जून
जून
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विवरण | ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का छ्ठा महीना है। |
हिंदी माह | ज्येष्ठ - आषाढ़ |
हिजरी माह | रजब - शाबान |
कुल दिन | 30 |
व्रत एवं त्योहार | गंगा दशहरा (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी), निर्जला एकादशी (ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी), शबबरात ('शाबान' की 14 तारीख ) |
जयंती एवं मेले | शनि जयंती, हेमिस महोत्सव (लद्दाख में), ग्रीष्म महोत्सव (राजस्थान में) |
महत्त्वपूर्ण दिवस | विश्व पर्यावरण दिवस (5), विश्व रक्तदान दिवस (14), पितृ दिवस (तीसरा रविवार), विश्व संगीत दिवस (21), नशा निरोधक दिवस (26) |
पिछला | मई |
अगला | जुलाई |
अन्य जानकारी | जून वर्ष के उन चार महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 30 होती है। |
जून (अंग्रेज़ी: June) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का छठा महीना है। यह वर्ष के उन चार महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 30 होती है। ग्रेगोरी कैलंडर, दुनिया में लगभग हर जगह उपयोग किया जाने वाला कालदर्शक (कैलंडर) या तिथिपत्रक है। यह जूलियन कालदर्शक का रूपातंरण है। ग्रेगोरी कालदर्शक की मूल इकाई दिन होता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, किन्तु हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है जिसे अधिवर्ष (लीप का साल) कहते हैं। सूर्य पर आधारित पंचांग हर 146,097 दिनों बाद दोहराया जाता है। इसे 400 वर्षों मे बाँटा गया है, और यह 20871 सप्ताह (7 दिनों) के बराबर होता है। इन 400 वर्षों में 303 वर्ष आम वर्ष होते हैं, जिनमें 365 दिन होते हैं। और 97 लीप वर्ष होते हैं, जिनमें 366 दिन होते हैं। इस प्रकार हर वर्ष में 365 दिन, 5 घंटे, 49 मिनट और 12 सेकंड होते है। इसे पोप ग्रेगोरी ने लागू किया था।
जून माह के पर्व एवं त्योहार
निम्नलिखित पर्व एवं त्योहार (गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी ) अधिकांशत जून माह में पड़ते हैं। स्मरणीय तथ्य यह है कि हिन्दुओं के पर्व एवं त्योहारों का संबंध ग्रेगोरी कैलंडर से न होकर विक्रम संवत से होता है।
हेमिस महोत्सव
जून माह में लद्दाख के सबसे बड़े बौद्ध विहार हेमिस का परिसर हेमिस महोत्सव से रंगीन हो उठता है। इस अवसर पर वे गुरु पद्मसम्भव का जन्मदिन मनाते हैं। लम्बे सींगों के साथ मुखौटों से सुशोभित नर्तक विशेष प्रकार की ढोल के साथ नृत्य करते हैं तो यह समां देखते ही बनता है। इस अवसर पर हस्तकला की कृतियों से भरा हुआ मेला दर्शकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केन्द्र होता है।
ग्रीष्म महोत्सव
हर साल जून के महीने में राजस्थान के माउंट आबू शहर की पन्ने सी हरी पहाड़ियों, नीलम सी नीली झीलों नयनाभिराम वादियों और मनोरम जलवायु में ग्रीष्म महोत्सव मनाया जाता है। तीन दिनों के इस उत्सव में शास्त्रीय संगीत लोक नृत्य दर्शकों के लिए भारत के सांस्कृतिक और लोक जीवन की एक खिड़की खोल देते हैं। कार्यक्रम का आरंभ लोक गीतों से होता है और गैर, घूमर और ढाप एक के बाद एक आपका दिल जीत लेते हैं। खेल कार्यक्रम जैसे नक्की झील में नौका दौड़ तथा संगीत कार्यक्रम जैसे शाम-ए-ग़ज़ल का लोगों को बेसब्री से इंतज़ार रहता है। कार्यक्रम ज़बरदस्त समापन होता है बेहतरीन आतिशबाज़ी से जो सभी पर्यटकों का मन मोह लेता है।
गंगा दशहरा
प्रतिवर्ष ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है। संपूर्ण उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार एवं भारत के अन्य क्षेत्रों में इस दिन विशेष आयोजन किये जाते हैं। ऋषिकेश, हरिद्वार, वाराणसी, इलाहाबाद, चित्रकूट एवं गंगा के किनारे बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। वराह पुराण के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल दशमी बुधवारी में हस्त नक्षत्र में श्रेष्ठ नदी स्वर्ग से अवतीर्ण हुई थी वह दस पापों को नष्ट करती है। इस कारण उस तिथि को दशहरा कहते हैं। गंगा के किनारे विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, संध्या काल मे तो इसकी शोभा अवर्णनीय सुंदर बन जाती है, गंगा के किनारे को दीपो से, फूलों से, रंगोली एवं अन्य प्रकार से सजाया जाता हैं। श्रद्धालु गंगा में स्नान करते हैं।
सिंधु दर्शन महोत्सव
सिंधु दर्शन महोत्सव तथा यात्रा को लेह-लद्दाख क्षेत्र में हर वर्ष सिंधु नदी के उद्गम स्थल सिंधु घाट में जून के अंतिम सप्ताह में आयोजित किया जाता है। वर्ष 1996 में आरम्भ की गई इस यात्रा में देश के कोने कोने से आए हुए पर्यटक भाग लेते हैं। वैदिक संस्कृति का प्रतीक मानी जाने वाली सिंधु नदी के पावन जल को नमन, सांस्कृतिक संध्या तथा झूलेलाल का पूजन इस महोत्सव के प्रमुख आकर्षण होते हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जून माह के पर्व (हिंदी) अभिव्यक्ति। अभिगमन तिथि: 2 जून, 2013।
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