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*चन्द्रगिरि पहाड़ी से नवीं शताब्दी के दो लेख मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि इसका प्राचीन नाम चन्द्रवती था।  
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*चन्द्रगिरि पहाड़ी से नवीं शताब्दी के दो लेख मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि इसका प्राचीन नाम '''चन्द्रवती''' था।  
 
*[[जैन]] परम्परा के अनुसार [[चंद्रगुप्त मौर्य]] अपने जीवन के उत्तर काल में जैन साधु भद्रबाहु का शिष्य बन गया तथा दोनों दक्षिण में तपस्या करने चले गये। लगता है इस पहाड़ी का नाम चन्द्रगुप्त से सम्बन्धित होने के कारण चन्द्रगिरि पड़ गया।  
 
*[[जैन]] परम्परा के अनुसार [[चंद्रगुप्त मौर्य]] अपने जीवन के उत्तर काल में जैन साधु भद्रबाहु का शिष्य बन गया तथा दोनों दक्षिण में तपस्या करने चले गये। लगता है इस पहाड़ी का नाम चन्द्रगुप्त से सम्बन्धित होने के कारण चन्द्रगिरि पड़ गया।  
 
*चन्द्रगिरि पहाड़ी पर 'चन्द्रगुप्त बस्ती' नामक एक छोटा-सा मन्दिर भी है।  
 
*चन्द्रगिरि पहाड़ी पर 'चन्द्रगुप्त बस्ती' नामक एक छोटा-सा मन्दिर भी है।  
*यह लेख जैन धर्म से सम्बन्धित है और यदि इनसे प्राप्त सूचना को सत्य माना जाए, तो चन्द्रगुप्त मौर्य का अंतिम दिनों में [[दक्षिण भारत]] में आना और जैन धर्म में दीक्षित होना सिद्ध होता है। स्मिथ ने<ref>अर्ली हिस्ट्री ऑव इंडिया, पृ. 76</ref> इस परम्परा को सत्य माना है।   
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*यह लेख [[जैन धर्म]] से सम्बन्धित है और यदि इनसे प्राप्त सूचना को सत्य माना जाए, तो चन्द्रगुप्त मौर्य का अंतिम दिनों में [[दक्षिण भारत]] में आना और जैन धर्म में दीक्षित होना सिद्ध होता है।  
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07:17, 8 अक्टूबर 2011 का अवतरण

  • चन्द्रगिरि पहाड़ी मैसूर कर्नाटक राज्य में कावेरी नदी के उत्तरी तट पर स्थित एक पहाड़ी है।
  • चन्द्रगिरि पहाड़ी से नवीं शताब्दी के दो लेख मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि इसका प्राचीन नाम चन्द्रवती था।
  • जैन परम्परा के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य अपने जीवन के उत्तर काल में जैन साधु भद्रबाहु का शिष्य बन गया तथा दोनों दक्षिण में तपस्या करने चले गये। लगता है इस पहाड़ी का नाम चन्द्रगुप्त से सम्बन्धित होने के कारण चन्द्रगिरि पड़ गया।
  • चन्द्रगिरि पहाड़ी पर 'चन्द्रगुप्त बस्ती' नामक एक छोटा-सा मन्दिर भी है।
  • यह लेख जैन धर्म से सम्बन्धित है और यदि इनसे प्राप्त सूचना को सत्य माना जाए, तो चन्द्रगुप्त मौर्य का अंतिम दिनों में दक्षिण भारत में आना और जैन धर्म में दीक्षित होना सिद्ध होता है।
  • स्मिथ ने[1] इस परम्परा को सत्य माना है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अर्ली हिस्ट्री ऑव इंडिया, पृ. 76

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