"हिरण्यकवर्ष" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
('*महाभारत, सभापर्व<ref>[[सभापर्व महा...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*[[महाभारत]], [[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]]<ref>[[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]], 28</ref> दाक्षिणात्यपाठ के अनुसार अपनी उत्तर दिशा की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में [[अर्जुन]] हिरण्यकवर्ष पहुचे थे।  
+
[[महाभारत]], [[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]]<ref>[[सभापर्व महाभारत|सभापर्व]], 28</ref> दाक्षिणात्यपाठ के अनुसार अपनी उत्तर दिशा की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में [[अर्जुन]] हिरण्यकवर्ष पहुचे थे।  
*यह रम्यकवर्ष के उत्तर में स्थित था जिससे यह [[भीष्मपर्व महाभारत|भीष्मपर्व]]<ref>भीष्मपर्व 9</ref> में वर्णित हिरण्मयवर्ष का ही पर्याय जान पड़ता है-
+
*यह हिरम्यकवर्ष के उत्तर में स्थित था जिससे यह [[भीष्मपर्व महाभारत|भीष्मपर्व]]<ref>भीष्मपर्व 9</ref> में वर्णित हिरण्मयवर्ष का ही पर्याय जान पड़ता है-
 
<poem>‘सश्वेतं पर्वतं राजन् समतिकम्य पांडव:,  
 
<poem>‘सश्वेतं पर्वतं राजन् समतिकम्य पांडव:,  
 
वर्षं हिरण्यकं नाम विवेशाथ महीपते।  
 
वर्षं हिरण्यकं नाम विवेशाथ महीपते।  
पंक्ति 9: पंक्ति 9:
 
ददृशुस्ताः स्त्रियः सर्वाः पार्थमात्मयशस्करम्’।</poem>
 
ददृशुस्ताः स्त्रियः सर्वाः पार्थमात्मयशस्करम्’।</poem>
  
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
+
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
पंक्ति 16: पंक्ति 16:
  
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 +
{{पौराणिक स्थान}}
 +
[[Category:पौराणिक स्थान]]
 +
[[Category:पौराणिक कोश]]
 
[[Category:महाभारत]]
 
[[Category:महाभारत]]
[[Category:इतिहास कोश]]
 
 
  
 
__INDEX__
 
__INDEX__

10:08, 19 नवम्बर 2012 के समय का अवतरण

महाभारत, सभापर्व[1] दाक्षिणात्यपाठ के अनुसार अपनी उत्तर दिशा की दिग्विजय यात्रा के प्रसंग में अर्जुन हिरण्यकवर्ष पहुचे थे।

  • यह हिरम्यकवर्ष के उत्तर में स्थित था जिससे यह भीष्मपर्व[2] में वर्णित हिरण्मयवर्ष का ही पर्याय जान पड़ता है-

‘सश्वेतं पर्वतं राजन् समतिकम्य पांडव:,
वर्षं हिरण्यकं नाम विवेशाथ महीपते।
स तु देशेषुरम्येषुगन्तुं तत्रोपचकमे,
मध्ये प्रासादवृन्देषु नक्षत्राणां शशी यथा।
महापथेषु राजेन्द्रसवतोयान्तमर्जुनम् प्रासादवरश्रृंगस्था:,
परया वीर्यशोभया,
ददृशुस्ताः स्त्रियः सर्वाः पार्थमात्मयशस्करम्’।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सभापर्व, 28
  2. भीष्मपर्व 9

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख