इंद्रद्युम्न
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रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:46, 5 मई 2018 का अवतरण
इंद्रद्युम्न पांड्य देश का राजा था।
एक बार इंद्रद्युम्न ध्यान लगाए बैठा था। इतने में अगस्त्य ऋषि वहां आए। राजा ने उन्हें देखा नहीं था। इस पर ऋषि क्रोधित हो गए। उसे श्राप दिया कि 'तू मत्त हो गया है, इसलिए मदमस्त हाथी बन जा।' राजा ने बहुत विनय की तो ऋषि ने बताया कि जब तुझे पानी के अंदर मगर पकड़ेगा तो उस समय विष्णु तेरा उद्धार करेंगे। प्रसिद्ध गज-ग्राह युद्ध में मुक्ति पाने वाला यही इंद्रद्युम्न राजा था।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 87 |
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