से विकृत होकर (परिवर्तित होकर) बने शब्द।
  • हिन्दी में अनेक शब्द ऐसे हैं, जो निकले तो संस्कृत से ही हैं, किंतु प्राकृत, अपभ्रंश, पुरानी हिन्दी से गुजरने के कारण बहुत बदल गए हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख