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'''फ़िरदौस ख़ान''' एक पत्रकार, शायरा और कहानीकार हैं। वह कई भाषाओं की जानकार हैं। उन्होंने [[दूरदर्शन]] केन्द्र और देश के प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों में कई साल तक सेवाएं दीं। उन्होंने अनेक साप्ताहिक समाचार-पत्रों का संपादन भी किया। ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन केन्द्र से समय-समय पर उनके कार्यक्रमों का प्रसारण होता रहा है। उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो और न्यूज़ चैनलों के लिए भी काम किया है। वह देश-विदेश के विभिन्न समाचार-पत्रों, [[पत्रिका|पत्रिकाओं]] और [[समाचार]] व फीचर्स एजेंसी के लिए लिखती रही हैं। उत्कृष्ट [[पत्रकारिता]], कुशल संपादन और लेखन के लिए उन्हें अनेक पुरस्कारों ने नवाज़ा जा चुका है। वह कवि सम्मेलनों और मुशायरों में भी वह शिरकत करती रही हैं।  
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'''फ़िरदौस ख़ान''' ([[अंग्रेज़ी]]:''Firdaus Khan'') एक पत्रकार, शायरा और कहानीकार हैं। वह कई भाषाओं की जानकार हैं। उन्होंने [[दूरदर्शन]] केन्द्र और देश के प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों में कई साल तक सेवाएं दीं। उन्होंने अनेक साप्ताहिक समाचार-पत्रों का संपादन भी किया। ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन केन्द्र से समय-समय पर उनके कार्यक्रमों का प्रसारण होता रहा है। उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो और न्यूज़ चैनलों के लिए भी काम किया है। वह देश-विदेश के विभिन्न समाचार-पत्रों, [[पत्रिका|पत्रिकाओं]] और [[समाचार]] व फीचर्स एजेंसी के लिए लिखती रही हैं। उत्कृष्ट [[पत्रकारिता]], कुशल संपादन और लेखन के लिए उन्हें अनेक पुरस्कारों ने नवाज़ा जा चुका है। वह कवि सम्मेलनों और मुशायरों में भी वह शिरकत करती रही हैं।  
 
