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'''मैडम तुसाद संग्रहालय''' [[लन्दन]] की मैरिलेबोन रोड पर स्थापित मोम की मूर्तियों का संग्राहलय हैं, इसकी अन्य शाखाऎ विश्व के प्रमुख शहरों में हैं। इसकी स्थापना 1835 में मोम शिल्पकार मेरी तुसाद ने की थी। फ्रांस की एक कलाकार थीं मैरी तुसाद जो मोम की मूर्तियां बनाया करती थीं। लंदन स्थिति मैडम तुसाद संग्रहालय विश्‍व का अनोखी जगह है। यहां विश्‍वभर की कई नामचीन हस्तियों के मोम के पुतले संग्रहित कर रखे गए हैं। मैडम तुसाद संग्रहालय में 400 से ज़्यादा आदम क़द मूर्तियां हैं और इतनी सजीव लगती हैं कि कभी कभी देखने वालों को भ्रम हो जाता है। मैडम तुसाद संग्रहालय आज लंदन के विशेष पर्यटक स्थलों में शामिल है। लंदन के अलावा इस म्यूजियम की शाखा एम्सटर्डम, लास वेगास, न्यूयॉर्क, हांगकांग और [[शंघाई]] में भी है और हर साल लाखों की संख्या में दर्शक वहाँ जाते हैं। तुसाद के वैक्स म्यूजियम में हर वह शख़्स आपको नजर आ जाएगा जो दुनियाभर में चर्चित है। खेल से लेकर राजनीति तक और फ़िल्मों से लेकर मॉडलिंग तक।
मैडम तुसाद संग्रहालय [[लन्दन]] की मैरिलेबोन रोड पर स्थापित मोम की मूर्तियों का संग्राहलय हैं, इसकी अन्य शाखाऎ विश्व के प्रमुख शहरों मे हैं। इसकी स्थापना 1835 में मोम शिल्पकार मेरी तुसाद ने की थी। फ्रांस की एक कलाकार थीं मैरी तुसाद जो मोम की मूर्तियां बनाया करती थीं। लंदन स्थिति मैडम तुसाद संग्रहालय विश्‍व का अनोखी जगह है। यहां विश्‍वभर की कई नामचीन हस्तियों के मोम के पुतले संग्रहित कर रखे गए हैं।  
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==इतिहास==
 
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मैडम तुसाद संग्रहालय के वजूद में आने की कहानी काफ़ी दिलचस्प है। 17वीं सदी में फ्रांस की क्रांति कामयाबी के आखिरी दौर में थी। फ्रांस की सेना ने कई युद्धबंदियों को कैद कर रखा था। [[यूरोप]] में घूमते हुए 1802 में वह लंदन पहुंचीं। फिर [[फ्रांस]] और [[ब्रिटेन]] की जंग हो गई और वह अपने देश जा ही नहीं पाईं। फिर वह वहीं बस गईं। इस कैद में मैरी गोजोल्‍स भी थी जो आगे चलकर इस म्‍यूजियम की जनक बनीं।  
मैडम तुसाद संग्रहालय में चार सौ से ज़्यादा आदम क़द मूर्तियां हैं और इतनी सजीव लगती हैं कि कभी कभी देखने वालों को भ्रम हो जाता है। मैडम तुसाद संग्रहालय आज लंदन के विशेष पर्यटक स्थलों में शामिल है। लंदन के अलावा इस म्यूजियम की शाखा एम्सटर्डम, लास वेगास, न्यूयॉर्क, हांगकांग और शंघाई में भी है और हर साल लाखों की संख्या में दर्शक वहाँ जाते हैं। तुसाद के वैक्स म्यूजियम में हर वह शख्स आपको नजर आ जाएगा जो दुनियाभर में चर्चित है। खेल से लेकर राजनीति तक और फ़िल्मों से लेकर मॉडलिंग तक हर कोई।
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====मैडम मेरी तुसाद====
 
