हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग

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हिन्दी साहित्य सम्मेलन, उत्तर प्रदेश के प्रयाग में स्थित एक हिंदी सेवी संस्था है।

स्थापना

अक्तूबर, 1910 में पूरे भारत के हिन्दी विद्वानों, प्रेमियों एवं सेवा करने वालों का अधिवेशन नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी के प्रांगण में हुआ। इस अधिवेशन में यह निश्चय किया गया कि एक ऐसी केंद्रीय संस्था की स्थापना की जाए जो हिन्दी सेवी संस्थाओं की बिखरी शक्ति को एकत्रित कर हिन्दी भाषा एवं नागरी लिपि का प्रचार-प्रसार करे। इसी अधिवेशन में उक्त संस्था के पदाधिकारियों का निर्वाचन हुआ जिसमें एक वर्ष के लिए महामना मदन मोहन मालवीय अध्यक्ष तथा पुरुषोत्तमदास टंडन, प्रधान मंत्री बनाए गए। और इसे ‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ के नाम से संबोधित किया गया।

विशेषताएँ

  • हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रमुख विभागों में से परीक्षा विभाग सबसे महत्वपूर्ण विभाग है। यह सम्मेलन की मान और प्रतिष्ठा का वाहक है।
  • सम्मेलन की वास्तविक परीक्षाओं का दौर 1918 से प्रारंभ हुआ। सम्मेलन द्वारा प्रथमा, मध्यमा एवं उत्तमा परीक्षाएँ संचालित होती हैं। ये परीक्षाएँ क्रमश: एस. एल. सी., बी. ए. तथा बी. ए. (आनर्स) के समकक्ष हिन्दी स्तर तक मान्य हैं।
  • सम्मेलन की परीक्षाएँ मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम तथा बर्मा एवं गुयाना में भी होती हैं।
  • ‘राष्ट्रभाषा संदेश’ के प्रकाशन में सामग्री संचयन में और राष्ट्रभाषा आंदोलन संबंधी सामग्री को नए ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
  • हिन्दी साहित्य सम्मेलन का साहित्य विभाग सम्मेलन की साहित्यिक गतिविधियों और साहित्यिक मान्यताओं को विकसित करने का माध्यम है।
  • इस विभाग का मूल उद्देश्य हिन्दी साहित्य संबंधी ग्रंथों का प्रकाशन, ज्ञान की अनुपलब्ध किंतु महत्वपूर्ण कृतियों का प्रकाशन एवं शोध और अनुसंधान संबंधी कार्यों को विकसित करना है।
  • इसके अतिरिक्त यह विभाग सम्मेलन नामक त्रैमासिक पत्रिका का प्रकाशन करता है जिसमें साहित्य एवं भाषा संबंधी शोधपत्र प्रकाशित किए जाते हैं। [1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. लोंढे, शंकरराव। हिन्दी की स्वैच्छिक संस्थाएँ (हिंदी) भारतकोश। अभिगमन तिथि: 29 मार्च, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

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