लाल कृष्ण आडवाणी
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लालकृष्ण आडवाणी, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ट नेता हैं। भारतीय जनता पार्टी को भारतीय राजनीति में एक प्रमुख पार्टी बनाने में उनका योगदान सर्वोपरि कहा जा सकता है। वे कई बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं।
जन्म
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवम्बर, 1927 को पाकिस्तान के कराची में हुआ था । उनके पिता श्री के. डी. आडवाणी था और माता का नाम ज्ञानी आडवाणी था। विभाजन के बाद आडवाणी भारत आ गए।
अभिभावक
पिता- श्री के.डी. आडवाणी
शिक्षा
लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी शुरुआती शिक्षा लाहौर में ही हुई थी पर बाद में भारत आकर उन्होंने मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से लॉ में स्नातक की शिक्षा प्राप्त की। जब लालकृष्ण आडवाणी सेंट पैट्रिक स्कूल में पढ़ रहे थे, उनके देश भक्ति विचारों ने उन्हें केवल 14 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आर.एस.एस.) से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। तभी से उन्होंने राष्ट्र की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित किया हुआ है। आज वे भारतीय राजनीति में एक बड़ा नाम हैं।
विवाह
25 फ़रवरी, 1965 को 'कमला आडवाणी' को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। लालकृष्ण आडवाणी के परिवार की तरह ही कमलाजी का परिवार भी देश के विभाजन के बाद कराची से विस्थापित होकर आया था। कमला जी को भी आम नागरिक की तरह कठिन जीवन जीना पड़ा। उन्होंने लगभग 17 वर्षों तक दिल्ली तथा मुम्बई के जनरल पोस्ट ऑफिस में कार्य किया।
संतान
लालकृष्ण आडवाणी के दो बच्चे हैं एक पुत्र जयंत है और एक पुत्री प्रतिभा दोनों अपना प्रोफेशनल जीवन जी रहे हैं। जयंत दिल्ली में अपना एक छोटा सा कारोबार चलाते हैं। वे क्रिकेट के बहुत ही शौकीन हैं। प्रतिभा एक प्रसिद्ध टी.वी. व्यक्तित्व हैं। कई चैनलों पर प्रसारित किये जाने वाले कार्यक्रमों की एंकरिंग तथा प्रस्तुति करती हैं। उन्होंने टी.वी. चैनलों के लिए हिन्दी सिनेमा पर आधारित कथ्यपरक कार्यक्रम तैयार करने में विशेषता हासिल की है। इन कार्यक्रमों में राम, कृष्ण, शिव, गणेश और हनुमान तथा हिन्दी सिनेमा में होली, दीपावली और राखी के त्यौहारों को प्रमुख स्थान दिया है। प्रतिभा ने हिन्दी सिनेमा में 'वन्दे मातरम्' पर एक फिल्म भी बनाई है। इन कार्यक्रमों में सांस्कृतिक तथा देशभक्तिपूर्ण मूल्यों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करने के लिए इनकी व्यापक रूप से सराहना की है। श्री आडवाणी जी की स्वर्णजंयती रथ यात्रा (1997) तथा भारत सुरक्षा यात्रा (2006) पर बनी फिल्में भी प्रतिभा के कार्यों में शामिल हैं।
चुनाव क्षेत्र
पार्टी
1980 के दशक के उत्तरवर्ती वर्षों से लेकर 1990 के दशक तक आडवाणीजी ने भारतीय जनता पार्टी को एक राष्ट्रीय राजनीतिक शक्ति के रुप में बनाने के एकमात्र लक्ष्य पर अपना ध्यान केंद्रित किया था। भारतीय जनता पार्टी को 1984 के आम चुनाव में केवल दो सीटें मिली थी जो 1989 में प्रभावशाली ढंग से बढ़कर 86 हो गई। वर्ष 1992 में 121 सीटें और 1996 में में 161 सीटें जीतकर पार्टी की स्थिति और भी मजबूत हो गई थी। वर्ष 1996 के चुनावों से भारतीय लोकतंत्र में एक लहर सी पैदा हो गई थी। लालकृष्ण आडवाणी, श्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में (वर्ष 1999 से 2004 तक) पहले गृहमंत्री तथा बाद में उप प्रधानमंत्री के पद पर रहे।
यात्राएँ
राम यात्रा
राम रथ यात्रा 25 सितम्बर, 1990 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के जन्मदिन पर सोमनाथ से शुरू हुई थी और जिसका 10,000 कि.मी. की यात्रा करने के बाद 30 अक्तूबर को अयोध्या में समापन किया जाता था। यात्रा का सीधा सा सन्देश जनता में एकता और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भावना जागृत करना, परस्पर समझदारी बढ़ाना तथा जनता को सरकार की तुष्टिकरण तथा अल्पसंख्यकवाद की राजनीति के बारे में समझाना था। इस यात्रा को अभूतपूर्व सफलता मिली राजनीतिक तौर पर भीड़ जुटाने हेतु ऐसी लोकप्रियता कभी हासिल नहीं हुई। इस यात्रा ने जनता द्वारा दर्शायी गई लोकशक्ति और दिल्ली के शासकों द्वारा प्रस्तुत राजशक्ति के बीच तुलना की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया।
जनादेश यात्रा
श्री आडवाणी ने निष्ठुर, लोकतंत्र-विरोधी और जन-विरोधी उपायों के विरूध्द जनमत जुटाने हेतु नेतृत्व प्रदान किया। श्री आडवाणी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में देश की चारों दिशाओं से यात्रा आरंभ करने की योजना बनाई।इन विधेयकों के जरिए छद्म-पंथनिरपेक्षवादी चार प्रमुख उद्देश्य प्राप्त करना चाहते थे।
- चुनावों की मूल योजना को बिगाड़ना और पहले से अधिकृत अयोग्यता की अनुमति देना।
- प्रतिबंधित संगठनों को संवैधानिक वैद्यता उपलब्ध कराना।
- ऐसे राष्ट्र जो सभी धर्मों का समान रूप से आदर करता हो, को अधार्मिक बनाना।
- राजनीतिक पार्टियों के पंजीकरण को समाप्त करने की अनुमति देना।
चारों यात्राएं 11 सितम्बर, 1993 को स्वामी विवेकानन्द के जन्मदिन से देश की चारों दिशाओं से यात्रा आरम्भ हुईं। श्री आडवाणी ने मैसूर से यात्रा का नेतृत्व किया था। श्री भैरोसिंह शेखावत ने जम्मू से; मुरली मनोहर जोशी ने पोरबंदर से और श्री कल्याण सिंह ने कलकत्ता से यात्रा आरंभ की थी। 14 राज्यों और 2 केन्द्रशासित क्षेत्रों से यात्रा करते हुए यात्री एक बड़ी रैली में 25 सितम्बर को भोपाल में एकत्र हुए। जनादेश यात्रा को जबरदस्त सफलता भी मिली थी।
सदस्यता
- राज्य सभा, 1970-1989 (चार बार);
- विपक्ष के नेता, राज्य सभा, 1979-1981;
- विपक्ष के नेता, लोक सभा, 1989-1991 और 1991-1993
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री
- सूचना और प्रसारण, 1977-1979,
- गृहमंत्री, 1998-1999 और 13 अक्टूबर 1999 से 29 जून 2002
- उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री, 29 जून 2002 से 1 जुलाई 2002
- उपप्रधानमंत्री, गृह मंत्री तथा कोयला और खान मंत्री, 1 जुलाई 2002 से 26 अगस्त 2002
- उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री, 26 अगस्त, 2002 - 20 मई, 2004
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