"नाकामी -साहिर लुधियानवी": अवतरणों में अंतर
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वही गेसू मेरी रातो पे है बिखरे-बिखरे, | वही गेसू मेरी रातो पे है बिखरे-बिखरे, | ||
वही | वही आँखें मेरी जानिब निगरां हैं अब तक। | ||
कसरते-गम भी मेरे गम का मुदावा न हुई, | कसरते-गम भी मेरे गम का मुदावा न हुई, |
05:23, 4 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
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मैने हरचन्द गमे-इश्क को खोना चाहा, |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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