वाजिद ख़ान
वाजिद ख़ान
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पूरा नाम | वाजिद ख़ान |
जन्म | 10 मार्च, 1981 |
जन्म भूमि | मंदसौर, मध्य प्रदेश |
पति/पत्नी | मरयम सिद्दकी |
कर्म भूमि | भारत |
प्रसिद्धि | आयरन नेल आर्टिस्ट तथा आविष्कारक |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | वाजिद ख़ान ने ‘नेल आर्ट’ से महात्मा गाँधी का चित्र भी बनाया। इस चित्र की चर्चा होने पर मुंबई से ‘गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स’ के विशेषज्ञों का एक दल इंदौर पहुंचा तथा बारीकी से उसकी कला का अध्ययन करने के उपरांत उसे वर्ष 2012 में ‘गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ बनाने वालों में शामिल किया। |
अद्यतन | 15:28, 6 मई 2017 (IST)
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वाजिद ख़ान (अंग्रेज़ी: Wajid Khan, जन्म- 10 मार्च, 1981, मंदसौर, मध्य प्रदेश) भारत के प्रसिद्ध चित्रकार और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आयरन नेल आर्टिस्ट, पेटेंट धारक तथा आविष्कारक हैं। नेल आर्ट को पूरी दुनिया में पहुंचाने वाले वाजिद ख़ान ने इस कला का इस्तेमाल करते हुए मशहूर हस्तियों, जैसे- फ़िल्म अभिनेता सलमान ख़ान, महात्मा गाँधी, पूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम और धीरूभाई अंबानी जैसी बड़ी हस्तियों के पोर्ट्रेट बनाये हैं। इसके इलावा वह औद्योगिक कचरे और गोलियों से भी कला पीस बनाते हैं। उन्होंने अपनी इस कला को पेटेंट भी करवाया है, जिस कारण उनकी इस कला की उनकी इजाज़त के बिना कोई भी नकल नहीं कर सकता है।
परिचय
वाजिद ख़ान का जन्म 10 मार्च, 1981 को मध्य प्रदेश के ज़िले मंदसौर के बेहद छोटे से गाँव सोनगिरी में हुआ था। सुदूर अंचल में बसे इस गांव के लोग खेती और मजदूरी से अपना जीवन यापन करते हैं। कला के क्षेत्र में नाम कमाने से पहले वाजिद इसी गांव में रहा करते थे। पांच भाईयों और दो बहनों के साथ शुरुआती जीवन आम बच्चों की तरह ही बीता। लेकिन मन चंचल और सोच कलात्मक थी। साधारण वस्तुओं से वे असाधारण प्रस्तुति देने की कोशिश करते थे। थोड़े और बड़े हुए तो कुछ अलग करने की चाह ने कला के क्षेत्र में कदम रखवाया।
पढ़ाई के मामले में वाजिद ख़ान पांचवीं फेल हैं, जिसके बाद उन्होंने कुछ घर के हालातों और पढ़ाई में ध्यान न होने की वजह से पढ़ाई से नाता तोड़ लिया। वाजिद ख़ान के अनुसार, पैसों की तंगी और पढ़ाई में ध्यान न होने की वजह से उन्होंने फ़ैल होने के बाद पढ़ाई छोड़ने का फैसला किया था। उनकी माँ ने उन्हें 1300 रुपये देकर अपना नाम बनाने के लिए घर से विदा कर दिया था, क्योंकि उस गाँव में जहाँ वे रहते थे, वहाँ वह सहूलियतें नहीं थीं जो उनकी सोच को असलियत में उतार सकें। घर छोड़ने के बाद वाजिद ख़ान अहमदाबाद पहुँच गये और पेंटिंग और इनोवेशन के काम में जुट गए। वहाँ वे रोबोट बनाते थे। यहीं पर उनके हुनर को पहचाना आई.आई.एम. अहमदाबाद के प्रोफेसर अनिल गुप्ता ने। अनिल गुप्ता को वाजिद ख़ान अपना गुरु मानते हैं और बताते हैं कि "उन्होंने मेरा काम देखकर मुझे 17500 रुपये दिए और कहा कि तुम्हारी जगह यहाँ नहीं है। तुम कला के क्षेत्र में जाओ, वही तुम्हारे लिए सही राह है।" इस बात को मानकर वाजिद ख़ान आगे बढ़े और फिर बुलंदियां छूने से उन्हें कोई नहीं रोक पाया।[1]
विभिन्न अविष्कार
वाजिद ख़ान ने 14 वर्ष की आयु तक आते-आते पानी में चलने वाला सबसे छोटा जहाज़ बना दिया। ज़मीन, पानी के बाद आसमान नापने की बारी थी और कलाकृति में बनाया हैलीकॉप्टर। जब इन कलाकृतियों पर तारीफें मिलीं तो उनके सपनों को भी पंख लगने लगे और युवावस्था तक आते-आते पानी चोरी रोकने की मशीन सहित 200 अविष्कार कर दिए। इन अविष्कारों को जिसने भी देखा, वह हैरान था। लेकिन मार्गदर्शन न मिल पाने से इन अविष्कारों को वह स्थान नहीं मिला, जिसके वाजिद ख़ान हकदार थे। वर्ष 2003 में उन्होंने एक प्रकाश संवेदक और गियर लॉक का आविष्कार किया। वाजिद ख़ान को 140 अविष्कारों के लिए श्रेय प्राप्त है।