==संक्षिप्त जीवन परिचय==
 
==संक्षिप्त जीवन परिचय==
फ़िरदौस ख़ान को लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी के नाम से जाना जाता है। कई बरसों तक उन्होंने [[शास्त्रीय संगीत|हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत]] की तालीम भी ली। [[उर्दू]], [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], [[अंग्रेज़ी]] और रशियन अदब (साहित्य) में उनकी ख़ास दिलचस्पी है। वह मासिक पैग़ामे-मादरे-वतन की भी संपादक रही हैं और मासिक वंचित जनता में संपादकीय सलाहकार हैं। वह स्टार न्यूज़ एजेंसी में संपादक हैं। 'स्टार न्यूज़ एजेंसी' और 'स्टार वेब मीडिया' नाम से उनके दो न्यूज़ पॉर्टल भी हैं। वह रूहानियत में यक़ीन रखती हैं और सूफ़ी सिलसिले से जुड़ी हैं। उन्होंने सूफ़ी-संतों के जीवन दर्शन और पर आधारित एक किताब 'गंगा-जमुनी संस्कृति के अग्रदूत' लिखी है, जिसे साल [[2009]] में प्रभात प्रकाशन समूह ने प्रकाशित किया था। वह अपने पिता स्वर्गीय सत्तार अहमद ख़ान और माता श्रीमती ख़ुशनूदी ख़ान को अपना आदर्श मानती हैं। हाल में उन्होंने राष्ट्रीय गीत [[वंदे मातरम]] का पंजाबी अनुवाद किया है। क़ाबिले-ग़ौर है कि सबसे पहले फ़िरदौस ख़ान ने ही [[कांग्रेस]] के उपाध्यक्ष [[राहुल गांधी]] को ’शहज़ादा’ कहकर संबोधित किया था, तभी से राहुल गांधी के लिए ’शहज़ादा’ शब्द का इस्तेमाल हो रहा है। वह बलॉग भी लिखती हैं। उनके कई बलॉग हैं. फ़िरदौस डायरी और मेरी डायरी उनके हिंदी के बलॉग है. हीर पंजाबी का बलॉग है. जहांनुमा उर्दू का बलॉग है और द पैराडाइज़ अंग्रेज़ी का बलॉग है। उनकी [[शायरी]] किसी को भी अपना मुरीद बना लेने की तासीर रखती है। मगर जब वह हालात पर तब्सिरा करती हैं, तो उनकी क़लम तलवार से भी ज़्यादा तेज़ हो जाती है। जहां उनकी शायरी में इश्क़, समर्पण, रूहानियत और पाकीज़गी है, वहीं लेखों में ज्वलंत सवाल मिलते है, जो पाठक को सोचने पर मजबूर कर देते हैं। अपने बारे में वह कहती हैं-  
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फ़िरदौस ख़ान को लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी के नाम से जाना जाता है। कई बरसों तक उन्होंने [[शास्त्रीय संगीत|हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत]] की तालीम भी ली। [[उर्दू]], [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], [[अंग्रेज़ी]] और रशियन अदब (साहित्य) में उनकी ख़ास दिलचस्पी है। वह मासिक पैग़ामे-मादरे-वतन की भी संपादक रही हैं और मासिक वंचित जनता में संपादकीय सलाहकार हैं। वह स्टार न्यूज़ एजेंसी में संपादक हैं। 'स्टार न्यूज़ एजेंसी' और 'स्टार वेब मीडिया' नाम से उनके दो न्यूज़ पॉर्टल भी हैं। वह रूहानियत में यक़ीन रखती हैं और सूफ़ी सिलसिले से जुड़ी हैं। उन्होंने सूफ़ी-संतों के जीवन दर्शन और पर आधारित एक किताब 'गंगा-जमुनी संस्कृति के अग्रदूत' लिखी है, जिसे साल [[2009]] में प्रभात प्रकाशन समूह ने प्रकाशित किया था। वह अपने पिता स्वर्गीय सत्तार अहमद ख़ान और माता श्रीमती ख़ुशनूदी ख़ान को अपना आदर्श मानती हैं। हाल में उन्होंने राष्ट्रीय गीत [[वंदे मातरम्]] का पंजाबी अनुवाद किया है। क़ाबिले-ग़ौर है कि सबसे पहले फ़िरदौस ख़ान ने ही [[कांग्रेस]] के उपाध्यक्ष [[राहुल गांधी]] को ’शहज़ादा’ कहकर संबोधित किया था, तभी से राहुल गांधी के लिए ’शहज़ादा’ शब्द का इस्तेमाल हो रहा है। वह ब्लॉग भी लिखती हैं। उनके कई ब्लॉग हैं। 'फ़िरदौस डायरी' और 'मेरी डायरी' उनके [[हिंदी]] के ब्लॉग है। 'हीर' [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]] का ब्लॉग है। 'जहांनुमा' [[उर्दू]] का ब्लॉग है और 'द पैराडाइज़' [[अंग्रेज़ी]] का ब्लॉग है। उनकी [[शायरी]] किसी को भी अपना मुरीद बना लेने की तासीर रखती है। मगर जब वह हालात पर तब्सिरा करती हैं, तो उनकी क़लम तलवार से भी ज़्यादा तेज़ हो जाती है। जहां उनकी शायरी में इश्क़, समर्पण, रूहानियत और पाकीज़गी है, वहीं लेखों में ज्वलंत सवाल मिलते है, जो पाठक को सोचने पर मजबूर कर देते हैं। अपने बारे में वह कहती हैं-  
 
<blockquote>मेरे अल्फ़ाज़, मेरे जज़्बात और मेरे ख़्यालात की तर्जुमानी करते हैं, क्योंकि मेरे लफ़्ज़ ही मेरी पहचान हैं।</blockquote>
 
<blockquote>मेरे अल्फ़ाज़, मेरे जज़्बात और मेरे ख़्यालात की तर्जुमानी करते हैं, क्योंकि मेरे लफ़्ज़ ही मेरी पहचान हैं।</blockquote>
  
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
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*[http://firdaus-firdaus.blogspot.in/ मेरी डायरी (हिंदी)]
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*[http://firdausdiary.blogspot.in/ फ़िरदौस डायरी (हिंदी)]
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*[http://firdaus-theparadise.blogspot.in/ द पैराडाइज़ (अंग्रेज़ी)]
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*[http://jahaannuma.blogspot.in/ जहांनुमा (उर्दू)]
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*[http://heer-thesong.blogspot.in/ हीर (पंजाबी)]
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*[http://www.starwebmedia.in/ स्टार वेब मीडिया]
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*[http://www.starnewsagency.in/ स्टार न्यूज़ ऐजेंसी]
 
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08:05, 23 जून 2016 के समय का अवतरण

