श्रीनगर
श्रीनगर
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विवरण | कश्मीर घाटी के मध्य में बसा श्रीनगर भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं। |
राज्य | जम्मू और कश्मीर |
ज़िला | श्रीनगर ज़िला |
निर्माता | सम्राट अशोक |
निर्माण काल | तीसरी सदी ईसा पूर्व |
मार्ग स्थिति | यह शहर सड़क द्वारा जम्मू से 293 किमी, गुलमर्ग से 52 किमी, कारगिल से 204 किमी, लेह से 434 किमी, चंडीगढ़ से 630 किमी और दिल्ली से 876 किमी. दूरी पर स्थित है। |
प्रसिद्धि | श्रीनगर विशेष रूप से झीलों और हाऊसबोट के लिए जाना जाता है और डल झील के लिए भी प्रसिद्ध है। |
कब जाएँ | साल में कभी भी |
कैसे पहुँचें | हवाई जहाज़, रेल, बस |
श्रीनगर हवाई-अड्डा | |
निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू तवी | |
क्या देखें | श्रीनगर पर्यटन |
कहाँ ठहरें | श्रीनगर प्रवास |
एस.टी.डी. कोड | 0194 |
भाषा | कश्मीरी, उर्दू, हिन्दी और अंग्रेजी। |
श्रीनगर | श्रीनगर पर्यटन | श्रीनगर ज़िला |
श्रीनगर शहर, जम्मू–कश्मीर राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी, उत्तरी भारत, झेलम नदी के तट पर बसा यह शहर कश्मीर घाटी में 1,600 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। श्रीगर चीड़, फ़र और देवदार के वृक्षों से ढके पर्वतों के बीच स्थित है। श्रीनगर की नींव, कल्हणरचित राजतरंगिणी[1], (स्टाइन का अनुवाद) के अनुसार मौर्य सम्राट अशोक ने डाली थी। उसने कश्मीर की यात्रा 245 ई. पू. में की थी। इस तथ्य को देखते हुए श्रीनगर लगभग 2200 वर्ष प्राचीन नगर ठहरता है। अशोक का बसाया हुआ नगर वर्तमान श्रीनगर से प्रायः 3 मील उत्तर में बसा हुआ था। प्राचीन नगर की स्थिति को आजकल पांडरेथान अथवा प्राचीन स्थान कहा जाता है।
इतिहास
महाराज ललितादित्य यहाँ का प्रख्यात हिन्दू राजा था। इसका शासनकाल 700 ई. के लगभग था। इसने श्रीनगर की श्रीवृद्धि की तथा कश्मीर के राज्य का दूर-दूर तक विस्तार भी किया। इसने झेलम पर कई पुल बंधवाए तथा नहरें बनवाईं। श्रीनगर में हिन्दू नरेशों के समय के अनेक प्राचीन मन्दिर थे, जिन्हें मुसलमानों के शासनकाल में नष्ट–भ्रष्ट करके उनके स्थान पर दरगाहें व मस्ज़िद बना ली गई थीं। झेलम के तीसरे पुल पर महाराज नरेन्द्र द्वितीय का 180 ई. के लगभग बनवाया हुआ नरेन्द्र स्वामी का मन्दिर था। यह नरपीर की ज़ियारतगाह के रूप में परिणत कर दिया गया था।
चौथे पुल के निकट नदी के दक्षिणी तट पर पाँच शिखरों वाला मन्दिर महाश्रीमन्दिर नाम से विख्यात था; इसे महाराज प्रवरसेन द्वितीय ने अपार धन–राशि व्यय कर निर्मित करवाया था। 1404 ई. में कश्मीर के शासक शाह सिकन्दर की बेगम की मृत्यु होने पर उसे इस मन्दिर के आँगन में दफ़ना दिया गया और उसी समय से यह विशाल मन्दिर मक़बरा बन गया। कश्मीर का प्रसिद्ध सुल्तान जैनुलआबदीन, जिसे कश्मीर का अकबर कहा जाता है, इसी मन्दिर के प्रांगण में दफ़नाया गया था। यह स्थान मक़बरा शाही के नाम से प्रसिद्ध हुआ। कहा जाता है कि नदी के छठे पुल के समीप, दक्षिणी तट पर महाराज युधिष्ठर के मंत्री स्कंदगुप्त द्वारा बनवाया एक अन्य मन्दिर भी था। इसे पीर बाशु की ज़ियारतगाह के रूप में परिणत कर दिया गया।
684-693 ई. में महाराज चंद्रापदी द्वारा बनवाया हुआ त्रिभुवन स्वामी का मन्दिर भी समीप ही स्थित था। इस पर टांगा बाबा नामक एक पीर ने अधिकार करके इसे दरगाह का रूप दे दिया। सुल्तान सिकन्दर ने 1404 ई. में ज़ामा मस्ज़िद बनाने के लिए महाराज तारापदी द्वारा 693-697 में निर्मित एक प्रसिद्ध मन्दिर को तोड़ डाला और उसकी सारी सामग्री मस्ज़िद बनाने में लगा दी। 1623 ई. के लगभग बेगम नूरजहाँ ने, जब वह जहाँगीर के साथ कश्मीर आईं, सुलेमान पर्वत के ऊपर बना हुआ शंकराचार्य का मन्दिर देखा और इसकी पैड़ियों में लगे हुए बहुमूल्य पत्थर के टुकड़ों को उखड़वाकर उन्हें अपनी बनवाई हुई मस्ज़िद में लगवा दिया। केवल शंकराचार्य का मन्दिर ही अब श्रीनगर का प्राचीन हिन्दू स्मारक कहा जा सकता है। किंवदन्ती के अनुसार इस मन्दिर की स्थापना दक्षिण के प्रसिद्ध दार्शनिक शंकराचार्य ने 8वीं शती ई. में की थी। जहाँगीर तथा शाहजहाँ के समय के शालीमार तथा निशान्त नामक सुन्दर उद्यान, तथा इसी काल की कई मस्ज़िदें श्रीनगर के प्रमुख ऐतिहासिक स्मारक हैं। कहा जाता है कि निशान्तबाग नूरजहाँ के भाई आसफ़ ख़ाँ का बनवाया हुआ था। शालीमार का निर्माण जहाँगीर और उसकी प्रिय बेग़म नूरजहाँ ने किया था। मुग़लों ने कश्मीर में 700 बाग़ लगवाए थे।