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मेरी तुसाद का जन्म 1761 में फ़्रांस के स्ट्रासबर्ग शहर में हुआ और नाम रखा गया मैरी ग्रौशॉल्ट्ज़। उनकी माँ फ़िलिप कर्टियस नाम के एक डॉक्टर के यहां काम करती थीं जिन्हे मोम की आदम क़द मूर्तियां बनाने का शौक़ था। मैरी को मोम के पुतले बनाने का शौक़ था। उन्हें यह कला उनके मालिक डॉक्टर फिलिप से विरासत में मिली थी। तब मोम से बने अंगों का इस्‍तेमाल चिकित्सा जगत् में होता था। डॉक्टर फिलिप ने अपनी विधा को आगे बढ़ाया और लोगों की आदमकद मूर्तियां भी बनानी शुरू कर दी। मैरी को भी मोम के पुतले बनाने में बेहद दिलचस्पी थी उसने जल्द ही इस कला में महारथ हासिल कर ली। मैरी ने उस दौर की कई जानी-मानी शख़्सियतों की मोम की मूर्तियाँ बनाई। लेकिन कुछ दिनों बाद ही डॉक्टर फिलिप की मौत हो गई। मरने से पहले डॉक्टर फिलिप ने अपना म्यूजियम मैरी के नाम कर दिया था। मैरी ने इस म्यूजियम को अपनी काबिलियत से और आगे बढ़ाया। वे धीरे-धीरे अपने क़दम आगे बढ़ातीं गई। चौंतीस साल की उम्र में मैरी ने फ़्रान्सुआ तुसाद नाम के इंजीनियर से शादी कर ली और वो मैडम तुसाद के नाम से जानी जाने लगीं। अगले तैंतीस साल तक वो अपनी मूर्तियों का संग्रह लेकर देश विदेश घूमती रहीं और आख़िरकार 1835 में लंदन में आ बसीं। उन्होंने [[ब्रिटेन]] के अलग-अलग शहरों में अपनी प्रदर्शनी लगाई। 1835 में उन्होंने लंदन की बेकर स्ट्रीट में अपना पहला स्थाई म्यूजियम खोला। 1884 में इस म्यूजियम की जगह बदल दी गई और इसे मेरिलबोन रोड पर खोला गया। जहां आज भी यह मैडम टुसॉड्स वेक्स म्यूजियम के नाम से मौजूद है। सन् 1850 में मैडम तुसाद का देहान्त हो गया। फिर उनके पोते जोज़फ़ रैंडल उनकी प्रदर्शनी को मैरिलेबोन रोड पर ले आए।  
==मैडम तुसाद संग्रहालय का इतिहास==
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==मैडम तुसाद संग्रहालय में भारतीय==
मैडम तुसाद संग्रहालय के वजूद में आने की कहानी काफ़ी दिलचस्प है। 17वीं सदी में फ्रांस की क्रांति कामयाबी के आखिरी दौर में थी। फ्रांस की सेना ने कई युद्धबंदियों को कैद कर रखा था। यूरोप में घूमते हुए 1802 में वह लंदन पहुंचीं। फिर [[फ्रांस]] और [[ब्रिटेन]] की जंग हो गई और वह अपने देश जा ही नहीं पाईं। फिर वह वहीं बस गईं। इस कैद में मैरी गोजोल्‍स भी थी जो आगे चलकर इस म्‍यूजियम की जनक बनीं।  
 
 
 
मेरी तुसाद का जन्म 1761 में फ़्रांस के स्ट्रासबर्ग शहर में हुआ और नाम रखा गया मैरी ग्रौशॉल्ट्ज़। उनकी मां फ़िलिप कर्टियस नाम के एक डॉक्टर के यहां काम करती थीं जिन्हे मोम की आदम क़द मूर्तियां बनाने का शौक़ था। मैरी को मोम के पुतले बनाने का शौक़ था। उन्हें यह कला उनके मालिक डॉक्टर फिलिप से विरासत में मिली थी। तब मोम से बने अंगों का इस्‍तेमाल चिकित्सा जगत में होता था। डॉक्टर फिलिप ने अपनी विधा को आगे बढ़ाया और लोगों की आदमकद मूर्तियां भी बनानी शुरू कर दी।  
 
