पुरातत्वीय संग्रहालय, जागेश्वर
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पुरातत्वीय संग्रहालय, जागेश्वर उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा ज़िले में स्थित है। जागेश्वर में वर्ष 1995 में बनाए गए मूर्ति शेड को वर्ष 2000 में संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया। जागेश्वर समूह, दंतेश्वरा समूह तथा कुबेर मंदिर समूह के मंदिरों के क्षेत्र से प्राप्त 174 मूर्तियों को इसमें रखा गया है और ये नौंवी से तेरहवीं शताब्दी ई. की हैं।
विशेषताएँ
- संग्रहालय में दो दीर्घाएं हैं जिसमें प्रदर्शों को प्रदर्शित किया गया है। पहली दीर्घा में 36 मूर्तियों को दीवार में बनी दो प्रदर्शन मंजूषाओं तथा लकड़ी की वीथिका में रखा गया है।
- उमा-महेश्वर, सूर्य तथा नवग्रह दीर्घा में रखे उत्कृष्ठ नमूने हैं। उड़ते आसमान वाली उमा-महेश्वर की प्रतिमा, शिव के अंक में बैठी पूर्ण रूप से अलंकृत पार्वती।
- सूर्य की सुंदर मूर्ति जिन्होंने दोनों हाथों में कमल पकड़ा हुआ है पूर्णत: अलंकृत है।
- अरुण (रथ चालक) तथा सात अश्वों को नीचे की तरफ दिखाया गया है तथा नवग्रहों की दुर्लभ मूर्ति जिसमें सूर्य, सोम, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु तथा केतु को खड़ी मुद्रा में दिखाया गया है।
- दूसरी दीर्घा में 18 मूर्तियों को लकड़ी की वीथिकाओं में प्रदर्शित किया गया है। दीर्घा में उत्तरांचल कला के दुर्लभ नमूने हैं जैसे शिव की विषपहारना मूर्ति (विष पीते हुए शिव) केवलमूर्ति तथा कृशकाय सिकुड़े हुए पेट, बाहर निकली हुई पसली तथा नसें, धंसी हुई आंखों तथा अपने उल्टे हाथ में मुंडों को पकड़े हुए चारभुजी चामुंडा इस क्षेत्र की कला का यथार्थ रूप से प्रतिनिधित्व करते हैं।
- संग्रहालय के केन्द्रीय हाल का निर्माण इस क्षेत्र के मुख्य आकर्षण जिसे पोना राजा मूर्ति के रूप में जाना जाता है, को प्रदर्शित करने तथा जागेश्वर क्षेत्र की अन्य मूल्यवान मूर्तियों को प्रदर्शित करने के लिए किया गया है।
- पोना राजा की सुंदर मूर्ति स्थानीय राजा या पंथ से संबंधित है और अत्यधिक लोकप्रिय है तथा क्षेत्र में सम्मानित है। [1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संग्रहालय - जागेश्वर (हिन्दी) भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण। अभिगमन तिथि: 12 जनवरी, 2015।
बाहरी कड़ियाँ
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