छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-6 खण्ड-1 से 2

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • जगत की उत्पत्ति

पहले दो खण्डों में 'जगत की उत्पत्ति' के विषय में बताया गया है। अपने पुत्र श्वेतकेतु को समझाते हुए ब्रह्मऋषि उद्दालक ने कहा कि सृष्टि के प्रारम्भ में एक मात्र 'सत्' ही विद्यमान था। फिर किसी समय उसने अपने आपकों अनेक रूपों में विभक्त करने का संकल्प किया।
उसके संकल्प करते ही उसमें से 'तेज' प्रकट हुआ। तेज में से 'जल' प्रकट हुआ संकल्प द्वारा प्रकट होने वाले उस 'तेज' को वेद में 'हिरण्यगर्भ' कहा गया है। सृष्टि का मूल क्रियाशील प्रवाह यह 'जलतत्त्व' ही है, जो तेज से प्रकट होता है। उस जल के प्रवाह से अतिसूक्ष्म कण बने और कालान्तर में यही सूक्ष्म कण एकत्र होकर 'पृथ्वी' का कारण बने। प्रारम्भ से सृष्टि-सृजन की पहली आहुति द्युलोक में ही हुई थी। उसी में विद्यमान 'सत्' से 'तेज' और तेज से 'जल' की उत्पत्ति हुई थी तथा जल के सूक्ष्म पदार्थ कणों के सम्मिलन से पृथिवी का निर्माण हुआ था। धरती से अन्न का उत्पादन हुआ तथा दूसरे चरण में सूर्य उत्पन्न हुआ।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ


बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-1

खण्ड-1 | खण्ड-2 | खण्ड-3 | खण्ड-4 | खण्ड-5 | खण्ड-6 | खण्ड-7 | खण्ड-8 | खण्ड-9 | खण्ड-10 | खण्ड-11 | खण्ड-12 | खण्ड-13

छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-2

खण्ड-1 | खण्ड-2 | खण्ड-3 | खण्ड-4 | खण्ड-5 | खण्ड-6 | खण्ड-7 | खण्ड-8 | खण्ड-9 | खण्ड-10 | खण्ड-11 | खण्ड-12 | खण्ड-13 | खण्ड-14 | खण्ड-15 | खण्ड-16 | खण्ड-17 | खण्ड-18 | खण्ड-19 | खण्ड-20 | खण्ड-21 | खण्ड-22 | खण्ड-23 | खण्ड-24

छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-3

खण्ड-1 से 5 | खण्ड-6 से 10 | खण्ड-11 | खण्ड-12 | खण्ड-13 से 19

छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-4

खण्ड-1 से 3 | खण्ड-4 से 9 | खण्ड-10 से 17

छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-5

खण्ड-1 | खण्ड-2 | खण्ड-3 से 10 | खण्ड-11 से 24

छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-6

खण्ड-1 से 2 | खण्ड-3 से 4 | खण्ड-5 से 6 | खण्ड-7 | खण्ड-8 | खण्ड-9 से 13 | खण्ड-14 से 16

छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-7

खण्ड-1 से 15 | खण्ड-16 से 26

छान्दोग्य उपनिषद अध्याय-8

खण्ड-1 से 6 | खण्ड-7 से 15