उषा बारले

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उषा बारले (अंग्रेज़ी: Usha Barle, जन्म- 2 मई, 1968) भारत की प्रसिद्ध लोक गायिका हैं जो पण्डवानी गायन के लिये जानी जाती हैं। दुर्ग क्षेत्र की पंडवानी गायिका उषा बारले को पद्म श्री, 2023 से सम्मानित किया गया है। सुप्रसिद्ध पंडवानी गायिका पद्म विभूषण तीजनबाई ने उन्हें पंडवानी सिखाई है। पंडवानी का प्रदर्शन भारत के बाहर लंदन और न्यूयॉर्क जैसे स्थानों पर भी उषा बारले द्वारा किया गया है।

परिचय

उषा बारले का जन्म 2 मई 1968 को भिलाई में हुआ था। उनके पिता का नाम खाम सिंह जांगड़े व माता का नाम धनमत बाई था। उषा बारले का बाल विवाह अमरदास बारले से से हुआ था। उन्होंने गुरु मेहतरदास बघेलजी के अधीन सात साल की उम्र में पंडवानी गायन का अध्ययन शुरू किया। इसके बाद उन्होंने इस कला रूप की नाटकीय पेचीदगियों को समझने के लिए तीजनबाई के साथ अध्ययन करना शुरू किया।[1]

संघर्षमय समय

उषा बारले बताती हैं कि आर्थिक तंगी का समय भी गुजारा। उस समय को याद करती हैं तो उनकी आंखे नम हो जाती हैं। उन्होंने बताया था कि गृहस्थी चलाने के लिए वह सेक्टर-1 की बस्ती में रहकर केला, संतरा व अन्य फल बेचा करती थीं। वह खासा संघर्ष भरा दिन था। इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। पंडवानी के अलावा अनेक लोक विधाओं में भी वह पारंगत है।[2]

पहली प्रस्तुति

पंडवानी शैली में गुरु घासीदास की जीवनी सर्वप्रथम प्रस्तुत करने के लिए उषा बारले प्रशंसा की पात्र हैं। पंडवानी में उषा बारले ने छत्तीसगढ़ के बाहर न्यूयॉर्क, लंदन और जापान सहित शहरों में प्रदर्शन दिया है।

विदेशों में गायन

अमेरिका और लंदन के 20 से अधिक शहर में उषा बारले पंडवानी गायन पेश कर चुकी हैं। इसी तरह से भारत में रांची, असम, गुवाहाटी, गुना, भागलपुर, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हैदराबाद, हरियाणा, कोलकाता, जयपुर आदि में भी पंडवानी गायन से अपनी पहचान बना चुकी हैं।

पुरस्कार व सम्मान


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. उषा बारले का जीवन परिचय (हिंदी) mahanews07.com। अभिगमन तिथि: 23 जुलाई, 2023।
  2. 2.0 2.1 फल बेचकर गृहस्थी चलाई, अब पद्मश्री पुरस्कार से किया गया सम्मानित (हिंदी) patrika.com। अभिगमन तिथि: 23 जुलाई, 2023।

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