नागरक

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
रविन्द्र प्रसाद (वार्ता | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:19, 18 मार्च 2021 का अवतरण (''''नागरक''' उच्च अधिकारी का पद था जो मौर्य साम्राज्य...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें

नागरक उच्च अधिकारी का पद था जो मौर्य साम्राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण भाग था।

  • जैसे जनपदों का शासन समाहर्ता के अधीन था, वैसे ही पुरों या नगरों के शासन का सर्वोच्च अधिकारी नागरक होता था।
  • विशेषतया राजधानी का शासन नागरक के हाथ में रहता था।
  • साम्राज्य में राजधानी की विशेष महत्ता होती थी। पाटलिपुत्र उस युग में संसार का सबसे बड़ा नगर था। रोम और एथेन्स का विस्तार पाटलिपुत्र की अपेक्षा बहुत कम था। 9 मील लम्बे और 1½ मील चौडे इस विशाल नगर का प्रबन्ध एक पृथक् महामात्य के अधीन हो, यह उचित ही था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख