वहाबी विद्रोह
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- वहाबी विद्रोह 1830 ई. से प्रारम्भ होकर 1860 ई. चलता रहा था।
- इतने लम्बे समय तक चलने वाले 'वहाबी विद्रोह' के प्रवर्तक रायबरेली के 'सैय्यद अहमद' थे।
- यह विद्रोह मूल रूप से मुस्लिम सुधारवादी आन्दोलन था, जो उत्तर पश्चिम, पूर्वी भारत तथा मध्य भारत में सक्रिय था।
- सैय्यद अहमद इस्लाम धर्म में हुए सभी परिवर्तनों तथा सुधारों के विरुद्ध थे।
- उनकी इच्छा हजरत मोहम्मद के समय के इस्लाम धर्म को पुन:स्थापित करने की थी।
- सैय्यद अहमद पंजाब के सिक्खों और बंगाल में अंग्रेज़ों को अपदस्थ कर मुस्लिम शक्ति को पुर्नस्थापित करना चाहते थे।
- इन्होंने अपने अनुयाचियों को शस्त्र धारण करने के लिए प्रशिक्षित कर स्वयं भी सैनिक वेशभूषा धारण की।
- सैय्यद अहमद ने पेशावर पर 1830 ई. में कुछ समय के लिए अधिकार कर लिया तथा अपने नाम के सिक्के चलवाए।
- इस संगठन ने सम्पूर्ण भारत में अंग्रेज़ों के विरुद्ध भावनाओं का प्रचार-प्रसार किया।
- इस आंदोलन का मुख्य केन्द्र पटना था।
- 1857 ई. के सिपाही विद्रोह में 'वहाबी' लोगों ने प्रत्यक्ष रूप से विद्रोह में न शामिल होकर अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ लोगों को भड़काने का प्रयास किया।
- 1860 ई. के बाद अंग्रेज़ी हुकूमत इस विद्रोह को कुचलने में सफल रही।
- इस आन्दोलन के अन्य महत्वपूर्ण नेताओं में विलायत अली, इनायत अली, अली मौलवी, अब्दुल्ला आदि थे।
- 'वाहाबी विद्रोह' के बारे में यह कहा जाता है कि, 'यह 1857 ई. के विद्रोह की तुलना में कहीं अधिक नियोजित, संगठित और सुव्यवस्थित था'।
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