पुरातत्वीय संग्रहालय, नालन्दा

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पुरातत्वीय संग्रहालय, नालन्दा बिहार के नालन्दा ज़िले में स्थित है। 1917 में स्‍थापित इस संग्रहालय में मुख्‍यत: सबसे पहले विश्‍वविद्यालय-सह-विहार परिसर नालंदा तथा राजगीर से उत्‍खनित पुरावस्‍तुएं रखी गई हैं।

विशेषताएँ

  • 13463 पुरावस्‍तुओें में से 349 वस्‍तुएं संग्रहालय की चार दीर्घाओं में प्रदर्शित हैं।
  • नालंदा से प्राप्‍त पुरावस्‍तुएं 5वीं से 12वीं शताब्‍दी ईसवी की हैं, किंतु राजगीर से प्राप्‍त कुछ पुरावस्‍तुएं इससे भी थोड़े पहले समय की हैं।
  • इस संग्रहालय में रखी गई मूर्तियां पत्‍थर, कांस्‍य, संगमरमर के चूने, और टेराकोटा की बनी हैं, किंतु इनमें से अधिकतर बैसाल्‍ट पत्‍थर पर उत्‍कीर्ण की गई हैं।
  • अधिकतर मूर्तियां बौद्ध मत की हैं, परंतु जैन या हिन्दू धर्म से संबंधित मूर्तियां भी अच्‍छी संख्‍या में हैं।
  • मुख्‍य दीर्घा में सोलह मूर्तियां प्रदर्शित हैं जिनमें से त्रैलोक्‍य विजय (एक वज्रायन देव), बोधिसत्‍व अवलोकितेश्‍वर, मैत्रेय वरद, धर्मचक्र और भूमिस्‍पर्श मुद्रा में बुद्ध, सामंतभद्र, पार्श्‍वनाथ और नागराज उल्‍लेखनीय हैं।
  • नालंदा विश्‍वविद्यालय के उत्‍खनित अवशेषों का एक मानधारी मॉडल कक्ष के केन्‍द्र में स्‍थित है।
  • प्रथम दीर्घा में 57 चित्र और मूर्तियां प्रदर्शित हैं। खसर्पणा हेरूका, मारिची, वागेश्‍वरी, वैशाली-मिर्कल, वरद मुद्रा में बुद्ध, श्रावस्ती का चमत्‍कार, सूर्य, लक्ष्मी, गणेश, शिव-पार्वती, कुबेर और ऋषभनाथ से संबंधित चित्र और मूर्तियां महत्‍वपूर्ण हैं।
  • द्वितीय दीर्घा में टेराकोटा, संगमरमर के चूने, लोहे के औजार और अभिलेख समेत एक सौ सैंतालिस (147) विविध वस्‍तुएं प्रदर्शित हैं।
  • श्री नालंदा महाविहारिया आर्या भिक्षु संघस्‍य की गाथा वाली टेराकोटा मुद्रा, यशोवर्मन, विपुल श्रीमित्र के पूर्णवर्मन के शिलालेख, निदानसुत्‍ता की खंडात्‍मक पट्टियां, स्वास्तिक और कार्तिकमुख को दर्शाने वाली टेराकोटा की टाईल्‍स, धर्मचक्र, पीपल के पत्‍ते के मूलभाव में मन्‍नत वाले स्तूप और जले हुए चावल का नमूना इस दीर्घा में मौजूद कुछ उल्‍लेखनीय वस्‍तुएं हैं।
  • केन्‍द्रीय प्रदर्शन मंजूषा में राजगीर से प्राप्‍त सर्प-पूजा से संबंधित अनेक मुखों वाला बर्तन प्रदर्शित है।
  • तृतीय दीर्घा में कुल मिलाकर कांस्‍य के तिरानबे (93) नमूने प्रदर्शित किए गए हैं।
  • वरदान देने वाली मुद्रा में बुद्ध के दो चित्र, तारा, प्रज्ञापरमिता, लोकनाथ, बोधिसत्‍व पद्मपाणि, भूमि-स्‍पर्श मुद्रा में बुद्ध, बौद्ध मंदिर इत्‍यादि के चित्र बौद्ध मत से संबंधित कुछ महत्‍वपूर्ण चित्र हैं जबकि गणेश, सूर्य, कामदेव, इन्द्राणी और विष्णु इत्‍यादि के चित्र ब्राह्मण धर्म से संबंधित चित्र के उदाहरण हैं।
  • चतुर्थ दीर्घा में रखी गई छत्‍तीस (36) पाषाण मूर्तियों और चित्रों में से कल्‍पद्रुम की आराधना करते किन्‍नर (2 पैनल), विष्‍णु, बुद्ध के जीवन की महत्‍वपूर्ण घटनाओं के साथ प्रवचन मुद्रा में मुकुटधारी बुद्ध, आठ घटनाओं के साथ भूमिस्‍पर्श मुद्रा में बुद्ध, मरीचि, वज्रपाणि और पद्मपाणि बोधिसत्‍व उल्‍लेखनीय हैं।
  • नालंदा के विहार परिसर से पाए गए दो विशाल पात्र एक अलग शाला में प्रदर्शित किए गए हैं।
  • पाषाण मूर्तियों और चित्रों, टेराकोटा, कांस्‍य तथा अन्‍य पुरावस्‍तुओं की समृद्ध संपदा इसके आरक्षित संग्रह में परिरक्षित है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संग्रहालय-नालंदा (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 7 फ़रवरी, 2015।

बाहरी कड़ियाँ

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