गंग नहर
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गंग नहर की शुरुआत वर्ष 1850 में हुई थी। अंग्रेज़ों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अकाल और सूखे से बचाने के लिए एक नहर परियोजना की शुरूआत की थी, इसे आजकल गंग नहर के नाम से जाना जाता है।
- यह नहर हरिद्वार से निकलकर रुड़की, मुज़फ्फरनगर, मेरठ, गाज़ियाबाद, बुलंदशहर होते हुए कानपुर तक चली जाती है।
- रुड़की में गंग नहर के रास्ते में सोलानी नदी आती है। इस नदी पर पुल बनाना जरूरी था, ताकि इसके ऊपर से गंग नहर का पानी गुजर सके। यह पुल कोई छोटा-मोटा नहीं बनना था।
- पुल के निर्माण के लिए कुछ लक्कड़ों से काम नहीं चलने वाला था। इसके लिए जितने भी कच्चे माल की जरूरत पड़ी, वो पिरान कलियर से आता था। पिरान कलियर रुड़की से लगभग दस किलोमीटर दूर एक ग्राम है।[1]
- वह रेल जिसके माध्यम से पुल निर्माण की सामग्री ढोई जानी थी, वह लकड़ी की थी। यह रेल 22 दिसम्बर, 1851 ई. को शुरू हुई थी। इसमे केवल दो डिब्बे थे, जो पुल निर्माण की सामग्री ढोते थे। जब दिल्ली से हरिद्वार जाते हैं तो रुड़की पार करके सोलानी नदी आती है। सड़क वाले पुल से बाएं देखने पर एक और जबरदस्त आकार वाला पुल दिखाई देता है। यही वह ऐतिहासिक पुल है। इसी से पश्चिमी उत्तर प्रदेश को खुशहाल बनाने वाली गंग नहर बहती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ रुड़की में चली थी भारत की पहली रेल (हिन्दी) merapahadforum.com। अभिगमन तिथि: 24 जनवरी, 2015।