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*लोकश्रुति है कि [[हरिश्चन्द्र|महाराज हरिश्चन्द्र]] के पुत्र [[रोहिताश्व]] के नाम पर इसका नामकरण हुआ।  
 
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*रोहतासगढ़ का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह मध्यकाल में रोहतासगढ़ [[भारत]] के सुदृढ़तम क़िलों में गिना जाता था। और अपनी स्थिति के कारण बंगाल का दूसरा नाका कहलाता था, पहला चुनार का गढ़ था।  
 
*रोहतासगढ़ का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह मध्यकाल में रोहतासगढ़ [[भारत]] के सुदृढ़तम क़िलों में गिना जाता था। और अपनी स्थिति के कारण बंगाल का दूसरा नाका कहलाता था, पहला चुनार का गढ़ था।  
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रोहतासगढ़, बिहार

रोहतासगढ़ बिहार में कैमूर पहाड़ी और सोन नदी के तट पर स्थित एक क़िला है जो अपने सुदृढ़ गढ़ के लिए जाना जाता है।

  • लोकश्रुति है कि महाराज हरिश्चन्द्र के पुत्र रोहिताश्व के नाम पर इसका नामकरण हुआ।
  • रोहतासगढ़ का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है। यह मध्यकाल में रोहतासगढ़ भारत के सुदृढ़तम क़िलों में गिना जाता था। और अपनी स्थिति के कारण बंगाल का दूसरा नाका कहलाता था, पहला चुनार का गढ़ था।
  • बंगाल-बिहार की सूबेदारी के दौरान राजा मानसिंह ने इस क़िले की मरम्मत करायी थी। 1597 ई. का अभिलेख रोहतासगढ़ क़िले में पाया गया है। जो इस तथ्य की पुष्टि करता है।
  • मध्यकाल तक सैन्य रणनीति एवं सुरक्षा तंत्र में क़िलों का महत्त्व अत्यधिक था।
  • रोहतास अपनी स्थिति एवं सुदृढ़ता के कारण महत्त्वपूर्ण क़िला था। यह दुर्ग पूर्व-पश्चिम में चार मील और उत्तर-दक्षिण में पाँच मील के विस्तार में है। इतना विस्तृत दुर्ग देश में दूसरा नहीं है। इस दुर्ग में चौदह द्वार थे। किंतु शेरशाह सूरी के समय चार को छोड़कर शेष बन्द कर दिये गये।


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