"विष्णुपुर" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''विष्णुपुर''' बिहार का एक ऐतिहासिक स्थान है। यहाँ स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
'''विष्णुपुर''' [[बिहार]] का एक ऐतिहासिक स्थान है। यहाँ स्थित एक तड़ाग (जलाशय) से एक काष्ठ निर्मित '[[जिन (जैन)|जिन]]' प्रतिमा प्राप्त हुई थी, जो '[[कलकत्ता विश्वविद्यालय]]' के 'आशुतोष संग्रहालय' में सुरक्षित है।
+
{{बहुविकल्प|बहुविकल्पी शब्द=विष्णुपुर|लेख का नाम=विष्णुपुर (बहुविकल्पी)}}
 
+
'''विष्णुपुर''' [[बिहार]] का एक ऐतिहासिक स्थान है। यहाँ स्थित एक तड़ाग (जलाशय) से एक काष्ठ निर्मित '[[जिन (जैन)|जिन]]' प्रतिमा प्राप्त हुई थी, जो '[[कलकत्ता विश्वविद्यालय]]' के 'आशुतोष संग्रहालय' में सुरक्षित है।<br />
 +
<br />
 
*इस स्थल से प्राप्त प्रतिमा के बारे में डी. पी. घोष का मत है कि यह मूर्ति प्रायः 2000 [[वर्ष]] प्राचीन है और [[मौर्य काल|मौर्य कालीन]] हो सकती है।
 
*इस स्थल से प्राप्त प्रतिमा के बारे में डी. पी. घोष का मत है कि यह मूर्ति प्रायः 2000 [[वर्ष]] प्राचीन है और [[मौर्य काल|मौर्य कालीन]] हो सकती है।
 
*तड़ाग में जलमग्न रहने के कारण मूर्ति के काष्ठ में अनेक सिकुड़नें पड़ गई हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=866|url=}}</ref>
 
*तड़ाग में जलमग्न रहने के कारण मूर्ति के काष्ठ में अनेक सिकुड़नें पड़ गई हैं।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=866|url=}}</ref>

11:18, 26 जून 2021 के समय का अवतरण

Disamb2.jpg विष्णुपुर एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- विष्णुपुर (बहुविकल्पी)

विष्णुपुर बिहार का एक ऐतिहासिक स्थान है। यहाँ स्थित एक तड़ाग (जलाशय) से एक काष्ठ निर्मित 'जिन' प्रतिमा प्राप्त हुई थी, जो 'कलकत्ता विश्वविद्यालय' के 'आशुतोष संग्रहालय' में सुरक्षित है।

  • इस स्थल से प्राप्त प्रतिमा के बारे में डी. पी. घोष का मत है कि यह मूर्ति प्रायः 2000 वर्ष प्राचीन है और मौर्य कालीन हो सकती है।
  • तड़ाग में जलमग्न रहने के कारण मूर्ति के काष्ठ में अनेक सिकुड़नें पड़ गई हैं।[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 866 |

संबंधित लेख