हूल विद्रोह
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हूल विद्रोह भगनाडीह गाँव, संथाल परगना में सन 1855 ई. में अंग्रेज़ों के विरुद्ध हुए संघर्ष के रूप में जाना जाता है। इस विद्रोह में गाँव के चार भाइयों- सीधू, कान्हू, चांद और भैरव ने क्रांन्ति के स्वर को निनादित किया और विप्लव की ज्योति प्रज्वलित की। 10 जुलाई, 1855 को ब्रतानी सैनिकों के साथ हुए संघर्ष में सीधू, कान्हू और भैरव गोली के शिकार हुए।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वर्तमान 'सीधू, कान्हू विश्वविधालय', संथाल परगना की स्थापना मुख्यमंत्री, लालू प्रसाद ने उन्हीं के सम्मान में की थी।