 
 
मैरी को भी मोम के पुतले बनाने में बेहद दिलचस्पी थी उसने जल्द ही इस कला में महारथ हासिल कर ली। मैरी ने उस दौर की कई जानी-मानी शख्सियतों की मोम की मूर्तियाँ बनाई। लेकिन कुछ दिनों बाद ही डॉक्टर फिलिप की मौत हो गई। मरने से पहले डॉक्टर फिलिप ने अपना म्यूजियम मैरी के नाम कर दिया था। मैरी ने इस म्यूजियम को अपनी काबिलियत से और आगे बढ़ाया। वे धीरे-धीरे अपने क़दम आगे बढ़ातीं गई। चौंतीस साल की उम्र में मैरी ने फ़्रान्सुआ तुसाद नाम के इंजीनियर से शादी कर ली और वो मैडम तुसाद के नाम से जानी जाने लगीं। अगले तैंतीस साल तक वो अपनी मूर्तियों का संग्रह लेकर देश विदेश घूमती रहीं और आख़िरकार 1835 में लंदन में आ बसीं। उन्होंने ब्रिटेन के अलग-अलग शहरों में अपनी प्रदर्शनी लगाई। 1835 में उन्होंने लंदन की बेकर स्ट्रीट में अपना पहला स्थाई म्यूजियम खोला। 1884 में इस म्यूजियम की जगह बदल दी गई और इसे मेरिलबोन रोड पर खोला गया। जहां आज भी यह मैडम टुसॉड्स वेक्स म्यूजियम के नाम से मौजूद है। सन् 1850 में मैडम तुसाद का देहान्त हो गया। फिर उनके पोते जोज़फ़ रैंडल उनकी प्रदर्शनी को मैरिलेबोन रोड पर ले आए।  
 
 
 
==मैडम तुसाद संग्रहालय मे भारतीय==
 
 
[[चित्र:tussaud-marie.jpg|thumb|मेरी तुसाद]]  
 
