दिग्विजय सिंह

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दिग्विजय सिंह (अंग्रेज़ी: Digvijaya Singh, जन्म- 28 फ़रवरी, 1947, इंदौर, मध्य प्रदेश) कांग्रेस से भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। राजनेताओं के द्वारा उनको अक्सर 'अर्जुन सिंह' के नाम से पुकारा जाता है। 2003 विधानसभा चुनाव हारने के बाद दिग्विजय सिंह ने शपथ ली थी कि अगले 10 सालों तक वे किसी भी चुनाव में भाग नहीं लेगें। 10 सालों तक राजनीति से दूर रहने के बाद 2013 में दिग्विजय सिंह भाजपा के खिलाफ आरोपों के कारण खबरों में रहे।

परिचय

दिग्विजय सिंह का जन्म 28 फ़रवरी 1947 को मध्य प्रदेश के इंदौर में हुआ था। अपनी प्रारंभिक शिक्षा डेली कॉलेज से पूरी करने के बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग से स्नातक करने के लिए उन्होंने श्री गोविन्दराम सेकसरिया प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, इंदौर में दाखिला लिया। दिग्विजय सिंह का विवाह आशा दिग्विजय सिंह से हुआ, इनके एक बेटा और चार बेटियाँ हैं। 28 फ़रवरी 2013 को कैंसर के कारण दिग्विजय सिंह की पत्नी का निधन हो गया था।[1]

रूचियाँ

  1. स्कूल और कॉलेज स्तर पर हॉकी, क्रिकेट और फ़ुटबॉल खेलना।
  2. मण्डल स्तर पर क्रिकेट खेलना।
  3. राष्ट्रीय स्तर पर स्कॉश खेलना।
  4. एक उत्साही वन्यजीव फोटोग्राफर।

पद

  • 1969 में राघोगढ़ नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष चुने गए।
  • 1977, 1980 के दौरान गुना जिले के राघोगढ़ संसदीय सीट से सांसद सदस्य चुने गए।
  • 1980 में दिग्विजय सिंह कृषि प्रबंधन, मत्स्य पालन, पशुपालन, सिंचाई और कमांड क्षेत्र के विकास मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री बने।
  • 1984, 1991 की अवधि में वे राजगढ़ से सांसद सदस्य चुने गए।
  • 1985 में वे मध्य प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष नियुक्त हुए।
  • 1992 मध्य प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष बने।
  • 1993, 1998 की अवधि में वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहे।
  • 2013 में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव बने।
  • 2013-2014 के आम चुनावों के लिए राहुल गांधी की अध्यक्षता वाली समिति के सदस्य बने।[1]

उपलब्धियाँ

दिग्विजय सिंह ने गांवों के गरीब लोगों को मजबूत एवं विकसित करने के लिए सत्ता के विकेन्द्रीकरण की धारणा को प्रचलित किया, जिसके तहत 52,000 ग्राम सभाओं की स्थापना की गयी। विभिन्न गतिविधियों को संभालने के लिए ग्राम सभा के लिए आठ स्थायी समितियों का निर्माण किया गया। सत्ता के विकेन्द्रीकरण की धारणा को प्रचलित करने के लिए उनकी और उनके काम की काफी सराहना की गई। ब्रिटिश उच्चायुक्त सर रॉब यंग ने टिप्पणी की कि, "मैं मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पंचायती राज और राजीव गांधी मिशन जैसे कार्यों से काफी प्रभावित हूँ। सत्ता के विकेन्द्रीकरण और सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से चल रहे कार्य सराहनीय हैं। इस बदलाव का श्रेय मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को जाता है"।

दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए मध्य प्रदेश में 26,000 से अधिक प्राथमिक विद्यालयों को स्थापित किया गया। प्रत्येक गांव में एक किलोमीटर के भीतर एक प्राथमिक विद्यालय तथा प्रत्येक तीन किलोमीटर के भीतर एक माध्यमिक विद्यालय स्थापित किया गया था। राष्ट्रीय जनगणना के अनुसार, दिग्विजय सिंह के कार्यकाल के दौरान साक्षरता दर में 20.11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। महिला साक्षरता के मामले में यह विकास दर 21 प्रतिशत पाई गई जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 14 प्रतिशत था।[1]

जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बने तो 1988-1989 में कुपोषित बच्चों का प्रतिशत (16 प्रतिशत) 2002 में कम होकर 2.92 प्रतिशत के स्तर पर आ गया था।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 दिग्विजय सिंह के बारे में (हिंदी) elections.in। अभिगमन तिथि: 18 अक्टूबर, 2020।

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