संविधान संशोधन- 15वाँ

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संविधान संशोधन- 15वाँ
भारत का संविधान
भारत का संविधान
विवरण 'भारतीय संविधान' का निर्माण 'संविधान सभा' द्वारा किया गया था। संविधान में समय-समय पर आवश्यकता होने पर संशोधन भी होते रहे हैं। विधायिनी सभा में किसी विधेयक में परिवर्तन, सुधार अथवा उसे निर्दोष बनाने की प्रक्रिया को ही 'संशोधन' कहा जाता है।
संविधान लागू होने की तिथि 26 जनवरी, 1950
15वाँ संशोधन 1963
संबंधित लेख संविधान सभा
अन्य जानकारी 'भारत का संविधान' ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली के नमूने पर आधारित है, किन्तु एक विषय में यह उससे भिन्न है। ब्रिटेन में संसद सर्वोच्च है, जबकि भारत में संसद नहीं; बल्कि 'संविधान' सर्वोच्च है।

भारत का संविधान (15वाँ संशोधन) अधिनियम, 1963

  • भारत के संविधान में एक और संशोधन किया गया।
  • इस संशोधन द्वारा न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने और एक उच्च न्यायालय से दूसरे उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किए जाने वाले न्यायाधीशों को प्रतिपूरक भत्ता देने का उपबंध किया गया।
  • इस अधिनियम द्वारा सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के स्थान पर नियुक्त किए जाने की भी व्यवस्था की गई है।
  • अनुच्छेद 226 का भी विस्तार किया गया, ताकि उच्च न्यायालयों को यह शक्ति दी जा सके कि वे किसी प्राधिकारी को निर्देश, आदेश या हुक्मनामा (रिट) जारी कर सकें।
  • यदि ऐसी शक्ति के प्रयोग के लिए वाद का कारण उन राज्य क्षेत्रों में उत्पन्न हुआ हो, जिनमें वहाँ का उच्च न्यायालय क्षेत्राधिकार का प्रयोग करता है, चाहे उस सरकारी अधिकारी का स्थान इन राज्य क्षेत्रों के अंदर नहीं हो।
  • इस अधिनियम द्वारा सेवा आयोगों के अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उसकी शक्तियों का प्रयोग किसी एक सदस्य द्वारा किए जाने का भी प्रावधान है।


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