[[चित्र:tussaud-marie.jpg|thumb|मेरी तुसाद]]  
विश्व प्रसिद्ध इस म्यूजियम में धीरे-धीरे भारतीयों ने भी अपनी मौजूदगी दिखानी शुरू कर दी। सबसे पहले इस म्यूजियम में जगह बनाई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इसके बाद इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सचिन तेंदुलकर ने।  
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विश्व प्रसिद्ध इस म्यूजियम में धीरे-धीरे भारतीयों ने भी अपनी मौजूदगी दिखानी शुरू कर दी। सबसे पहले इस म्यूजियम में जगह बनाई [[राष्ट्रपिता]] [[महात्मा गांधी]] ने इसके बाद [[इंदिरा गांधी]], [[राजीव गांधी]], [[सचिन तेंदुलकर]] ने। मैडम तुसाद संग्रहालय में [[बॉलीवुड]] की हस्तियां भी पीछे नहीं रही। सदी के महानायक [[अमिताभ बच्चन]], [[रजनीकांत]], [[ऐश्वर्या राय]], शाहरुख खान, ऋतिक रोशन, करीना कपूर और अब सलमान खान इस म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहे हैं। मोम के इन सितारों और प्रसिद्ध हस्तियों को लोग बड़ी उत्‍सुकता से निहारते है। बॉलीवुड की ओर से तुसाद म्यूजियम में सबसे पहले पहुंचे सुपर स्टार अमिताभ बच्चन। उनका पुतला साल [[2000]] में लंदन के म्यूजियम में लगा। जब तुसाद म्यूजियम में चर्चित चेहरे नजर आते हैं तो दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत महिलाओं में गिनी जाने वाली पूर्व विश्व सुंदरी और बॉलीवुड की अदाकारा ऐश्वर्या राय वहां कैसे ना होतीं। ऐश का मोम का पुतला [[2004]] में लंदन के म्यूजियम में लगाया गया। उनके चाहने वालों की तादाद को देखते हुए न्यूयॉर्क में भी उनका पुतला लगाया गया। बॉलीवुड स्टार शाहरुख़ खान का मोम का पुतला न्यूयॉर्क के मैडम तुसाद म्यूजियम का हिस्सा बना। इससे पहले लंदन में भी शाहरुख़ खान का मोम का पुतला लग चुका है। सलमान खान ने तुसाद म्यूजियम में एंट्री ली साल [[2008]] में। और उनकी एंट्री धमाकेदार रही क्योंकि उन्होंने यह जगह जीती। दरअसल एक पोल कराया गया जिसमें लोगों से पूछा गया कि वे अमिताभ, ऐश्वर्या और शाहरुख़ के बाद किसे तुसाद म्यूजियम में देखना चाहते हैं। [[माधुरी दीक्षित]], ऋतिक रोशन, [[लता मंगेशकर]] और [[अभिषेक बच्चन]] को पीछे छोड़ते हुए सलमान ने बाज़ी मारी। तमिल फ़िल्मों के फैन्स के लिए [[रजनीकांत]] भगवान की तरह हैं। लेकिन दुनिया भर में भी उनके चाहने वालों की कमी नहीं है। तभी तो उनका पुतला लंदन के मैडम तुसाद वैक्स म्यूजियम में मौजूद है। [[सचिन तेंदुलकर]] जो 20 साल से भारतीय [[क्रिकेट]] के सितारे रहे हैं, इस संग्रहालय में मोम के सांचे में समा जाने वाले खेल की दुनिया के पहली भारतीय हस्ती हैं। बॉलीवुड और खेल के सितारों के अलावा तुसाद म्यूजियम में [[भारत]] के [[महात्मा गांधी]] 'वर्ल्ड लीडर' के रूप में मौजूद हैं। यही नहीं, भारत के पूर्व [[प्रधानमंत्री]] [[इंदिरा गांधी]] और [[राजीव गांधी]] भी तुसाद म्यूजियम में मोम के सांचों में ढले खड़े हैं। आमिर ख़ान का पुतला तुसाद म्यूजियम में इसलिए नहीं है क्योंकि उन्होंने खुद इनकार कर दिया। यही नहीं भारतीय फ़िल्म स्टार अक्षय कुमार भी तुसाद म्यूजियम में मोम के रूप में यादगार बन जाने से इनकार कर चुके हैं।
 
 
मैडम तुसाद संग्रहालय में बॉलीवुड की हस्तियां भी पीछे नहीं रही। सदी के महानायक [[अमिताभ बच्चन]], रजनीकांत, [[ऐश्वर्या राय]], शाहरुख खान, ऋतिक रोशन, करीना कपूर और अब सलमान खान इस म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहे हैं। मोम के इन सितारों और प्रसिद्ध हस्तियों को लोग बड़ी उत्‍सुकता से निहारते है।
 
 
 
बॉलीवुड की ओर से तुसाद म्यूजियम में सबसे पहले पहुंचे सुपर स्टार अमिताभ बच्चन। उनका पुतला साल 2000 में लंदन के म्यूजियम में लगा।
 