फ़िरदौस ख़ान
फ़िरदौस ख़ान
पूरा नाम फ़िरदौस ख़ान
अभिभावक स्वर्गीय सत्तार अहमद ख़ान और श्रीमती ख़ुशनूदी ख़ान
कर्म-क्षेत्र पत्रकार, शायरा और कहानीकार
मुख्य रचनाएँ वंदे मातरम् का पंजाबी अनुवाद, तुमसे तन-मन मिले प्राण प्रिय (गीत), ख़ामोश रात की तन्हाई में (नज़्म), सांस्कृतिक दूत सपेरे, ऋतु बसंत की मादक बेला, बिन सावन के बरसा, मेरे महबूब, रमज़ान, सुनने की फुर्सत हो तो आवाज़ है पत्थरों में
भाषा हिंदी, अंग्रेज़ी, उर्दू, पंजाबी
नागरिकता भारतीय
संबंधित लेख लुप्त होती कठपुतली कला
अन्य जानकारी 'फ़िरदौस ख़ान स्टार न्यूज़ एजेंसी में संपादक हैं। 'स्टार न्यूज़ एजेंसी' और 'स्टार वेब मीडिया' नाम से उनके दो न्यूज़ पॉर्टल भी हैं।
बाहरी कड़ियाँ मेरी डायरी, फ़िरदौस डायरी (हिंदी)
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इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

फ़िरदौस ख़ान (अंग्रेज़ी:Firdaus Khan) एक पत्रकार, शायरा और कहानीकार हैं। वह कई भाषाओं की जानकार हैं। उन्होंने दूरदर्शन केन्द्र और देश के प्रतिष्ठित समाचार-पत्रों में कई साल तक सेवाएं दीं। उन्होंने अनेक साप्ताहिक समाचार-पत्रों का संपादन भी किया। ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन केन्द्र से समय-समय पर उनके कार्यक्रमों का प्रसारण होता रहा है। उन्होंने ऑल इंडिया रेडियो और न्यूज़ चैनलों के लिए भी काम किया है। वह देश-विदेश के विभिन्न समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और समाचार व फीचर्स एजेंसी के लिए लिखती रही हैं। उत्कृष्ट पत्रकारिता, कुशल संपादन और लेखन के लिए उन्हें अनेक पुरस्कारों ने नवाज़ा जा चुका है। वह कवि सम्मेलनों और मुशायरों में भी वह शिरकत करती रही हैं।

संक्षिप्त जीवन परिचय

फ़िरदौस ख़ान को लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी के नाम से जाना जाता है। कई बरसों तक उन्होंने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की तालीम भी ली। उर्दू, पंजाबी, अंग्रेज़ी और रशियन अदब (साहित्य) में उनकी ख़ास दिलचस्पी है। वह मासिक पैग़ामे-मादरे-वतन की भी संपादक रही हैं और मासिक वंचित जनता में संपादकीय सलाहकार हैं। वह स्टार न्यूज़ एजेंसी में संपादक हैं। 'स्टार न्यूज़ एजेंसी' और 'स्टार वेब मीडिया' नाम से उनके दो न्यूज़ पॉर्टल भी हैं। वह रूहानियत में यक़ीन रखती हैं और सूफ़ी सिलसिले से जुड़ी हैं। उन्होंने सूफ़ी-संतों के जीवन दर्शन और पर आधारित एक किताब 'गंगा-जमुनी संस्कृति के अग्रदूत' लिखी है, जिसे साल 2009 में प्रभात प्रकाशन समूह ने प्रकाशित किया था। वह अपने पिता स्वर्गीय सत्तार अहमद ख़ान और माता श्रीमती ख़ुशनूदी ख़ान को अपना आदर्श मानती हैं। हाल में उन्होंने राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् का पंजाबी अनुवाद किया है। क़ाबिले-ग़ौर है कि सबसे पहले फ़िरदौस ख़ान ने ही कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी को ’शहज़ादा’ कहकर संबोधित किया था, तभी से राहुल गांधी के लिए ’शहज़ादा’ शब्द का इस्तेमाल हो रहा है। वह ब्लॉग भी लिखती हैं। उनके कई ब्लॉग हैं। 'फ़िरदौस डायरी' और 'मेरी डायरी' उनके हिंदी के ब्लॉग है। 'हीर' पंजाबी का ब्लॉग है। 'जहांनुमा' उर्दू का ब्लॉग है और 'द पैराडाइज़' अंग्रेज़ी का ब्लॉग है। उनकी शायरी किसी को भी अपना मुरीद बना लेने की तासीर रखती है। मगर जब वह हालात पर तब्सिरा करती हैं, तो उनकी क़लम तलवार से भी ज़्यादा तेज़ हो जाती है। जहां उनकी शायरी में इश्क़, समर्पण, रूहानियत और पाकीज़गी है, वहीं लेखों में ज्वलंत सवाल मिलते है, जो पाठक को सोचने पर मजबूर कर देते हैं। अपने बारे में वह कहती हैं-

मेरे अल्फ़ाज़, मेरे जज़्बात और मेरे ख़्यालात की तर्जुमानी करते हैं, क्योंकि मेरे लफ़्ज़ ही मेरी पहचान हैं।



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