बराबर की गुफ़ाएँ

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बराबर की गुफ़ाएँ बिहार के गया ज़िले में स्थित है। इस पहाड़ी में सात प्राचीन गुफ़ाएँ विस्तृत प्रकोष्ठों के रूप में निर्मित हैं। इन सात गुफ़ाओं में से तीन में अशोक के अभिलेख अंकित हैं। इनसे विदित होता है कि मूलतः इनका निर्माण अशोक के समय आजीवक सम्प्रदाय के भिक्षुओं के निवास के लिए करवाया गया था।

  • मौर्य काल की बराबर गुफ़ाएँ देश की सबसे पुरानी पत्थरों से काटी गई गुफ़ाएँ हैं, जो आज भी विद्यमान हैं।
  • बराबर की ज़्यादातर गुफ़ाओं में दो कक्ष हैं, जो पूरी तरह से ग्रेनाइट से काटे गये हैं। इनकी भीतरी सतह बहुत ही चमकदार होने के कारण आवाज़ की गूँज बहुत शानदार होती है।[1]
  • ये गुफ़ाएँ पत्थरों की कटाई वाली वास्तुकला शैली के शानदार उदाहरण हैं।
  • इन गुफ़ाओं में परिवर्ती काल के कुछ अन्य अभिलेख भी हैं, जिनमें मौखरिवंशीय नरेश अनंतवर्मन का एक अभिलेख उल्लेखनीय है।
  • बराबर गुफ़ाओं का निर्माण अशोक द्वारा तीसरी शताब्दी ई.पू. में बराबरनागार्जुनी चट्टानों को काटकर करवाया गया था।
  • बराबर पहाड़ी पर स्थित चार में से तीन गुफ़ाओं में अशोक के शिलालेख होने से यह ज्ञात होता है कि दो गुफ़ाएँ अशोक द्वारा शासन के 12वें वर्ष और क्रमशः 19 वें वर्ष में भिक्षुओं को दान में दी गयीं।
  • अशोक की प्रमुख गुफ़ाएँ हैं- 'कर्णचैपार', 'विश्वझोपड़ी' और 'सुदामा गुफ़ा'।
  • दशरथ की गुफ़ाओं में लोमश ऋषि की गुफ़ा तथा गोपिका गुफ़ा उल्लेखनीय है।
  • नागार्जुन पहाड़ी की तीनों गुफ़ाओं में अशोक के पौत्र देवानांप्रिय दशरथ के अभिलेख अंकित हैं, जो भिक्षुओं के आजीवक सम्प्रदाय के लिए दी गयी थीं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. बराबर गुफ़ाएँ, बोधगया (हिन्दी) नेटिव प्लेनेट। अभिगमन तिथि: 01 अप्रॅल, 2015।

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