बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन, पटना
बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन एक हिन्दी सेवी संस्था है, जो पटना (बिहार) में स्थित है। इसकी स्थापना सन 1919 ई. में की गई थी।
कार्य एवं विभाग
- बदरीनाथ सर्वभाषा महाविद्यालय
इसकी स्थापना आचार्य बदरीनाथ वर्मा के सम्मान में हुई। उद्घाटन समारोह बिहार के तत्कालीन राज्यपाल आर. आर. दिवाकर द्वारा 1 मई, 1956 ई. को सम्पन्न हुआ था। विद्यालय में विभिन्न देशी तथा विदेशी भाषाओं के अध्ययन का समुचित प्रबन्ध है, जिनमें जर्मन, फ्रेंच,रूसी, तेलुगु और हिन्दी (अहिन्दी भाषियों के लिए) मुख्य हैं।[1]
- बच्चनदेवी साहित्य गोष्ठी
इसकी स्थापना 4 जुलाई, 1954 ई. को आचार्य शिवपूजन सहाय की दिवंगता पत्नी श्रीमती बच्चनदेवी की पुण्य स्मृति में हुई। उद्घाटन राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन ने किया। देश के प्रमुख साहित्य चिंतक समय-समय पर इस गोष्ठी के मुख्य अतिथि पद को सुशोभित कर चुके हैं।
प्रकाशन
शोध समीक्षा प्रधान त्रैमासिक 'साहित्य' प्रकाशित होता है। इसके अतिरिक्त, 'साहित्य-सम्मेलन का इतिहास', 'बिहार की साहित्यिक प्रगति', 'उर्दू शायरी और बिहार', 'हिन्दी-फ्रांसीसी स्वयं शिक्षक' आदि महत्त्वपूर्ण ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं।
अनुशीलन
इस विभाग में अध्ययन-अनुसन्धान का कार्य होता है।
पुस्तकालय और वाचनालय
पुस्तकालय में 11631 पुस्तकें हैं। वाचनालय में 7 दैनिक, 3 पाक्षिक, 23 साप्ताहिक, 27 मासिक, 3 त्रैमासिक पत्र-पात्रिकाएँ आती हैं।[1]
कलाकेन्द्र
इसमें 30 से अधिक छात्राएँ कण्ड-संगीत, वाद्य-संगीत तथा विविध नृत्यों का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकती हैं। 'विष्णु दिगम्बर संगीत-समिति' (प्रयाग) की विविध परीक्षाओं में 25 छात्राएँ 1959 ई. में उत्तीर्ण हुई। बिहार में एक ही स्थान पर शास्त्रीय नृत्य, गायन और वादन तथा नाट्यकला की शिक्षा सुलभ करने का श्रेय इस कला केन्द्र को ही है।
प्रचार विभाग
'हिन्दी दिवस' तथा अन्य साहित्यिक राजभाषा एवं राष्ट्रभाषा के पद पर व्यावहारिक रूप से प्रतिष्ठित करने के लिए सम्मेलन सचेष्ट है। ज़िला सम्मेलनों का सुदृढ़ संगठन बनाया जा रहा है। शाहाबाद, सारन, पूर्णिया, दरभंगा, हज़ारीबाग़, धनबाद, सिंहभूमि, मुंगेर, चम्पारन, सहरसा और भागलपुर में ये संगठन स्थापित हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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