  
जब तुसाद म्यूजियम में चर्चित चेहरे नजर आते हैं तो दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत महिलाओं में गिनी जाने वाली पूर्व विश्व सुंदरी और बॉलीवुड की अदाकारा ऐश्वर्या राय वहां कैसे ना होतीं। ऐश का मोम का पुतला [[2004]] में लंदन के म्यूजियम में लगाया गया। उनके चाहने वालों की तादाद को देखते हुए न्यूयॉर्क में भी उनका पुतला लगाया गया।
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बॉलीवुड स्टार शाह रुख खान का मोम का पुतला न्यूयॉर्क के मैडम तुसाद म्यूजियम का हिस्सा बनने जा रहा है। इससे पहले लंदन में भी शाह रुख खान का मोम का पुतला लगा है।
 
 
 
सलमान खान ने तुसाद म्यूजियम में एंट्री ली साल 2008 में। और उनकी एंट्री धमाकेदार रही क्योंकि उन्होंने यह जगह जीती। दरअसल एक पोल कराया गया जिसमें लोगों से पूछा गया कि वे अमिताभ, ऐश्वर्या और शाह रुख के बाद किसे तुसाद म्यूजियम में देखना चाहते हैं। [[माधुरी दीक्षित]], रितिक रोशन, [[लता मंगेशकर]] और [[अभिषेक बच्चन]] को पीछे छोड़ते हुए सलमान ने बाजी मारी।
 
 
 
तमिल फ़िल्मों के फैन्स के लिए रजनीकांत भगवान की तरह हैं। लेकिन दुनिया भर में भी उनके चाहने वालों की कमी नहीं है। तभी तो उनका पुतला लंदन के मैडम तुसाद वैक्स म्यूजियम में मौजूद है।
 
 
 
[[सचिन तेंदुलकर]] 20 साल से भारतीय क्रिकेट का सितारा हैं, लेकिन तुसाद में वह पिछले साल ही पहुंचे। और इस म्यूजियम में मोम के सांचे में समा जाने वाली खेल की दुनिया की वह पहली भारतीय हस्ती हैं।
 
 
 
बॉलीवुड और खेल के सितारो के अलावा तुसाद म्यूजियम में भारत महात्मा गांधी 'वर्ल्ड लीडर' के रूप में मौजूद हैं। यही नहीं, भारत के पूर्व [[प्रधानमंत्री]] [[इंदिरा गांधी]] और [[राजीव गांधी]] भी तुसाद म्यूजियम में मोम के सांचों में ढले खड़े हैं।
 
 
 
आमिर खान का पुतला तुसाद म्यूजियम में इसलिए नहीं है क्योंकि उन्होंने खुद इनकार कर दिया। यही नहीं भारतीय फ़िल्म स्टार अक्षय कुमार भी तुसाद म्यूजियम में मोम के रूप में यादगार बन जाने से इनकार कर चुके हैं।
 
 
 
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==बाहरी कड़ियाँ==
 
==बाहरी कड़ियाँ==
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*[http://www.madametussauds.com/london/ आधिकारिक वेबसाइट]
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*[http://khabar.ndtv.com/news/filmy/madhuri-in-tussauds-museum-345982 माधुरी बढ़ाएंगी मैडम तुसाद संग्रहालय की सुंदरता]
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==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
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[[Category:संग्रहालय]]
 
[[Category:संग्रहालय]]
[[Category:नया पन्ना अक्टूबर-2011]]
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13:46, 30 जून 2017 के समय का अवतरण

