दुर्मुख संवत्सर

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मन्मथ हिन्दू धर्म में मान्य संवत्सरों में से एक है। यह 60 संवत्सरों में उन्तीसवाँ है। इस संवत्सर के आने पर विश्व में लोगों का मन कामक्रीड़ा में अधिक रहता है, धान्य की वृद्धि होती है तथा विश्व में ज्वर का प्रकोप रहता है। इस संवत्सर का स्वामी त्वष्टा है।

  • मन्मथ संवत्सर में जन्म लेने वाला शिशु भोगी, स्त्री सुख से युक्त, विशेष भूषणों से युक्त, गीत-संगीत में रुचि लेने वाला होता है।
  • ब्रह्माजी ने सृष्टि का आरम्भ चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से किया था, अतः नव संवत का प्रारम्भ भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है।
  • हिन्दू परंपरा में समस्त शुभ कार्यों के आरम्भ में संकल्प करते समय उस समय के संवत्सर का उच्चारण किया जाता है।
  • संवत्सर 60 हैं। जब 60 संवत पूरे हो जाते हैं तो फिर पहले से संवत्सर का प्रारंभ हो जाता है।


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