यातायात और परिवहन
वायु मार्ग
श्रीनगर में श्रीनगर हवाई-अड्डा स्थित है। इंडियन एयरलाइन्स दिल्ली, अमृतसर, जम्मू, लेह, चंडीगढ़, अहमदाबाद और मुम्बई से श्रीनगर के लिए उड़ान भरती है।
रेल मार्ग
श्रीनगर से निकटतम रेलवे स्टेशन जम्मू तवी है। रेलवे स्टेशन से जम्मू तवी 293 किमी की दूरी पर स्थित है। जम्मू तवी रेलवे स्टेशन से दिल्ली, कोलकाता, पूना, मुंबई, कन्याकुमारी, अहमदाबाद आदि प्रमुख नगरों से नियमित रेल सेवा उपलब्ध है।
सड़क मार्ग
श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा कई प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
उद्योग और व्यापार
श्रीनगर में विशिष्ट बाज़ार और खुदरा दुकानें भी हैं। शहर के उद्योगों में क़ालीन व रेशम की मिलें, चाँदी और ताँबे की वस्तुओं का निर्माण, चमड़े का काम और लकड़ी पर नक़्क़ाशी शामिल हैं।
शिक्षण संस्थान
श्रीनगर शहर में कश्मीर विश्वविद्यालय (1969) है।
जनसंख्या
2001 की गणना के अनुसार श्री नगर की कुल जनसंख्या 8,94,940 है। और श्रीनगर ज़िले की कुल जनसंख्या 12,38,530 है।
पर्यटन
श्रीनगर का जम्मू और कश्मीर के पर्यटन स्थलों में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। कश्मीर घाटी के मध्य में बसा श्रीनगर भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से हैं। श्रीनगर एक ओर जहाँ डल झील के लिए प्रसिद्ध है वहीं दूसरी ओर विभिन्न मंदिरों के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। श्रीनगर और आसपास के दर्शनीय स्थान
- डल झील :- डल झील का प्रमुख आकर्षण केन्द्र तैरते हुए बग़ीचों हैं। 17 किमी क्षेत्र में फैली हुई यह झील जम्मू-कश्मीर की दूसरी सबसे बड़ी झील है।
- शंकराचार्य मंदिर :- शंकराचार्य मंदिर समुद्र तल से 1100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। शंकराचार्य मंदिर को तख्त-ए-सुलेमन के नाम से भी जाना जाता है।
- हज़रतबल मस्जिद :- हज़रतबल मस्जिद में पैग़म्बर मुहम्मद का एक बाल रखा होने के कारण विख्यात है। हज़रतबल मस्जिद श्रीनगर में स्थित प्रसिद्ध डल झील के किनारे स्थित है।
- जामा मस्जिद :- मस्जिद की वास्तुकला काफ़ी अदभूत है। 15वीं शताब्दी में निर्मित जामा मस्जिद के बारे में कहा जाता है कि यह कश्मीर की सबसे बड़ी मस्जिद है।
- खीर भवानी मंदिर :- खीर भवानी मंदिर माता रंगने देवी को समर्पित है। श्रीनगर ज़िले के तुल्लामुला में स्थित खीर भवानी मंदिर यहाँ के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है।
- चेत्ती पदशाही :- चेत्ती पदशाही कश्मीर के प्रमुख सिख गुरूद्वारों में से एक है। सिखों के छठें गुरू हरगोविन्द साहिब जी की याद में करवाया गया था।
- सोनमर्ग :- सोनमर्ग का अर्थ सोने से बना घास का मैदान होता है। सोनमर्ग समुद्र तल से 3,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
बाग़
शालिमार बाग़, निशात बाग़ और चश्मा शाही श्रीनगर के मुग़ल बाग़ के नाम से जाने जाते हैं और ये अपनी सुंदर क्यारियाँ, संकरे गलियारे, मनमोहक फौवारे, डल झील का दृश्यावलोकन आदि के लिये विख्यात हैं। ये तीनों मुगल बाग़ पर्यटकों के लिये अत्यन्त प्रिय स्थान हैं और पर्यटक यहाँ आकर प्राकृतिक दृश्यों का अवलोकन करते हैं।
- निशात बाग़ :- श्रीनगर के मुग़ल बाग़ों में सबसे बड़ा बाग़ निशात बाग़ है। इस बगीचे को 1633 ई. में नूरजहां के भाई आसिफ़ खान ने बनवाया था।
- शालिमार बाग़ :- शालिमार बाग़ के चार मुख्य गलियारे हैं। शालिमार बाग़ को जहाँगीर ने अपनी मलिका नूरजहाँ के लिये सन् 1616 में बनवाया था।
- चश्मा शाही :- श्रीनगर के मुग़ल बाग़ों में सबसे छोटा बाग़ है। चश्मा शाही नेहरू मेमोरियल पार्क के ऊपर स्थित है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ राजतरंगिणी, 1, 5,104
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