रत्ना की बात -रांगेय राघव

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:45, 24 जनवरी 2013 का अवतरण (''''रत्ना की बात''' एक उपन्यास है, जो भारत के प्रसिद्ध स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

रत्ना की बात एक उपन्यास है, जो भारत के प्रसिद्ध साहित्यकारों में गिने जाने वाले रांगेय राघव द्वारा लिखा गया था। यह उपन्यास 1 जनवरी, 2005 को प्रकाशित हुआ था। इसका प्रकाशन 'राजपाल एंड संस' द्वारा हुआ था। उपन्यास 'रत्ना की बात' मध्यकालीन हिन्दी कविता के अग्रणी भक्त कवि और 'रामचरितमानस' के अमर गायक गोस्वामी तुलसीदास के जीवन पर आधारित है, जिसमें महाकवि की लोक मंगल की भावना को केन्द्र में रखने के साथ-साथ तुलसीदास के घरबार और उनके जीवन संघर्ष को फ्लैशबैक तकनीक से इस तरह उभारा गया है कि उस समय का समूचा समाज, युगीन प्रश्न और उस सबके बीच कवि की सामाजिक-सांस्कृतिक भूमिका का एक जीवंत चित्र पाठक के मानसपटल पर सजीव हो उठता है।

  • सबसे दिलचस्प बात यह भी है कि इस उपन्यास के केन्द्र में तुलसीदास तो हैं ही, उनकी पत्नी रत्नावली का स्थान भी कुछ कम नहीं है, अर्थात पुरुष और प्रकृति का ठीक सन्तुलन।
  • न केवल 'रत्ना की बात' अपितु इस श्रृंखला के अधिकांश उपन्यासों का महत्त्व इतिहास समाज और संस्कृति के विकास में पुरुष के साथ-साथ स्त्री का महत्त्व निरूपित करने के लिए भी है।
  • रांगेय राघव का यह उपन्यास तुलसीदास और रत्नावली के माध्यम से मध्यकालीन हिन्दी भक्ति काव्य का एक जीवन्त और हार्दिक चित्र प्रस्तुत करता है, जो पाठक को अन्त तक बांधे रहता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख