मगही बोली

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • 'मगही' शब्द 'मागधी' का विकसित रूप है।*कुछ पढ़े- लिखे लोग इसे 'मागधी' भी कहते हैं। 'मगही' या 'मागधी' का अर्थ है - 'मगध की भाषा', पर आधुनिक 'मगही' प्राचीन मगध वर्तमान पटना ज़िला तथा गया का आधा भाग[1] तक ही सीमित नहीं है।
  • 'मगही' बोलने वालों की संख्या ग्रियर्सन के भाषा - सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 6,504,817 थी। अब यह संख्या एक करोड़ के लगभग होगी।
  • पश्चिमी सीमा की 'मगही' भोजपुरी से प्रभावित है। इन विभिन्न रूपों को मिश्रित मगही या यदि अलग- अलग कहना चाहें तो मैथिली- प्रभावित मगही, भोजपुरी- प्रभावित मगही आदि नाम दे सकते हैं। *'मगही' का एक प्रधान रूप है पूर्वी मगही। इसके अंतर्गत कई उपबोलियाँ हैं, जिनका आगे उल्लेख किया गया है।
  • मगही में लिखित साहित्य नहीं है। लोक- साहित्य पर्याप्त है जिसमें 'गोपीचन्द' और 'लोरिक' प्रसिद्ध हैं। *इसकी लिपि प्रमुखत: कैथी तथा नागरी है।
  • 'पूर्वी मगही' को कुछ लोग बंगाली तथा उड़िया में भी लिखते हैं। अब नागरी का प्रचार बढ़ रहा है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी

  1. वर्तमान पटना ज़िला तथा गया का आधा भाग

संबंधित लेख