मरियम मिर्ज़ाख़ानी
मरियम मिर्ज़ाख़ानी
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पूरा नाम | मरियम मिर्ज़ाख़ानी |
जन्म | 3 मई, 1977 |
जन्म भूमि | तेहरान, ईरान |
मृत्यु | 15 जुलाई, 2017 |
मृत्यु स्थान | अमेरिका |
कर्म-क्षेत्र | अंकशास्त्र |
शिक्षा | बी.एससी., पीएचडी |
विद्यालय | शरीफ टेक्निकल युनिवर्सिटी, तेहरान; हार्वर्ड यूनिवर्सिटी। |
पुरस्कार-उपाधि | 'फील्ड्स मेडल' (2014), 'सैटर पुरस्कार' (2009), 'ब्लूमेंथल पुरस्कार' (2009)। |
प्रसिद्धि | गणितज्ञ |
नागरिकता | ईरानी |
अन्य जानकारी | 2014 में मरियम मिर्ज़ाख़ानी को 'फील्ड्स मेडल' से सम्मानित किया गया। अंतरराष्ट्रीय गणितज्ञ कांग्रेस की ओर से दिए जाने वाले इस पुरस्कार को 'गणित की दुनिया का नोबेल पुरस्कार' कहा जाता है। |
मरियम मिर्ज़ाख़ानी (अंग्रेज़ी: Maryam Mirzakhani, 3 मई, 1977, ईरान; मृत्यु- 15 जुलाई, 2017, अमेरिका) गणित की दुनिया का प्रतिष्ठित सम्मान 'फील्ड्स मेडल' पाने वाली पहली महिला गणितज्ञ थीं। उन्हें यह सम्मान ज्यामिति और डायनेमिकल सिस्टम के क्षेत्र में योगदान के लिए दिया गया था।
परिचय
मरियम मिर्ज़ाख़ानी का जन्म 3 मई, 1977 को तेहरान, ईरान में हुआ था। उनका गणित में इतना ऊंचा मुकाम हासिल करना किसी परिकथा से कम नहीं है। वे जब तेहरान में अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी कर रही थीं, तब उनका देश कट्टरपंथी इस्लामी क्रांति और इराक के साथ लंबे युद्ध का सामना कर रहा था। इस अशांत स्थिति में भी किसी आम तेहरानी की तरह मरियम में साहित्य के प्रति गहरा अनुराग था और बड़ी होकर वे इसी क्षेत्र में कुछ करना चाहती थीं। यहां से गणित के बिल्कुल अजनबी दायरे में अपनी यात्रा का एक दिलचस्प क़िस्सा उन्होंने बताया था।[1]
पुरस्कार व सम्मान
वर्ष 2014 में मरियम मिर्ज़ाख़ानी को 'फील्ड्स मेडल' से सम्मानित किया गया था। अंतरराष्ट्रीय गणितज्ञ कांग्रेस की ओर से दिए जाने वाले इस पुरस्कार को गणित की दुनिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है। उन्हें यह सम्मान ज्यामिति और डायनेमिकल सिस्टम के क्षेत्र में योगदान के लिए दिया गया था। मरियम को 2013 में अमेरिकन मैथमेटिकल सोसायटी की ओर से 'सैटर पुरस्कार' और 2009 में 'ब्लूमेंथल पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया था।[2]
'फील्ड्स मेडल' को गणित का नोबेल कह देने का रिवाज चल पड़ा है, लेकिन गणित में नोबेल के वजन का पुरस्कार 'आबेल प्राइज' है। इसको अभी उतनी पहचान नहीं मिल पाई है, क्योंकि इसे शुरू हुए अभी तेरह साल ही हुए हैं। भारतीय मूल के प्रोफेसर एस.आर. श्रीनिवास वरदन 'रघु' इसे पाने वाले कुछ-एक गिने-चुने गणितज्ञों में से एक हैं। फील्ड्स मेडल असाधारण प्रतिभा वाले गणितज्ञों की पहचान करने वाला एक अलग तरह का पुरस्कार है। चार साल के अंतर पर दिया जाने वाला यह पुरस्कार 40 साल से कम उम्र के मैथमेटिशियंस को ही मिलता है। इसकी दुर्लभता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1936 से अब तक यह कुल 60 लोगों को मिला है, जिनमें सिर्फ पांच एशियाई हैं- तीन जापानी, एक विएतनामी और अब मरियम मिर्ज़ाख़ानी के रूप में एक ईरानी।[1]
मृत्यु
महान गणितज्ञ मरियम मिर्ज़ाख़ानी का 40 साल की आयु में निधन 15 जुलाई, 2017 को हुआ। मरियम कैंसर से पीडि़त थीं और उनका अमेरिका के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 अलग ही गणित बनाती आई हैं मरियम मिर्जाखानी (हिंदी) blogs.navbharattimes.indiatimes.com। अभिगमन तिथि: 16 जुलाई, 2017।
- ↑ महान गणितज्ञ मरियम मिर्जाखानी का निधन (हिंदी) m.dailyhunt.in। अभिगमन तिथि: 16 जुलाई, 2017।