नीलम प्रभा
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नीलम प्रभा (अंग्रेज़ी: Neelam Prabha, जन्म- 12 जुलाई, बक्सर) भारत की जानी-मानी लेखिका हैं। उनके लेखन में कविता, कहानी, नाटक, समीक्षा तथा पटकथा आदि शामिल है। उन्होंने 'कथावली' शीर्षक से विश्वस्तरीय कथाओं का सात खंडों में संकलन किया है। इसके अतिरिक्त नीलम प्रभा सम्पादन कार्य भी करती रही हैं।
परिचय
लेखिका नीलम प्रभा का जन्म 12 जुलाई को गंगा के तट पर बसे हुए छोटे से कस्बाई पर पुराण और इतिहास में वर्णित शहर बक्सर, बिहार में हुआ था। नवजात के ही दायरे में थीं कि सीता की जन्मस्थली के पास बसे सीतामढ़ी अनुमंडल के एक प्रखंड डुमरा में चली गईं, जहां पर एक उच्च स्तर के उच्च विद्यालय में अभिजात्य रुचियों के स्वामी उनके पिता श्री रामचंद्र प्रसाद ने प्राचार्य का पदभार ग्रहण किया था।
कुल जमा आठ सदस्यों के परिवार में और बेहद साहित्यिक और सांस्कृतिक वातावरण में नीलम प्रभा ने परवरिश पायी। इसलिए बहुत छोटी उम्र में ही उंगलियों ने कलम उठा ली और अपनी मां के पदचिह्नों पर चलने लगीं। उल्लेखनीय है कि नीलम प्रभा की माताजी सरस्वती प्रसाद हिंदी की न सिर्फ एक जानी मानी बल्कि उल्लेखनीय लेखिका रही हैं, जिन्हें कवि सुमित्रानंदन पंत ने पुत्री माना था।
शिक्षा
नीलम प्रभा ने बिहार विश्वविद्यालय से हिंदी प्रतिष्ठा के साथ स्नातक की और रांची विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की परीक्षा में उत्तीर्ण हुईं। वह कविता, कहानी, नाटक, समीक्षा तथा पटकथा लिखती हैं। इसके अलावा अभिनय, निर्देशन, साक्षात्कार (मंच, रेडियो); शिक्षण, उद्घोषणा (मंच, रेडियो) आदि भी करती हैं।
लेखन कार्य
नीलम प्रभा की पहली कविता 1971 में साप्ताहिक हिंदुस्तान में छपी। यह सिलसिला जारी रहा 1979 तक और हिंदी की उत्कृष्ट पत्रिकाओं- कादम्बिनी, धर्मयुग, सा. हिंदुस्तान, सारिका, दिनमान में रचनाएं छपती रहीं। उपेंद्रनाथ अश्क, मोहन राकेश, राजेंद्र अवस्थी जैसे लेखकों के साथ लगातार पत्र व्यवहार बना रहा। निजी कारणों से यह सुंदर क्रम रुक गया।
फिर स्टूडियो मिला आकाशवाणी का, बतौर उद्घोषिका एक सपना साकार हुआ और यहां बीस साल बीते। इसके साथ नीलम प्रभा अध्यापन कार्य से जुड़ीं और 2021 में अवकाश पाया। बतौर फ्री लांसर वह नवभारत टाइम्स, हिंदुस्तान और आज के कला संस्कृति पृष्ठ के लिए करीब आठ सालों तक लिखती रहीं। पटकथाएं, मंच नाटक, रेडियो नाटक, समीक्षा, कविताएं और संपादन- सबको जन्म देने का सुख उनकी कलम ने पाया है। तक्षशिला एजुकेशनल सोसायटी के बहुचर्चित कार्यक्रमों की मंचीय उद्घोषणा को भी करीब बीस सालों तक नीलम प्रभा ने संभाला। उनकी कलम रुकी नहीं है, वह मुसलसिल जारी है।
आकाशवाणी और मंच के लिए रेडियो नाटक, बाल नाटक और नुक्कड़ नाटक भी लिखे, जिनका प्रसारण और मंचन होता रहा। उनका काव्य संग्रह 'एक लम्हा दोपहर' प्रकाशन के लिए तैयार है।
संपादन
- अश्वत्थ - (प्रार्थना संग्रह - ईश्वर से लेकर देश, प्रकृति, पंचतत्व, रिश्ते, धर्म, उत्सव, लोकजीवन, व्यवहार सबकी प्रार्थना है)
- अविगत - (इसके तीन आख्यांक हैं। चंदबरदाई से आधुनिक रचनाकारों की कविताओं का संकलन)
- कथावली - विश्वस्तरीय कथाओं का सात खंडों में संकलन।
प्रकाशन
नीलम प्रभा की वर्ष 1971 से वर्ष 1979 तक रचनाएं साप्ताहिक हिंदुस्तान, कादम्बिनी, धर्मयुग में नियमित प्रकाशित हुई। इनके अलावा कुछ लघु कथाएं सारिका में प्रकाशित हुईं। हस्तलिखित पत्रिका 'हीरोज' के बालकृष्ण राव स्मृति अंक में (संपादक- सुमित्रानंदन पंत एवं हरिवंश राय बच्चन) कविता मांगी गई जो प्रकाशित हुई। उसकी एक स्मारिका भेजी गई।
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