कलाकृतियाँ
नेल आर्ट को पूरे विश्व में पहुँचाने का श्रेय वाजिद ख़ान को दिया जा सकता है। उनके द्वारा निर्मित मां-बेटे का प्यार दिखाती नेल आर्ट की एक कलाकृति में उमड़ी भावनाओं ने दर्शकों को भावुक किया था। कीलों से बने इन चेहरों की कशिश दिनोंदिन बढ़ती गई। इसकी प्रसिद्धि ने रफ्तार पकड़ ली और प्रदर्शनी का दौर शुरू हुआ। हालांकि जब किसी कलाकार की कला मुकम्मल कहलाने लगती है तो कलाकार को नया प्रयोग करने का खतरा उठाना ही पड़ता है। वाजिद ख़ान यह खतरा बहुत जल्द उठाने को तैयार हो गए और युवावस्था में ही उन्होंने नेल आर्टिस्ट के जमे हुए ओहदे से खुद को बाहर निकालकर 2012 में ऑटोमोबाइल आर्ट लांच कर दिया। बी.एम.डब्ल्यू., मर्सिडीज़ और बुलेट के पार्ट्स से यह ऑटोमोबाइल आर्ट तैयार किया गया था। इन्हें मिलाकर दीवार पर एक घोड़ा बनाया गया था, जो दूर से देखने पर जॉकी के साथ दौड़ता हुआ नजर आता है। इसके थ्री डी इफेक्ट्स आज भी इंदौर शहर के एक मशहूर बंगले की दीवार पर कायम हैं।
इन सभी के बीच मुंबई से लेकर दुबई और लंदन में कला प्रदर्शित होते रहे। वाजिद ख़ान ने अपनी कला को सिर्फ लोगों को खुशी देने या अपने जज्बात जाहिर करने का जरिया नहीं बनाया बल्कि समाज को जागरुक करने में भी अहम भूमिका निभाई। 2014 में 'बेटी बचाओ आंदोलन' में शामिल हुए और चिकित्सा क्षेत्र में इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों से रोती हुई एक मासूम बच्ची की कलाकृति बनाई। यह बताती है कि जो कैंची लोगों के जख्मों को सिलने के काम आती है, जो स्टेथेस्कोप दिल की धड़कने नापता है, अकसर वही किसी मासूम को दुनिया में आने से पहले मौत के मुंह में पहुंचा देती है। मेडिकल उपकरणों के इस्तेमाल से इसी हकीकत को वाजिद ख़ान ने निडरता से दिखाया और भ्रूण हत्या रोकने का संदेश दिया। श्रीलंका के आर्किटेक्ट बाबा का गिट्टी से फोटो बनाकर अपना हुनर दिखाया।
प्रसिद्ध व्यक्तियों के चित्र
वाजिद ख़ान ने ‘नेल आर्ट’ से महात्मा गाँधी का चित्र भी बनाया। इस चित्र की चर्चा होने पर मुंबई से ‘गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स’ के विशेषज्ञों का एक दल इंदौर पहुंचा तथा बारीकी से उसकी कला का अध्ययन करने के उपरांत उसे वर्ष 2012 में ‘गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ बनाने वालों में शामिल किया। इसके अतिरिक्त वाजिद ख़ान ने नेल आर्ट से मदर मैरी, ईसा मसीह, काबा शरीफ़, साईं बाबा, रिलायंस इंडस्ट्रीज के संस्थापक उद्योगपति धीरूभाई अंबानी, मशहूर फ़िल्म अभिनेता सलमान ख़ान, राहुल गाँधी, संयुक्त अरब अमीरात के वज़ीर-ए-आलम मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम और उनके पुत्र हामदान बिन मोहमे बिन राशिद अल मकतूम का चित्र बनाया।
पुरस्कार व सम्मान
- वाजिद ख़ान का गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स, गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स, लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स, इंडिया बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स, एशिया बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज हो चुका है।
- वे भारत के पहले ऐसे कलाकार हैं, जिन्हें आयरन नेल आर्ट और मेडिकल इक्विपमेंट आर्ट हेतु पेटेंट प्राप्त हैं।
- उन्हें जहाज़ के आर्ट के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया था। भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति ए. पी. जे. अब्दुल कलाम से प्रशंसा एवं प्रोत्साहन व राष्ट्रीय नवप्रवर्तन संस्थान में डॉ. कलाम के साथ समय व्यतीत करने का गौरव व सौभाग्य उन्हें मिला था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ आर्ट की दुनिया का कोहिनूर, पाँचवीं फेल वाजिद खान (हिन्दी) hindi.siasat.com। अभिगमन तिथि: 06 मई, 2017।