मैडम तुसाद संग्रहालय, लंदन

मैडम तुसाद संग्रहालय लन्दन की मैरिलेबोन रोड पर स्थापित मोम की मूर्तियों का संग्राहलय हैं, इसकी अन्य शाखाऎ विश्व के प्रमुख शहरों में हैं। इसकी स्थापना 1835 में मोम शिल्पकार मेरी तुसाद ने की थी। फ्रांस की एक कलाकार थीं मैरी तुसाद जो मोम की मूर्तियां बनाया करती थीं। लंदन स्थिति मैडम तुसाद संग्रहालय विश्‍व का अनोखी जगह है। यहां विश्‍वभर की कई नामचीन हस्तियों के मोम के पुतले संग्रहित कर रखे गए हैं। मैडम तुसाद संग्रहालय में 400 से ज़्यादा आदम क़द मूर्तियां हैं और इतनी सजीव लगती हैं कि कभी कभी देखने वालों को भ्रम हो जाता है। मैडम तुसाद संग्रहालय आज लंदन के विशेष पर्यटक स्थलों में शामिल है। लंदन के अलावा इस म्यूजियम की शाखा एम्सटर्डम, लास वेगास, न्यूयॉर्क, हांगकांग और शंघाई में भी है और हर साल लाखों की संख्या में दर्शक वहाँ जाते हैं। तुसाद के वैक्स म्यूजियम में हर वह शख़्स आपको नजर आ जाएगा जो दुनियाभर में चर्चित है। खेल से लेकर राजनीति तक और फ़िल्मों से लेकर मॉडलिंग तक।

इतिहास

मैडम तुसाद संग्रहालय के वजूद में आने की कहानी काफ़ी दिलचस्प है। 17वीं सदी में फ्रांस की क्रांति कामयाबी के आखिरी दौर में थी। फ्रांस की सेना ने कई युद्धबंदियों को कैद कर रखा था। यूरोप में घूमते हुए 1802 में वह लंदन पहुंचीं। फिर फ्रांस और ब्रिटेन की जंग हो गई और वह अपने देश जा ही नहीं पाईं। फिर वह वहीं बस गईं। इस कैद में मैरी गोजोल्‍स भी थी जो आगे चलकर इस म्‍यूजियम की जनक बनीं।

मैडम मेरी तुसाद

मेरी तुसाद का जन्म 1761 में फ़्रांस के स्ट्रासबर्ग शहर में हुआ और नाम रखा गया मैरी ग्रौशॉल्ट्ज़। उनकी माँ फ़िलिप कर्टियस नाम के एक डॉक्टर के यहां काम करती थीं जिन्हे मोम की आदम क़द मूर्तियां बनाने का शौक़ था। मैरी को मोम के पुतले बनाने का शौक़ था। उन्हें यह कला उनके मालिक डॉक्टर फिलिप से विरासत में मिली थी। तब मोम से बने अंगों का इस्‍तेमाल चिकित्सा जगत् में होता था। डॉक्टर फिलिप ने अपनी विधा को आगे बढ़ाया और लोगों की आदमकद मूर्तियां भी बनानी शुरू कर दी। मैरी को भी मोम के पुतले बनाने में बेहद दिलचस्पी थी उसने जल्द ही इस कला में महारथ हासिल कर ली। मैरी ने उस दौर की कई जानी-मानी शख़्सियतों की मोम की मूर्तियाँ बनाई। लेकिन कुछ दिनों बाद ही डॉक्टर फिलिप की मौत हो गई। मरने से पहले डॉक्टर फिलिप ने अपना म्यूजियम मैरी के नाम कर दिया था। मैरी ने इस म्यूजियम को अपनी काबिलियत से और आगे बढ़ाया। वे धीरे-धीरे अपने क़दम आगे बढ़ातीं गई। चौंतीस साल की उम्र में मैरी ने फ़्रान्सुआ तुसाद नाम के इंजीनियर से शादी कर ली और वो मैडम तुसाद के नाम से जानी जाने लगीं। अगले तैंतीस साल तक वो अपनी मूर्तियों का संग्रह लेकर देश विदेश घूमती रहीं और आख़िरकार 1835 में लंदन में आ बसीं। उन्होंने ब्रिटेन के अलग-अलग शहरों में अपनी प्रदर्शनी लगाई। 1835 में उन्होंने लंदन की बेकर स्ट्रीट में अपना पहला स्थाई म्यूजियम खोला। 1884 में इस म्यूजियम की जगह बदल दी गई और इसे मेरिलबोन रोड पर खोला गया। जहां आज भी यह मैडम टुसॉड्स वेक्स म्यूजियम के नाम से मौजूद है। सन् 1850 में मैडम तुसाद का देहान्त हो गया। फिर उनके पोते जोज़फ़ रैंडल उनकी प्रदर्शनी को मैरिलेबोन रोड पर ले आए।

