होलिका
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:52, 14 मार्च 2013 का अवतरण (Adding category Category:होली (को हटा दिया गया हैं।))
होलिका हिरण्यकशिपु नामक दैत्य की बहन और प्रह्लाद नामक विष्णु भक्त की बुआ थी। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी। इस वरदान का लाभ उठाने के लिए विष्णु-विरोधी हिरण्यकशिपु ने उसे आज्ञा दी कि वह प्रह्लाद को लेकर अग्नि में प्रवेश कर जाए, जिससे प्रह्लाद की मृत्यु हो जाए। होलिका ने प्रह्लाद को लेकर अग्नि में प्रवेश किया। ईश्वर कृपा से प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई। होलिका के अंत की खुशी में होली का उत्सव मनाया जाता है।[1]
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ The Legend of Holika and Prahlad (अंग्रेज़ी) (एच.टी.एम.एल) holifestival.org। अभिगमन तिथि: 15 मार्च, 2011।