छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-16

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छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2 खण्ड-16
छान्दोग्य उपनिषद का आवरण पृष्ठ
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विवरण 'छान्दोग्य उपनिषद' प्राचीनतम दस उपनिषदों में नवम एवं सबसे बृहदाकार है। नाम के अनुसार इस उपनिषद का आधार छन्द है।
अध्याय द्वितीय
कुल खण्ड 24 (चौबीस)
सम्बंधित वेद सामवेद
संबंधित लेख उपनिषद, वेद, वेदांग, वैदिक काल, संस्कृत साहित्य
अन्य जानकारी सामवेद की तलवकार शाखा में छान्दोग्य उपनिषद को मान्यता प्राप्त है। इसमें दस अध्याय हैं। इसके अन्तिम आठ अध्याय ही छान्दोग्य उपनिषद में लिये गये हैं।

छान्दोग्य उपनिषद के अध्याय दूसरे का यह सोलहवाँ खण्ड है।

  • वसन्त ऋतु में वैराज साम को अधिष्ठित मानकर उपासना करने से सुसन्तति, पशु-सम्पदा और ब्रह्मतेज प्राप्त होता है। अत: ऋतुओं की कभी निन्दा नहीं करनी चाहिए।


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