मैडम तुसाद संग्रहालय में भारतीय

मेरी तुसाद

विश्व प्रसिद्ध इस म्यूजियम में धीरे-धीरे भारतीयों ने भी अपनी मौजूदगी दिखानी शुरू कर दी। सबसे पहले इस म्यूजियम में जगह बनाई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इसके बाद इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सचिन तेंदुलकर ने। मैडम तुसाद संग्रहालय में बॉलीवुड की हस्तियां भी पीछे नहीं रही। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन, रजनीकांत, ऐश्वर्या राय, शाहरुख खान, ऋतिक रोशन, करीना कपूर और अब सलमान खान इस म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहे हैं। मोम के इन सितारों और प्रसिद्ध हस्तियों को लोग बड़ी उत्‍सुकता से निहारते है। बॉलीवुड की ओर से तुसाद म्यूजियम में सबसे पहले पहुंचे सुपर स्टार अमिताभ बच्चन। उनका पुतला साल 2000 में लंदन के म्यूजियम में लगा। जब तुसाद म्यूजियम में चर्चित चेहरे नजर आते हैं तो दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत महिलाओं में गिनी जाने वाली पूर्व विश्व सुंदरी और बॉलीवुड की अदाकारा ऐश्वर्या राय वहां कैसे ना होतीं। ऐश का मोम का पुतला 2004 में लंदन के म्यूजियम में लगाया गया। उनके चाहने वालों की तादाद को देखते हुए न्यूयॉर्क में भी उनका पुतला लगाया गया। बॉलीवुड स्टार शाहरुख़ खान का मोम का पुतला न्यूयॉर्क के मैडम तुसाद म्यूजियम का हिस्सा बना। इससे पहले लंदन में भी शाहरुख़ खान का मोम का पुतला लग चुका है। सलमान खान ने तुसाद म्यूजियम में एंट्री ली साल 2008 में। और उनकी एंट्री धमाकेदार रही क्योंकि उन्होंने यह जगह जीती। दरअसल एक पोल कराया गया जिसमें लोगों से पूछा गया कि वे अमिताभ, ऐश्वर्या और शाहरुख़ के बाद किसे तुसाद म्यूजियम में देखना चाहते हैं। माधुरी दीक्षित, ऋतिक रोशन, लता मंगेशकर और अभिषेक बच्चन को पीछे छोड़ते हुए सलमान ने बाज़ी मारी। तमिल फ़िल्मों के फैन्स के लिए रजनीकांत भगवान की तरह हैं। लेकिन दुनिया भर में भी उनके चाहने वालों की कमी नहीं है। तभी तो उनका पुतला लंदन के मैडम तुसाद वैक्स म्यूजियम में मौजूद है। सचिन तेंदुलकर जो 20 साल से भारतीय क्रिकेट के सितारे रहे हैं, इस संग्रहालय में मोम के सांचे में समा जाने वाले खेल की दुनिया के पहली भारतीय हस्ती हैं। बॉलीवुड और खेल के सितारों के अलावा तुसाद म्यूजियम में भारत के महात्मा गांधी 'वर्ल्ड लीडर' के रूप में मौजूद हैं। यही नहीं, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी भी तुसाद म्यूजियम में मोम के सांचों में ढले खड़े हैं। आमिर ख़ान का पुतला तुसाद म्यूजियम में इसलिए नहीं है क्योंकि उन्होंने खुद इनकार कर दिया। यही नहीं भारतीय फ़िल्म स्टार अक्षय कुमार भी तुसाद म्यूजियम में मोम के रूप में यादगार बन जाने से इनकार कर चुके हैं।


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