राम नारायण मिश्र
राम नारायण मिश्र (जन्म- 1905, दरभंगा, बिहार) क्रांतिकारी, समाज सुधारक और महिला उत्थान के समर्थक थे। स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लेने के कारण वे कई बार जेल गये और बाद में सन्यासी हो गये। नवंबर, 1942 में जयप्रकाश नारायण और योगेंद्र शुक्ला के साथ राम नारायण मिश्र जेल से फरार हो गए थे।
परिचय
सन् 1905 में बिहार के ज़िला दरभंगा में जन्मे राम नारायण मिश्र क्रांतिकारी, समाज सुधारक और महिला उत्थान के प्रबल समर्थक थे। 1942 में जयप्रकाश नारायण के साथ हजारीबाग की जेल की दीवार से कूदकर भाग निकलने में वे सफल हुए थे। 1926 में उन्होंने काशी विद्यापीठ की शास्त्री की परीक्षा पास की और देश में हो रहे आंदोलनों में भाग लेने लगे। बिहार में उस समय महिलाओं से पर्दे की प्रथा का जबरन पालन कराने का विरोध करते हुए राम नारायण मिश्र ने अपने परिवार के विरोध की उपेक्षा करते हुए अपनी पत्नी से पर्दा छुड़वाया और उन्हें साबरमती आश्रम भेजा।
1930 में नमक सत्याग्रह में भाग लेने के कारण राम नारायण मिश्र को सजा हुई। 1942 के 'भारत छोड़ो आंदोलन' में भूमिगत रहकर उन्होंने बंगाल, बिहार के साथ-साथ दक्षिण भारत में भी बहुत काम किया। उन्होंने जेल में बड़ी यातनाएं सहीं। 1946 में छूटने के बाद कुछ समय तक वे कांग्रेस समाजवादी पार्टी का काम करते रहे।[1]
योगदान
राम नारायण मिश्र ने खादी के प्रचार, पर्दा प्रथा के विरोध, स्वदेशी के प्रचार आदि के लिए बिहार में अनेक आश्रम स्थापित किए।
निकटता
राम नारायण मिश्र की जयप्रकाश नारायण, अशोक मेहता, अच्युत पटवर्धन आदि समाजवादी नेताओं से घनिष्ट निकटता थी।
त्याग
त्यागमूर्ती राम नारायण मिश्र दिसंबर, 1952 में सब कुछ त्याग कर सन्यासी बन गए।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 734 |
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