आर्गन

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आर्गन
रंगहीन गैस को जब उच्च वोल्टेज बिजली के क्षेत्र में रखा जाता है तो हलके नीले रंग की चमक का प्रदर्शन होता है।
Vial containing a violet glowing gas

आर्गन की वर्णक्रम रेखाएँ
साधारण गुणधर्म
नाम, प्रतीक, संख्या आर्गन, Ar, 18
तत्व श्रेणी अक्रिय गैस
समूह, आवर्त, कक्षा 18, 3, p
मानक परमाणु भार 39.948g·mol−1
इलेक्ट्रॉन विन्यास 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6
इलेक्ट्रॉन प्रति शेल 2, 8, 8
भौतिक गुणधर्म
अवस्था गैस
घनत्व (0 °C, 101.325 kPa)
1.784 g/L
तरल घनत्व (गलनांक पर) 1.40 g·cm−3
गलनांक 83.80 K, −189.35 °C, −308.83 °F
क्वथनांक 87.30 K, −185.85 °C, −302.53 °F
त्रिगुण बिंदु 83.8058 K (-189°C), 69 kPa
संकट बिंदु 150.87 K, 4.898 MPa
संलयन ऊष्मा 1.18 किलो जूल-मोल
वाष्पन ऊष्मा 6.43 किलो जूल-मोल
विशिष्ट ऊष्मीय
क्षमता
5R/2 = 20.786

जूल-मोल−1किलो−1

वाष्प दाब
P (Pa) 1 10 100 1 k 10 k 100 k
at T (K)   47 53 61 71 87
परमाण्विक गुणधर्म
ऑक्सीकरण अवस्था 0
आयनीकरण ऊर्जाएँ
(अधिक)
1st: 1520.6 कि.जूल•मोल−1
2nd: 2665.8 कि.जूल•मोल−1
3rd: 3931 कि.जूल•मोल−1
सहसंयोजक त्रिज्या 106±10 pm
वैन्डैर वाल्स त्रिज्या 188 pm
विविध गुणधर्म
चुम्बकीय क्रम प्रतिचुम्बकीय
ऊष्मीय चालकता (300 K) 17.72x10-3  W·m−1·K−1
ध्वनि की गति (gas, 27 °C) 323 m/s
सी.ए.एस पंजीकरण
संख्या
7440–37–1
समस्थानिक
समस्थानिक प्रा. प्रचुरता अर्द्ध आयु क्षरण अवस्था क्षरण ऊर्जा
(MeV)
क्षरण उत्पाद
36Ar 0.337% 36Ar 18 न्यूट्रॉन के साथ स्थिर
37Ar syn 35 d ε 0.813 37Cl
38Ar 0.063% 38Ar 20 न्यूट्रॉन के साथ स्थिर
39Ar ट्रेस 269 y β 0.565 39K
40Ar 99.600% 40Ar 22 न्यूट्रॉन के साथ स्थिर
41Ar syn 109.34 min β 2.49 41K
42Ar syn 32.9 y β 0.600 42K

आर्गन (अंग्रेज़ी:Argon) एक रंगहीन, गंधहीन गैसीय तत्व है, जो वायु में तथा ज्वालामुखी पर्वतों से निकली गैसों में मिलता है। सन्‌ 1785 ई. में हेनरी कैवेंडिश ने वायु में विद्युत्स्फुलिंग द्वारा निर्मित नाइट्रोजन आक्साइडों को कास्टिक सोडा विलयन में अवशोषित कराया। इसके पश्चात्‌ और ऑक्सीजन प्रविष्ट करके उक्त क्रिया कई बार दुहराई गई। सभी गैसों के अवशोषण के पश्चात्‌ एक बुलबुला शेष रह गया जो अनवशोषित रह गया। इन प्रयोगों से कैवेंडिश ने यह निष्कर्ष निकला कि यदि वायुमंडल के नाइट्रोजन का कोई भी अंश उसके शेषांश से भिन्न हे और नाइट्रस अम्ल में परिवर्तित नहीं होता, तो वह पूरी वायु के 1/120 वें अंश से अधिक नहीं है।

सन्‌ 1892 ई. में लार्ड रैले ने प्राउट के सिद्धांत की परीक्षा करने के लिए हाइड्रोजन जैसी प्रमुख गैसों के घनत्व ज्ञात किए। वायुमंडल के नाइट्रोजन का घनत्व 1.25718 निकला और अमोनिया या नाइट्रिक ऑक्साइड से प्राप्त रासायनिक नाइट्रोजन का घनत्व 1.25107 देखा गया। इस प्रकार वायुमंडल के नाइट्रोजन का घनत्व 0.47 प्रतिशत अधिक पाया गया। इस नाइट्रोजन में ने किसी प्रकार की अशुद्धियाँ पाई गई और न आठ मास तक रखे रहने पर उसके घनत्व में किसी प्रकार का परिवर्तन ही देखा गया।

दो विभिन्न स्रोतों से प्राप्त नाइट्रोजन के घनत्वों के बीच इस प्रकार के अंतर को समझाने के लिए केवल प्रायोगिक त्रुटियाँ ही पर्याप्त नहीं थीं, अत: वायुमंडल के नाइट्रोजन में थोड़ी मात्रा में हाइड्रोजन की उपस्थिति की संभावना बताई गई। किंतु रैमज़े (सन्‌ 1894 ई.) ने इस प्रकार के अनुमानों को निराधार सिद्ध करते हुए उसमें एक अज्ञात, भारी गैस की उपस्थिति बताई। उन्होंने वायु में से कार्बन डाईऑक्साइड, आर्द्रता, ऑक्सिजन तथा नाइट्रोजन को हटाने के पश्चात्‌ इस गैस को पृथक्‌ करके इसका नाम आर्गन रखा गया। आर्गन ग्रीक शब्द से निकला है जिसका अर्थ होता है निष्क्रिय या सुस्त। हाइड्रोजन के सापेक्ष इसका घनत्व 20 के निकट था और रासायानिक रूप में बिलकुल निष्क्रिय होने के कारण किसी प्रकार के यौगिक बनाने का सामर्थ्य इसमें नहीं पाया गया। इसके पश्चात्‌ रैले, रैमज़े तथा अन्य लोगों की खोजों के फलसवरूप निष्क्रिय गैसों की पूरी श्रृंखला निकल आई, जिसमें हीलियम, नियन, आर्गन, क्रिप्टन, ज़ेनन तथा रैडन मिलकर आवर्त सारणी के शून्यसमूह में आते हैं।


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