"कूर्माचल" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - " मंजिल " to " मंज़िल ") |
|||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
*संभवत: [[दिल्ली]] के सुल्तान [[मुहम्मद तुग़लक़]] ने 1355 ई. के लगभग कूर्माचल के प्रदेश पर आक्रमण किया था, जिसमें उसकी सेना के अधिकांश सैनिक मारे गये थे। | *संभवत: [[दिल्ली]] के सुल्तान [[मुहम्मद तुग़लक़]] ने 1355 ई. के लगभग कूर्माचल के प्रदेश पर आक्रमण किया था, जिसमें उसकी सेना के अधिकांश सैनिक मारे गये थे। | ||
− | *'[[तारीख-ए-फिरोजशाही]]' के लेखक [[जियाउद्दीन बरनी]] ने इसका नाम 'कराचल' लिखा है और [[इब्नबतूता]] ने कराजल पहाड़ और दिल्ली से दस | + | *'[[तारीख-ए-फिरोजशाही]]' के लेखक [[जियाउद्दीन बरनी]] ने इसका नाम 'कराचल' लिखा है और [[इब्नबतूता]] ने कराजल पहाड़ और दिल्ली से दस मंज़िल दूर बताया है। |
*जियाउद्दीन बरनी के अनुसार कराचल हिंद और [[चीन]] के बीच में स्थित था। | *जियाउद्दीन बरनी के अनुसार कराचल हिंद और [[चीन]] के बीच में स्थित था। | ||
14:18, 3 फ़रवरी 2013 के समय का अवतरण
कूर्माचल आज के कुमायूँ (उत्तराखंड) का प्राचीन पौराणिक नाम है। इसका एक अन्य नाम 'कुमारवन' भी मिलता है। वर्तमान अल्मोड़ा तथा नैनीताल के ज़िले कुमायूँ में स्थित हैं।[1]
- संभवत: दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ ने 1355 ई. के लगभग कूर्माचल के प्रदेश पर आक्रमण किया था, जिसमें उसकी सेना के अधिकांश सैनिक मारे गये थे।
- 'तारीख-ए-फिरोजशाही' के लेखक जियाउद्दीन बरनी ने इसका नाम 'कराचल' लिखा है और इब्नबतूता ने कराजल पहाड़ और दिल्ली से दस मंज़िल दूर बताया है।
- जियाउद्दीन बरनी के अनुसार कराचल हिंद और चीन के बीच में स्थित था।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 219 |