समुद्र व्रत
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हिना गोस्वामी (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:35, 11 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- समुद्रव्रत चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है।
- समुद्रव्रत सात दिनों तक प्रतिदिन रखना चाहिए।
- समुद्रव्रत में लवण, दूध, घी, दघिमण्ड, जल मिश्रित मदिरा, गन्ना के रस एवं मीठे दही से पूजा करनी चाहिए।
- रात्रि में हविष्य भोजन करना चाहिए।
- घी से होम करन चाहिए।
- समुद्र व्रत एक वर्ष तक करना चाहिए।
- अन्त में एक दुधारू गाय का दान करना चाहिए।
- राजा सम्पूर्ण विश्व का अधिपति हो जाता है।
- ऐसी मान्यता है कि समुद्रव्रत से स्वास्थ्य, धन एवं स्वर्ग की प्राप्ति होती है।[1]
- कभी-कभी समुद्र के सात प्रकार कहे गये हैं, यथा वायु पुराण[2] एवं कूर्मपुराण[3] में लवण, ईख के रस, मद्य, दूध, घी, दही एवं जल के समुद्र।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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